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सिक्के की औक़ात
2014-01-22 08:57:16

 


अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके साथ ही एक श्रोता के साथ हुई बातचीत पेश की जाएगी।

वनिता:आज के प्रोग्राम में पहला खत आया है, दिल्ली से, अमीर अहमद का। लिखते हैं कि आज हमने वेबसाइट पर सछ्वान प्रांत के आबा तिब्बती और छ्यांग स्वायत्त प्रिफैक्चर के बारे में जाना। जहां मुख्य तौर पर तिब्बती और छ्यांग जातियों के लोग रहते हैं।वहां कि हरियाली को देखकर शिनचियांग के खनास कि याद ताज़ा हो गयी। मालूम हुआ कि चीन में सबसे सुन्दर आर्द्रभूमि वाले घास के मैदान—रोअरगेई घास के मैदान हैं। वास्तव में ये घास का मैदान लग रहा है कि खनास का मैदान हो। यहां का जीवन भी बिल्कुल खनास के लोगों कि तरह घुमंतू जीवन की तरह है। सच में मैदान में बहुत घास नज़र आ रही है, ये बहुत शानदार दृश्य है।

सच हमने आपकी वेबसाइट के माध्यम से जो दृश्य देखने को मिला, वह वाकई दिल को छूने वाला है।

धन्यवाद, अमीर जी, आगे भी हमें यूं ही खत भेजते रहिए।

अनिलः अगला पत्र, बिहार से आबिद हसन ने भेजा है। उन्होंने एक कविता भेजी है, जिसका शीर्षक सिक्के की औक़ात है और कविता इस प्रकार है,

एक बार बरखुरदार!

5 रुपए के सिक्के

और 1 रुपए के सिक्के में

लड़ाई हो गई,

पर्स के अंदर

हाथापाई हो गई।

जब 1 रुपए का सिक्का

दनदना गया

तो इधर 5 का सिक्का भी झनझना गया-

पिद्दी न पिद्दी की दुम

अपने आपको

क्या समझते हो तुम!

मुझसे लड़ते हो,

औक़ात देखी है

जो अकड़ते हो!

इतना कहकर मार दिया धक्का,

सुबकते हुए बोला

1 रुपए का सिक्का-

हमें छोटा समझकर

दबाते हैं,

कुछ भी कह लें

दान-पुण्य के काम तो

हम ही आते हैं।

बहुत खूब.....आबिद हसन ने कविता के माध्यम से एक रुपये के महत्व को समझाया है। धन्यवाद।

वनिता:दोस्तो, इसी के साथ वक्त हो गया है अगले पत्र का। जो हमें भेजा है, दिल्ली से सादिक शेरवानी ने। लिखते हैं कि मैं सादिक़ शेरवानी संपादक पहल इंडिया दिल्ली। मैं एक संपादक हूँ और अपने समाचार पत्रिका के माध्यम से अक्सर चीन और चीन कि संस्कृति को पत्रिका में प्रकाशित करता रहता हूँ। पत्रिका दिल्ली से निकलती है और दिल्ली के साथ साथ अन्य राज्यों में भी इसके पाठक हैं, जो पत्रिका में प्रकाशित लेख ,समाचार और पत्रिका की थीम को पसंद करते हैं ,पत्रिका का मक़सद हिंदी बोलने को सरल हिंदी में देश दुनिया कि ख़बरों के साथ पडोसी देशों के बारे में जानकारी देना है। साथ ही पडोसी देशों की वास्तविकता को दूसरों तक जानकारी देना और मित्रता को प्रगाढ़ करना है। मैं बराबर आपकी वेबसाइट विजिट करता हूं ,आप लोग रेडियो के साथ साथ वेब पर चीन एवं चीनी संस्कृति की जानकारी अच्छी ढंग से प्रस्तुत करते हैं। नव वर्ष पर हमने चीनी प्रधानमंत्री और सी आर आई डायरेक्टर के शुभकामना सन्देश पढ़े। आप सभी का धन्यवाद।

