चीन के मुख्य अख़बार गुआन मिंग दैनिक की 22 तारीख की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका स्थित आवाज नाम की वेबसाइट ने हाल ही में कहा कि अगर तिब्बती लोगों ने चीनी राष्ट्रीय झंडा नहीं लगाया, तो उनपर अत्याचार किया जाएगा या उनकी हत्या की जाएगी। यह वेबसाइट इस बात को लेकर हस्ताक्षर एकत्र करने की गतिविधि चला रही है।
रिपोर्ट के अनुसार फ्रांसीसी पुस्तक "दलाई लामा इतना ज़ेन नहीं है" के लेखक माक्सिम विवास ने 26 नवंबर 2013 को वेबसाइट पर तिब्बत मुद्दे पर एक खुला पत्र जारी कर आवाज पर तिब्बत संबंधी लेखों और गतिविधि का खंडन किया।
विवास ने अपने खुले पत्र में कहा कि हस्ताक्षर एकत्र करने का एकमात्र उद्देश्य हिंसक मुठभेड उकसाना है। चीन कभी भी तिब्बत स्वयात्त प्रदेश नहीं छोडेगा। आवाज पर जारी हुए आलेख अपुष्ट रिपोर्ट और सरासर झूठ के आधार पर है। तिब्बत में हर जगह तिब्बती बौद्ध धर्म के मंदिर और भिक्षु दिखाई देते हैं। मुझे तो इस दृश्य पर बहुत हैरानी हुई।
विवास ने कहा कि आवाज इस विचार का प्रचार करना चाहता है कि तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह संयुक्तराष्ट्र संघ के सभी सदस्यों के पक्ष के विरुद्ध है। वे लोग तिब्बत बचाने का दावा करते हैं , लेकिन इतिहास में तिब्बतियों की आबादी आज जैसी ज्यादा कभी नहीं हुई और जनजीवन आज जैसे समृद्ध भी नहीं हुआ और तिब्बतियों की औसत आयु भी इतनी लंबी पहले कभी नहीं रही। शिक्षा, लिखाई और बातचीत में तिब्बती भाषा का व्यापक इस्तेमाल होता है।
विवास ने वर्ष 2010 में तिब्बत की यात्रा की थी और बाद में "दलाई लामा इतना जेन नहीं है" नाम की पुस्तक प्रकाशित की ,जिसमें दलाई लामा के असली चेहरे का पर्दाफाश किया और पश्चिमी जगत में ऐसी पहली पुस्तक है। एक वरिष्ठ लेखक और एक न्यूज वेबसाइट के प्रधान के नाते श्री विवास ने दसेक पुस्तकें लिखी हैं।