क्योंकि इस वर्ष रूस ने युवाओं में समलैंगिक कार्रवाई के प्रसार-प्रचार को बंद करने का कानून जारी किया। पश्चिमी देशों का मानना है कि इस कानून ने समलैंगिकों से भेदभाव किया, और समलैंगिक व्यक्तियों के मानवाधिकार पर नुकसान पहुंचाया। इसलिये उन्होंने रूस की आलोचना की। कुछ पश्चिमी देशों के नेताओं ने सोची शीतकालीन ओलंपिक का विरोध करने से रूस के प्रति अपना असंतोष प्रकट किया। वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, फ़्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवां होल्लांड, कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पेर, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे और कुछ अन्य पश्चिमी देशों के नेताओं ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि वे सोची शीतकालीन ओलंपिक के उदघाटन समारोह में भाग नहीं लेंगे। केवल लिथुआनिया के राष्ट्रपति ने कहा कि वे राजनीतिक कारणों से उदघाटन समारोह में भाग न लेंगे। अभी तक जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने यह नहीं कहा है कि वे भाग लेंगे या नहीं। पर स्थानीय मीडिया के अनुसार शायद उनकी भागीदारी की संभावना भी बहुत कम होगी। पश्चिमी देशों में केवल इटली के प्रधानमंत्री एनरिको लेत्ता ने उदघाटन समारोह में भाग लेने को कहा, लेकिन यह उनका अंतिम फैसला नहीं है।
पश्चिमी देशों के विरोध के प्रति रूस की आम राय है कि पश्चिमी देशों के इस फैसले से रूस का अपमान किया है। इतर तास के ख्याल से ओबामा व अन्य पश्चिमी देशों के नेताओं ने कभी किसी ओलंपिक में भाग नहीं लिया। इसलिये यह साधारण बात है कि वे सोची में नहीं आएंगे। और कुछ रूसी मीडिया के विचार में रूस शीतकालीन ओलंपिक द्वारा विश्व में अपनी छवि का सुधार करना चाहता है। यह सुधार खिलाड़ियों, प्रतिनिधिमंडल के अधिकारियों, संवाददाताओं, दर्शकों द्वारा अमल में होगा। नेताओं के अभाव से रूस पर असर नहीं पड़ेगा। उदाहरण के लिये वर्ष 2012 के यूक्रेन यूरोपीय कप में भी पश्चिमी नेताओं ने विरोध किया। लेकिन यूक्रेन की जनता के श्रेष्ठ काम ने विश्व की विभिन्न जगहों से आए खिलाड़ियों, संवाददाताओं व दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। और यूक्रेन की छवि भी बड़ी हद तक सुधरी। इसलिये यह कहा जा सकता है कि नेताओं की अपेक्षा खिलाड़ी व दर्शक ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे।
चंद्रिमा