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थाईलैंड के सरकार विरोधी संगठन ने 13 जनवरी को"शहर की घेराबंदी"नया चरण शुरु किया, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके। साथ ही वर्तमान सरकार व प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा और आम चुनाव के पहले सुधार का रास्ता साफ हो सके। दोनों पक्षों के बीच चुनाव की तिथि पर सहमति नहीं बन सकी है, लेकिन 13 जनवरी को थाई सरकार ने पहली बार नरम रवैया अपनाते हुए कहा कि देश में स्थिरता कायम होने की स्थिति में वह चुनाव की तारीख स्थगित करने को तैयार है। सरकार ने विभिन्न पक्षों को 15 मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए आमंत्रित किया है।
थाई सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने 13 जनवरी को बैंकॉक में घेराबंदी की और कार्यवाहक सरकार और प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा से इस्तीफ़ा देने और जन सुधार समिति गठित कर आम चुनाव से पूर्व देश में सुधार करने का अनुरोध किया। इस दिन शहर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जो कि प्रमुख तौर पर बैंकाक के केंद्र में हुए। इस तरह प्रदर्शनों का प्रभाव पहले से ज्यादा था।
विपक्षी पार्टी लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष अभिसिट वेजाजिवा ने चुनाव समिति द्वारा आम चुनाव स्थगित करने की याचिकाओं को लेकर अपना रुख बताकर प्रधानमंत्री से इसे स्वीकार करने की मांग की। ताकि कानून के अनुसार व्यापक रूप से स्वीकार्य चुनाव आयोजित किए जा सकें। उन्होंने कहा
"अब जल्द ही यिंगलक शिनावात्रा चुनाव समिति के सुझावों पर विचार करेंगी। वर्तमान स्थिति में सामान्य प्रक्रिया के अनुसार चुनाव का आयोजन असंभव है। उन्हें विभिन्न पक्षों के साथ मिलकर एक कानूनी और अहिंसक उपाय ढूंढना चाहिए।"
प्रदर्शन से प्रभावित होकर थाईलैंड की कार्यवाहक सरकार ने पहली बार आम चुनाव की तिथि पर अपना रवैया ढीला किया। प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा ने उप प्रधानमंत्री को अधिकार सौंपा कि वे चुनाव से संबंधित व्यक्तियों को बुलाकर 15 जनवरी को आयोजित चुनाव तारीख रद्द करने पर विचार करें। थाई प्रधानमंत्री भवन के महासचिव सुरानान वेजाजिवा ने न्यूज़ ब्रीफिंग में कहा:
"मेरा विचार है कि अगर सभी लोग राजनीतिक टकराव को कम करते हुए देश की प्रगति को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो सरकार का बातचीत का द्वार हमेशा खुला हुआ है। चुनाव समिति के सुझाव ने हमारे लिए सलाह मशविरे का एक अच्छा मौका प्रदान किया है। मुझे आशा है कि सरकार विरोधी संगठन और दूसरे समुदाय इस में संयुक्त रुप से भाग लेंगे और दिल खोलकर सुलह का रास्ता खोजेंगे।"
लेकिन चुनाव तिथि पर सरकार की ढील की बात सरकार विरोधी संगठन ने खारिज कर दी। प्रदर्शनकारियों के नेता सुथेप ताउग्सुबान ने भाषण देते हुए कहा कि सरकार की ओर से यह एक समान जीत वाला मौका है, लेकिन वे खुद सरकार के साथ विचार विमर्श करने के इच्छुक नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार और यिंगलक शिनावात्रा का इस्तीफ़ा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रदर्शन जारी रहेंगे।
(श्याओ थांग)