अनिलः दोस्तो, अब मेरा हाथ में केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल का ई-मेल है। लिखते हैं कि, साप्ताहिक "चीन की झलक" के अन्तर्गत अखिल पाराशर द्वारा उत्तरी चीन के श्यानसी प्रान्त स्थित प्राचीन युनकांग और लोंगमन गुफा समूह पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। वर्ष 2001 में विश्व विरासत सूची में शामिल हो चुकी उक्त गुफ़ाएँ चीन में प्रस्तर मूर्तिकला का नायब ख़ज़ाना हैं.लोंगमन का चीनी-भाषा में शाब्दिक अर्थ ड्रैगन का द्वारा होता है, जानकर ज्ञान में इजाफा हुआ। कभी चीन जाने का सौभाग्य मिला, तो इस अमूल्य धरोहर का अवलोकन मैं अवश्य करना चाहूँगा। कार्यक्रम के अगले हिस्से "ओ माई गॉड मैं चाइना में हूँ" के तहत हेमाजी द्वारा एक पूर्वप्रसारित भेंटवार्ता सुनवाई गई, जिसके तहत विगत आठ वर्षों से दक्षिण चीन स्थित क्वांगचो में रहने वाली करिश्माजी के अनुभव एकबार फिर से सुनने का मौक़ा मिला। हालांकि वह अंग्रेज़ी में बोलीं, फिर भी स्पष्ट उच्चारण होने के फलस्वरूप उनकी बात समझने में कठिनाई नहीं हुई। वैसे बातचीत से पता चला कि उनकी हिन्दी पर भी पकड़ अच्छी थी, इसलिए वह हिन्दी में बोलतीं तो उनकी बात अधिक श्रोताओं तक पहुँचती। साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के अन्तर्गत श्रोताओं से प्राप्त नव-वर्ष बधाई संदेशों के अलावा एक प्रश्न के उत्तर में चीन के सर्वप्रथम वायुयान निर्माण कारखाना छेयांग में होने की जानकारी सुनी, जो कि बहुत ज्ञानवर्धक लगी. इसके अलावा बीते वर्ष तथा नव-वर्ष की उम्मीदों पर भाई शाहिद आज़मी के विचार सुनने का मौक़ा भी मिला। मुझे एफ़.एम. पर प्रसारण शुरू किये जाने तथा ज़ल्द ही एक श्रोता सम्मेलन आयोजित किये जाने सम्बन्धी उनका सुझाव बहुत व्यावहारिक लगा।

वनिता:अगला पत्र भेजा है उत्तर प्रदेश से हमारे श्रोता मोहम्मद असलम ने। लिखते हैं कि आज जनवरी की 12 तारीख, आज मै आपको यह सूचित करना चाहता हूं कि आगामी 21 जनवरी से सी.आर.आई. हिन्दी कार्यक्रमों में तब्दीली होने जा रही है। जो इस प्रकार है।

सोमवार - चीन का भ्रमण पेश करेंगे, श्याओ यांग व रूपा

मैत्री की आवाज़ प्रस्तुत कर्ता चन्द्रिमा, अन्त मे रोज़मर्रा की चीनी भाषा,

मंगलवार - टी टाइम इसे पेश करेंगे, वेईतुंग, अनिल, व ललिता अन्त मे पश्चिम की तीर्थ यात्रा- कथासागर,

बुधवार- आपका पत्र मिला प्रस्तुत कर्ता वनिता और अनिल अन्त मे रोज़मर्रा की चीनी भाषा।

गुरुवार - आज का लाइफ़ स्टाइल प्रस्तुत कर्ता हैय्या, अखिल पाराशर व मीरा, अन्त मे पश्चिम की तीर्थ यात्रा- कथासागर,

शुक्रवार - चीन का तिब्बत प्रस्तुत कर्ता सपना, दक्षिण एशिया फ़ोकस प्रस्तुत कर्ता पंकज श्रीवास्तव और रमेश, अन्त में रोज़मर्रा की चीनी भाषा,

शनिवार - आपकी पसन्द इसे पेश करेंगे, पंकज श्रीवस्तव, अंजली व दिनेश, अन्त में पश्चिम की तीर्थ यात्रा- कथासागर।

रविवार - सन्डे की मस्ती इसे पेश करेंगे अखिल पाराशर, लिली व मीनू अन्त में पश्चिम की तीर्थ यात्रा- कथासागर।

