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चीन और भारत के बीच आर्थिक ,व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के विस्तार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन का प्रभाव बढने के साथ साथ भारत में चीनी भाषा सीखने की मांग लगातार बढ रही है ।हाल ही में 22 चीनी शिक्षकों से गठित एक दल भारत पहुंचा । वे अगले दो साल में भारत के मिडिल व प्राइमरी स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ाने के साथ-साथ चीनी संस्कृति से बच्चों को रूबरू कराएंगे। अब दिल्ली दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता द्वारा भेजी गयी एक रिपोर्ट सुनिए ।
चीन के परंपरागत त्योहार वसंत त्योहार के पूर्व भारत स्थित चीनी दूतावास में कुछ विशेष मेहमान आये । वे चीन भारत शिक्षा सहयोग कार्यक्रम के तहत चीन सरकार की ओर भारत भेजे गये पहले बैच के चीनी भाषा के शिक्षक थे,जो चीन के विभिन्न प्रांतों के हैं । दिल्ली में कुछ दिन रुकने के बाद उनमें से कुछ लोग मुंबई , कोलकाता और जयपुर के मिडिल व प्राइमरी स्कूलों में पढाएंगे ।
वेइ युए लिंग पूर्वी चीन के योंग चाओ शहर की एक अध्यापिका हैं। वे दक्षिण भारत के बंगलुरू में एक पब्लिक स्कूल में पढाएंगी । भारत में दो दिन ठहरने के बाद भारत के प्रति उनके रूख में बदलाव आया है। आने से पहले वे यहां की सुरक्षा स्थिति को लेकर काफी चिंतित थीं ।उन्होंने कहा ,
(आवाज 1)
सच बताएं तो पहले मैं यहां नहीं आना चाहती। मीडिया की रिपोर्ट से मुझे लगा कि महिलाओं के लिए यहां सुरक्षित नहीं है। आने से पहले संबंधित विभाग ने हमें विशेष ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के समय मैं थोडा नर्वस थी।लेकिन इधर दिनों से ठीक लग रहा है। भारतीय लोग अच्छे हैं।
वेइ युए लिंग की तरह ग्रुप में अधिकांश सदस्य पहली बार भारत आये ।भारत आना उनके लिए एक आसान फैसला नहीं था। अध्यापक ग्रुप के लीडर चंग फंग हैं, जो पूर्वी चीन के हांग चाओ शहर से हैं। उन्होंने बताया ,
(आवाज 2)
यह सचमुच एक बडी चुनौती है ।घर छोडकर बाहर काम करना आसान नहीं होता।लेकिन यह एक बडी बात है। निजी मुश्किलों को छोड़कर मैं कोशिश करूंगा ।
अध्यापक चंग ने बताया कि उनकी इच्छा है कि उनकी कोशिश से अधिक से अधिक भारतीय बच्चे चीनी संस्कृति से परिचित होंगे और उसे पसंद करेंगे। ताकि चीन और भारत की जनता सच्चे मायने में एक दूसरे को समझे और पीढी दर पीढी दोस्ती बढ़े।
इधर के कुछ साल चीन और भारत के बीच आर्थिक ,व्यापारिक व सांस्कृतिक आवाजाही के विस्तार से भारत में चीनी भाषा सीखने की मांग बढ रही है । बताते हैं कि भारत में अब अंग्रेजी ,फ्रांसीसी और स्पैनिश के अलावा चीनी भाषा सबसे लोकप्रिय है। भारत में कुछ सार्वजनिक स्थलों में कभी कभी धाराप्रवाह चीनी भाषा बोलने वाले भी मिल जाते हैं। विश्वविद्यालयों के अलावा भारत के कुछ मिडिल व प्राइमरी स्कूल चीनी भाषा सीखने को महत्व देने लगे हैं।
बढती मांग को देखकर अगस्त 2010 में चीनी राष्ट्रीय चीनी भाषा कार्यालय और भारत के सीबीएसई बोर्ड ने एक सहयोग समझौता किया। इसके मुताबिक चीन भारत में चीनी भाषा के शिक्षक भेजेगा। तीन साल के चयन और तैयारियों के बाद अब यह सहयोग कार्यक्रम लागू हुआ है।
भारत स्थित चीनी दूतावास में चीनी राजदूत वेइ वेइ ने चीनी अध्यापकों के साथ हुई बैठक में इस सहयोग प्रोग्राम का उच्च मूल्यांकन किया ।उन्होंने कहा
(आवाज 3)
जन मैत्री बढाना दोनों देशों की कूटनीति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है ।हर साल सौ चीनी युवा भारत की यात्रा करते हैं और सौ भारतीय युवा चीन की यात्रा करते हैं ।यह पहली बार है कि इतने ज्यादा चीनी भाषा अध्यापक एक साथ आये ।यह बडी अहम बात है ।
इस सहयोग प्रोग्राम के आयोजकों में से एक सीबीएसई के प्रतिनिधि अल हिलाल अहमद ने बताया कि चीनी शिक्षकों के आने से दोनों देशों की जनता एक दूसरे से अधिक करीब आएगी ।उन्होंने कहा ,
(आवाज 4)
हमें बडी चाहत है कि भारत के स्कूल में चीनी भाषा सिखाई जाए। इस तरह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संपर्क अधिक मजबूत होगा। चीन के उत्थान से हमें भारत में चीनी भाषा का प्रचार करने की आशा है ।अवश्य अगर चीन में हिंदी का प्रचार होगा ,तो और अच्छा होगा ।
पहले बैच के चीनी शिक्षकों का भारत आने के बाद चीन और भारत दोनों पक्षों को आशा है कि बाद में अधिक से अधिक चीनी भाषा के शिक्षका भारत आएंगे और दोनों देशों की मैत्री व आवाजाही को बढावा मिलेगा।