संयुक्त राष्ट्र संघ स्थित स्थाई चीनी प्रतिनिधि ल्यू चे ई ने 29 जनवरी को सुरक्षा परिषद में यासुकुनी मंदिर का दर्शन करने की जापानी प्रतिनिधि की व्याख्या का खंडन किया। ल्यू चे ई ने कहा कि अगर जापानी नेता सच्चे मायने में आक्रमणकारी युद्ध के इतिहास और द्वितीय विश्व युद्ध के अपराधियों से तोड़ना चाहते, तो जापान को मालूम होगा कि उसे क्या करना चाहिए, न कि व्याख्या करना।
ल्यू चे ई ने कहा कि सुरक्षा परिषद के वर्तमान सम्मेलन का विषय है युद्ध व इसका सबक और स्थाई शांति की खोज। युद्ध का सबक सीखने के बाद स्थाई शांति बनाए रखने में इतिहास को स्वीकार करने की जरूरत है।
ल्यू चे ई ने कहा कि जापानी प्रधानमंत्री शिन्चो अबे की कार्रवाई की वजह से चीन-जापान संबंधों के राजनीतिक आधार पर गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा। जापान ने अपने आप चीन के साथ वार्ता करने का द्वार बन्द किया है। जापानी नेताओं को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत का पालन करना चाहिए, ताकि पड़ोसी देशों और अन्तरराष्ट्रीय समुदायों का विश्वास बढ़ सके।
दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, जर्मनी और फ्रांस आदि के प्रतिनिधियों ने भी सम्मेलन में जापान की निंदा की।
(ललिता)