रूसी विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव ने 21 जनवरी को मास्को में कहा कि जापानी प्रधानमंत्री अबे शिन्जो ने पिछले साल के अंत में यासुकुनी मंदिर का दर्शन किया। जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में देशों के संबंधों के लिये लाभदायक नहीं है। शिन्जो अबे द्वारा यासुकुनी मंदिर के दर्शन करना खुले तौर पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ़ है।
लावरोव ने आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पिछले एक वर्ष में रूस के राजनयिक कार्यों का सारांश पेश किया इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों पर रूस के दृष्टिकोण से जुड़े प्रश्नों का जवाब भी दिया।
पिछले वर्ष के अंत में अबे ने यासुकुनी मंदिर का दर्शन किया था। इस पर लावरोव ने कहा कि रूस ने कई बार बल देकर कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों के समाधान में संयुक्तराष्ट्र चार्टर का पालन करना होगा। संयुक्तराष्ट्र चार्टर ने द्वितीय विश्वयुद्ध से मिले फल को मजबूत किया है। इस पर शक करने का मतलब संयुक्तराष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करना है।
पिछले वर्ष 26 दिसंबर को अबे ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, एशिया के पड़ोसी देशों और जापानी जनता के विरोध की उपेक्षा कर यासुकुनी मंदिर का दर्शन किया था। चीन और दक्षिण कोरिया ने इसकी कड़ी निंदा की थी। साथ ही अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ ने भी इसपर निराशा और खेद प्रकट किया। उनके विचार में ऐसा करने से क्षेत्रीय स्थिति में तनाव बढ़ेगा।
चंद्रिमा