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बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 12 जनवरी को अपने पद की शपथ ली। इसके साथ ही उनका प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल शुरू हुआ। आम चुनाव के दौरान हुई हिंसा, विपक्षी पार्टियों का विरोध, न्यूनतम मतदान दर आदि सवालों के कारण हसीना सरकार सख्त कदम उठा सकती हैं। साथ ही देश की स्थिरता के लिए हर संभव कोशिश करेगी। सुनिए विस्तार से
पद ग्रहण समारोह ढाका के राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुआ, बंग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद की अध्यक्षता की और नव निर्वाचित राष्ट्रीय संसद के सांसद, सरकारी और सैन्य अफ़सर, विदेशी राजनीतिज्ञ समेत करीब हज़ार लोग समारोह में शामिल हुए। हसीना के अलावा मंत्रिमंडल के अन्य 48 सदस्यों ने भी अपने पद की शपथ ली।
गौरतलब है कि 5 जनवरी को बंग्लादेश में आम चुनाव आयोजित हुए, विपक्षी पार्टी की भागीदारी न होने की हालात में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने 232 सीटें प्राप्त की, जो नई सरकार की आवश्यक 151 सीटें से कहीं ज्यादा हैं। उल्लेखनीय बात है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी( बीएनपी) समेत 21 विपक्षी पार्टियों ने आम चुनाव का बहिष्कार किया और देश भर में 300 चुनाव क्षेत्रों में से 153 में सिर्फ़ एक ही उम्मीदवार था, जो कि निर्विरोध चुन लिया गया। हसीना ने आम चुनावों के बाद बार-बार जोर देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी के विरोध के बावजूद मौजूदा आम चुनाव की वैधता पर कोई संदेह नहीं है।
पूर्व नियम के अनुसार बांग्लादेश में चुनाव गैर राजनीतिक व्यक्तियों से गठित एक कार्यवाहक सरकार के नेतृत्व में आयोजित किया जाता है। लेकिन हसीना के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने इस व्यवस्था को रद्द कर दिया। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन का कहना है कि इस व्यवस्था के बिना आम चुनाव की निष्पक्षता की गारंटी नहीं दी जा सकती। इस तरह विपक्षी पार्टी ने देश ट्रैफिक जाम करने के अलावा हड़ताल की।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार 5 जनवरी को मतदान के दिन हुई हिंसा में बांग्लादेश में कुल 26 लोग मारे गए। जबकि 4 और 5 जनवरी को देश भर के 18 हज़ार मतदान केंद्रों में से 600 में आग लगा दी गई।
आम चुनाव के बाद बंग्लादेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बीएनपी की नेता खालिदा ज़िया ने बयान जारी कर सरकार से चुनाव परिणाम रद्द कर अधिकार सौंपने और कार्यवाहक सरकार की अध्यक्षता में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने का अग्रह गिया। गौरतलब है कि खालिदा जि़या बंग्लादेश के इतिहास में पहली महिला प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार 20 वर्षों में देश के नेता रही हैं। गत 25 दिसंबर से ही ज़िया को घर में नज़रबंद कर दिया गया और उन्हें 11 जनवरी को पहली बार घर से बाहर निकलकर सम्मेलन में भाग लने की अनुमति दी गई।
5 जनवरी के आम चुनाव में विदेशी पर्यवेक्षकों की संख्या बहुत कम रही, वहीं पिछले आम चुनाव में 585 विदेशी पर्वेक्षक थे। यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन ने इस बार के चुनाव में पर्यवेक्षक न भेजने की बात कही थी। 6 जनवरी को अमेरिका और ब्रिटेन ने बयान जारी कर बांग्लादेश में आम चुनाव की वैधता पर आशंका जताई।
बंग्लादेश के समाचार पत्र"न्यू सेंचुरी जर्नल "का विचार है कि आम चुनाव के बाद पैदा होने वाले राजनीतिक संकट से विदेशी पूंजी कम होगी, जिससे आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचेगा। इस तरह बंग्लादेश में स्थिरता की आवश्यकता है और जन जीवन से जुड़े सवालों का समाधन जल्द से जल्द करने की जरूरत है। विश्व में दूसरे सबसे बड़े वस्त्र निर्यातक देश के रूप में गत वर्ष अक्तूबर से अब तक राजनीतिक अस्थिरता के चलते हुई हड़ताल के कारण देश को करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान पहुंचा है।
वर्तमान में बांग्लादेशी जनता को आशा है कि दोनों पार्टियों के नेता जल्द बातचीत करेंगे, ताकि देश में अस्थिरता समाप्त हो सके। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 10 जनवरी को कहा कि नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी के लिए सरकार सख्त कदम उठाएगी और स्थिरता के लिए हरसंभव कोशिश करेगी।
बताया जाता है कि शेख हसीना ने सेना और संबंधित एजेंसियों को विरोध प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तारी के आदेश दिए। बीएनपी के 7 नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है।"द डेली स्टार"ने 6 जनवरी को संपादकीय लेख में कहा कि राजनीतिक पार्टियों के पास चुनावों के विरोध का अधिकार है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें जनता को पार्टी के साथ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करना है। वहीं हसीना ने जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय पार्टी यानी बीएनपी को आतंकी कार्रवाई बंद करनी चाहिए। हिंसा छोड़ने के बाद ही उनके साथ वार्ता की संभावना होगी।
(श्याओ थांग)