तीन दिवसीय 50वां म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन 2 फरवरी को संपन्न हुआ। म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन का प्रमुख मुद्दा जर्मनी-अमेरिकी संबंध हैं।
अमेरिकी विदेशमंत्री जॉन केरी ने 1 फरवरी को सम्मेलन में दिये अपने भाषण में टैपिंग स्कैंडल से जर्मनी-अमेरिका संबंधों पर पड़े कुप्रभाव को मिटाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका और जर्मनी का समान मूल्य है और वर्ष 2014 में अवश्य ही अटलांटिक सागर के दोनों तटों के संबंधों में बेहतरी आएगी।
जर्मनी-अमेरिका संबंध के अलावा चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की विदेश कमेटी की प्रमुख फू ईंग ने 1 फरवरी को सम्मेलन में कहा कि जब तक जापान सरकार आक्रमण के इतिहास को मान्यता नहीं देती, तबतक जापान एशिया में रचनात्मक सदस्य नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में चीन ने गिने चुने पड़ोसी देशों की चुनौतियों का सामना किया और अब चीन को प्रबल प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ताकि समस्या को वार्ता के माध्यम से सही रास्ते पर लौटाया जाए। इसके जवाब में जापानी विदेशमंत्री फुमिओ किशिदा ने कहा कि जापान सही तरीके से इतिहास का निपटारा करता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से जापान शांतिपूर्ण रास्ते पर चल रहा है।
ईरान समस्या सम्मेलन के अंतिम दिन का मुख्य विषय है। ईरानी विदेशमंत्री जवाद जारिफ ने ईरान द्वारा नाभिकीय ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और अंतर्राष्ट्रीय नाभिकीय ऊर्जा संस्था के साथ सहयोग करने का वचन दिया। अमेरिकी विदेशमंत्री जॉन केरी ने कहा कि हालांकि ईरानी नाभिकीय समस्या की वार्ता आयोजित होने वाली है, फिर भी अमेरिका ईरान से प्रतिबंध उठाएगा।
यूक्रेन की परिस्थिति म्युनिख सम्मेलन का अन्य एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।अमेरिका और यूरोप ने यूक्रेन के विपक्षी दल का समर्थन किया, जिसपर रूस ने असंतोष प्रकट किया है।
(श्याओयांग)