तिब्बत विश्वविद्यालय के तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केंद्र के प्रधान छीतान जाशी ने कहा कि अब तिब्बत के समाज में नेता जगत के अधिकाश नेता भूदासों की भावी पीढ़ी से संबंध रखते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर 2013 तक 26 विभागों से गठित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार में से 25 विभागों के नेता तिब्बत जाति के हैं और वे अधिकांश भूदासों की भावी पीढ़ी के हैं।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के गरीबी उन्मूलन कार्यालय के प्रधान छ्युनि यांगपेई ने कहा कि वे खुद भूदास की भावी पीढ़ी हैं। पूर्वजों ने कभी नहीं सोचा कि उनकी संतान सिर्फ भूदास नहीं बनेगी, बल्कि सरकारी विभाग के नेता बनेंगे।
गौरतलब है कि वर्ष 1959 में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने के बाद सामंती भूदास व्यवस्था समाप्त हुई। समाज में किसी स्थान नहीं होने वाले भूदास राष्ट्रीय मामले और अपने क्षेत्रीय जातीय मामले के निपटारे में भाग लेने लगे।
(श्याओ थांग)