भारत ने 5 जनवरी को पहली बार स्वनिर्मित क्रायोजेनिक इंजन वाले रॉकेट से करीब 2 टन वाले सूचना उपग्रह का प्रक्षेपण किया।
भारतीय समय के मुताबिक 5 जनवरी की शाम 4 बजकर 18 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से जीएसएलवी-डी 5 को सफलता के साथ लांच किया, जिसका वज़न 415 टन और लम्बाई 49 मीटर है, जिसने 1982 किलोग्राम के जीएसएटी-14 सूचना उपग्रह को अंतरिक्ष कक्ष में पहुंचाया।
इस रॉकेट यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, इसके साथ ही भारत विश्व में छठा देश बन गया है, जो क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट तकनीक से लैस है। भारत में विश्लेषकों का कहना है कि इस रॉकेट की सफल लांचिंग का अर्थ है कि भूमंडलीय वाणिज्य उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में भारत को स्थान मिला है और वह इसके आधार पर समानव अंतरिक्ष याजना भी लागू कर सकेगा।
गौरतलब है कि क्रायोजेनिक इंजन वाले रॉकेट में आमतौर पर तरल हाइड्रोजन और एलओएक्स का प्रयोग करता है, जो बहुत शक्तिशाली है, साथ ही यह आसानी से समायोजित किया जा सकता है और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभदायक है। वर्तमान में सिर्फ अमेरिका, रुस, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देशों के पास इस तरह की तकनीक उपलब्ध है।
(श्याओ थांग)