मोहम्मद असलम आगे लिखते हैं कि मुझे उम्मीद है कि 21 जनवरी से सीआरआई के कार्यक्रमों में होने वाला परिवर्तन एक नई उमंग पैदा करेगा और श्रोताओं को आकर्षित करेगा। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है और मैंने इस सूची को फेसबुक पर डाल दिया है। इससे तमाम श्रोताओं को इस बारे में जानकारी हासिल हो जाएगी।

अनिलः हां, दोस्तो, 21 तारीख से हमारे प्रोग्राम्स में आपको बदलाव नजर आएगा। आशा है कि आपको यह परिवर्तन पसंद आएगा। प्रोग्राम संबंधी सूचना के बाद बढ़ते हैं अगले पत्र की ओर। जिसे भेजा है पश्चिम बंगाल से रतन कुमार पाल ने। लिखते हैं नी हाऊ, उम्मीद है कि आप सभी अच्छे होंगे। मैं आपका प्रसारण नियमित रूप से सुनता हूं, 10 जनवरी को खेल जगत प्रोग्राम में पुर्तगाल के जाने-माने फुटबॉलर इउ सैबिय के निधन की सूचना मिली। ऐसे महान फुटबाल खिलाड़ी की मृत्यु से पूरी दुनिया को नुकसान पहुंचेगा। इसके अलावा भारत की राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के बारे में प्रतिक्रिया भी अच्छी लगी। इसके लिए आप सभी को धन्यवाद।

इसके साथ ही रतन कुमार ने एक सवाल भी पूछा है कि चीन के राष्ट्रीय गीत की रचना किसने की?

वनिता:चीन के मशहूर गीतकार न्ये एर ने वर्ष 1935 में बहादुर बेटे-बेटियां फिल्म के लिए मुख्य गीत की रचना की थी। फिल्म में यह गीत दो बार गाया गया है और कई चीनी लोगों को यह गीत बहुत पसन्द है। इसके बाद लड़े गए युद्ध में यह गीत चीनी सैनिकों के बीच लोकप्रिय गीत बना और नए चीन की स्थापना के बाद यह गीत चीन के अस्थाई राष्ट्रीय गीत बन गया। वर्ष 2004 यह गीत औपचारिक रूप से चीन का राष्ट्रीय गीत बना।

अनिलः प्रोग्राम में अगला पत्र भी पश्चिम बंगाल से ही आया है, इसे भेजने वाले हैं बिधान चंद्र सान्याल । लिखते हैं कि उन्हें चीन की झलक प्रोग्राम अच्छा लगता है। 9 जनवरी को इस कार्यक्रम में उत्तरी चीन के श्यानसी प्रान्त के प्राचीन युनकांग लोँगमन गुफासमूह के बारे में बहुत रोचक जानकारी मिली । इसके लिए धन्यवाद।

वनिता:बिधान जी कार्यक्रम पसन्द करने और हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत धन्यवाद। दोस्तो, आज के प्रोग्राम में अंतिम पत्र भेजा है जमशेदपुर, झारखंड से एसबी शर्मा ने। लिखते हैं कि सीआरआई से मिली खबर के अनुसार, अब एक और हिंदी वेबसाइट खुल रही है, यह एक अच्छी बात है। इस तरह की वेबसाइट की जरूरत महसूस की जा रही थी, जिसमें सभी तरह की जानकारी हो। चीन और भारत के रिश्ते भी बेहतर हो रहे हैं। व्यापार शिक्षा, पर्यटन, निवेश और आपसी आदान-प्रदान में भारत के लोगों की रूचि काफी बढ़ गई है। इस वेवसाईट में तमाम तरह की सूचना उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है। जरूरी सूचनाओं को एक ही जगह दिया गया है। इतना ही नहीं इसमें मनोरंजन के लिए बालीवुड और भारतीय सिनेमा कि खबरें भी शामिल हैं। एक और ध्यान देने वाली बात इस वेबसाइट में लगी कि आप चीन जा रहे हैं तो इसकी क्या वजह है। वहां जाने के लिए क्या-क्या जरूरी है आदि। चीनी भाषा सीखने के लिए एक खास लिंक भी दिया गया है, यानि जरूरत की सभी जानकारियां अब एक क्लिक में मिल सकती है।

अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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