जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे 25 जनवरी को टोक्यो से भारत के लिए रवाना हुए, जो प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी पहली भारत यात्रा है।
शिन्जो अबे की वर्तमान भारत यात्रा पर जापानी मीडिया का ध्यान केंद्रित हुआ है। जापानी सेकेइ सिनपुन के अनुसार भारत सरकार व मीडिया द्वारा शिन्जो अबे की पहली भारत यात्रा का स्वागत करने के बावजूद चीन-जापान संबंधों पर बात करने से बचने की कोशिश की गयी। जिससे यह स्पष्ट है कि भारत चीन-जापान संबंधों से दूर रहना चाहता है। भारत जापान के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाते हुए चीन को उत्तेजित नहीं करना चाहता है। जापानी अखबार मैनिछी शिम्पुन(Mainichi Shimbun) में कहा गया है कि शिन्जो अबे को आशा है कि अपनी भारत यात्रा से जापानी कारोबारों द्वारा भारतीय बाजार में प्रवेश को बढ़ाया जाएगा। लेकिन दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के सहयोग में प्रगति हासिल नहीं हुई। जापान को आशा है कि परमाणु अप्रसार संधि में शामिल न होने के कारण भारत संबंधित प्रबंधन को मजबूत करेगा। लेकिन भारत की अपनी परमाणु ऊर्जा राजनीति पर बाहरी दुनिया द्वारा अंकुश लगाने की इच्छा नहीं है। इस पर दोनों देशों के बीच मतभेद मौजूद हैं।
जापानी आर्थिक समाचार अखबार के अनुसार शिन्जो अबे की भारत यात्रा के दो लक्ष्य हैं। पहला, चीन के खिलाफ़ जापान का प्रभाव बढ़ाना। दूसरा, भारत के साथ दक्षिण एशिया व आसियान के बीच एशियाई आर्थिक कॉरिडोर योजना पर जोर देना।
(मीनू)