बांग्लादेश में आम चुनावों के लिए मतदान 5 जनवरी को हुआ। चुनाव आयोग द्वारा 6 जनवरी को जारी परिणाम के अनुसार सत्तारूढ़ अवामी लीग ने कुल 232सीटें जीती हैं, जो कि सरकार गठन के लिए पर्याप्त हैं। उधर बांग्लादेश के विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय हड़ताल करने और दोबारा चुनाव आयोजित करवाने की अपील की है।
ध्यान रहे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बी एन पी समेत 21 दलों ने इस चुनाव का बहिष्कार किया ।देश के 300 चुनाव क्षेत्रों में से 153 क्षेत्रों में सिर्फ एक एक उम्मीदवार खडा हुआ और मतदान के बिना ही निर्वाचित127 उम्मीदवार अवामी लीग के हैं । चुनाव आयोग के ताजा आंकडों के मुताबिक बाकी 147 चुनाव क्षेत्रों में से 139 चुनाव क्षेत्रों के परिणाम सामने आए हैं ।अवामी लीग ने 105 चुनाव क्षेत्रों में विजय पायी ।इस तरह संसद में अवामी लीग की कुल सीटों 232 तक जा पहुंची है ,जो संसद की सीटों के आधे से काफी ज्यादा हो चुकी है ।
इसके अलावा इस चुनाव में हुसैन अरशद के नेतृत्व वाली जामात ए इस्लामी पार्टी ने 31 सीटें जीती हैं और अन्य दलों व निर्दलीय को 27 सीटों पर जीत हासिल हुई है।
गौरतलब है कि पहले बांग्लादेश में निर्दलीय व्यक्तियों से गठित कार्यवाहक सरकार के नेतृत्व में आम चुनाव किया जाता था ,लेकिन इस आम चुनाव के पहले अवामी लीग सरकार ने पुरानी व्यवस्था रद्द कर दी ।विपक्षी पार्टियों के विचार में इस से आम चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी ,इसलिए उन्होंने इस चुनाव को बायकोट किया और चुनाव के बाद घोषणा की कि 6 जनवरी की सुबह 48 घंटे का आम हडताल करने की घोषणा की और चुनाव परिणाम रद्द करने की मांग की ।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार 5 जनवरी को मतदान के दिन बांग्लादेश में कुल 24 लोग आम चुनाव से संबंधित हिंसा में मारे गये ।इसके अलावा 4 व 5 जनवरी को 18000 मतदान केंद्रों में से 600 पर हमले किये गये ।कुछ इलाकों में हजारों पर्दर्शनकारियों ने गैस बम से मतदान केंद्रों पर हमला किया ।बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद यह बांग्लादेश में सबसे हिंसक चुनाव है ।
ध्यान रहे विरोध के बावजूद बांग्लादेश चुनाव आयोग ने गत 25 नवंबर को आम चुनाव करने की घोषणा की ।इसके बाद विपक्षी दलों के गठबंधन ने लगातार पांच बार देश में यातायात को नाकेबंदी करने की गतिविधि आयोजित की ।रिपोर्ट के अनुसार गत नवंबर से नाकेबंदी के बाद हुई हिंसा में कुल 100 से अधिक लोग मारे गये ।
हिंसक स्थिति के सामने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना ने 6 जनवरी को बताया कि विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद इस चुनाव की वैधता निसंदेह है ।उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने बी एन पी की अध्यक्ष खालिदा जिया को बहुदलीय अंतरिम सरकार में हिस्सा लेने का मौका दिया और विपक्षी दलों के साथ सत्ता शेयर करने की इच्छा व्यक्ति की । लेकिन सरकार की पूरी कोशिशों की उपेक्षा कर विपक्षी पार्टियों ने प्रतिक्रिया नहीं की ।
आम चुनाव में हुई हिंसक घटनाओं की चर्चा करते हुए हसीना ने कहा कि बीएनपी और आदि विपक्षी दलों ने पुलिस और निर्दोष लोगों की हत्या की ,जो आतंकी कार्रवाई थी । उन्हें यह कार्रवाई बंद करनी है।इसके बाद वे वार्ता के लिए तैयार होंगे।
बांग्लादेश के परिवहन मंत्री खादर ने 6 तारीख को मीडिया के साथ हुई बातचीत में कहा कि यह सामान्य चुनाव नहीं था ।मतदान दर ऊंची नहीं थी और त्योहार जैसा माहौल नहीं था ।लेकिन उसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता ।अगला कदम नयी सरकार का गठन करना है ।वे विपक्षी दलों के साथ वार्ता करने को तैयार है ,लेकिन इसकी पूर्वशर्त है कि विपक्षी दलों को हिंसा छोडनी है ।
उधऱ बीएनपी के उपाध्यक्ष ने 6 जनवरी को बताया कि नीची मतदान दर से जाहिर है कि लोग मतदान से अलग होने से इस चुनाव व्यवस्था के प्रति असंतोष व्यक्त करना चाहते थे ।उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को इस चुनाव को अवैधित घोषित करनी होगी ।हमें निर्दलीय व्यक्तियों से गठित कामचलाऊ सरकार के नेतृत्व में नये आम चुनाव की जरूरत है ।वर्तमान सरकार को समय बर्बाद नहीं करना चाहिए ।
बांग्लादेश के अखबार द देली स्टार ने कहा कि विपक्षी दलों के विरोध से बांग्लादेश में राजनीतिक संकट बना रहेग ।वर्तमान में दोबारा चुनाव करने की संभावना मौजूद है ,पर दोबारा चुनाव हसीना के लिए बडे जोखिम से भरा होगा ।चुनाव से पहले हुए एक जनमत सर्वे से जाहिर था कि अवामी लीग को खालिदा जिया की पार्टी से हारने की संभावना है ।
बांग्लादेश के अखबार न्यू सेंचुरी जर्नल ने कहा कि अगर सत्तारूद्ध अवामी लीग दोबारा चुनाव से सहमत नहीं हुआ ,तो इसका परिणाम व्यापक गंभीर होगा ।वर्तमान राजनीतिक संकट व सामाजाक डांवांडोल के अलावा अंतरराष्ट्रीय दबाव भी आएगा ।
ध्यान रहे अमेरिका ,यूरोपीय संघ और राष्ट्रमंडल के देशों ने इस बार आम चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नहीं भेजे ,क्योंकि उन्हें चिंता थी कि बांग्लादेश के विभिन्न पार्टियां एक पारदर्शी ,समावेशी व विश्वसनीय आम चुनाव के लिए जरूरत शर्त तैयार नहीं कर सके ।