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यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। 29 दिसम्बर को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने एक विदेशी मीडिया के साथ साक्षात्कार में कहा कि उन पर लगाया गया देश-द्रोह का आरोप"प्रतिशोधात्मक"कार्रवाई है, पाक सेना उनका पूरा समर्थन करती रहेगी। सुनिए विस्तार से
इन्टरव्यू में पाक सेना के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ मुशर्रफ़ ने कहा कि पूरी पाक सेना देशद्रोह के आरोप पर चिंतित है। एक सेनाध्यक्ष के रूप में उन्हें विश्वास है कि देशद्रोह वाले आरोप को लेकर सेना पक्ष और उनके विचार समान हैं।
इस साल अप्रैल महीने में घर में नज़रबंद होने के बाद मुशर्रफ ने पहली बार विदेशी मीडिया के सामने उक्त बात कही। इससे पहले मुशर्रफ़ के वकील ने बार-बार कहते रहे हैं कि मुशर्रफ पर लगाए गए आरोप स्पष्टतः राजनीति से प्रेरित हैं। पाक सेना के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ का पद संभालने के दौरान मुशर्रफ़ ने नवंबर 2007 में देश भर में इमरजेंसी लागू की थी। इसके चलते उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तान के इतिहास में पूर्व सैन्य नेता के खिलाफ़ पहली बार देशद्रोह का मुक़दमा चलाया गया है। अगर ये आरोप साबित हो जाता है, तो मुशर्रफ़ को मौत की सज़ा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
अब तक मुशर्रफ़ पर देशद्रोह के आरोप को लेकर पाक सेना ने कोई खुली टिप्पणी नहीं की, लेकिन कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि पाकिस्तान के 66 वर्षों के इतिहास में सैन्य शासन आधे से ज्यादा समय तक जारी रहा। इस तरह वर्तमान पाकिस्तान में सेना बहुत शक्तिशाली है। पूर्व सेनाध्यक्ष के रूप में मुशर्रफ़ पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। इस बात का भविष्य स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह तय है कि पाक सरकार को मुशर्रफ़ पर मुकदमा चलाते वक्त जरुर सतर्कता बरतनी होगी।
विश्लेषकों का विचार है कि पाक सेना अपने पूर्व प्रमुख को देशद्रोह के आरोप में मौत की सजा नहीं देखना चाहती। ऐसे में मुशर्रफ़ को मौत की सज़ा देने की ज्यादा संभावना नहीं है। इस बार के ट्रायल का अंतिम लक्ष्य पाक सेना की ताकत को कम करना है, नवाज शरीफ़ सरकार ने लम्बे समय तक मुशर्रफ़ को घर में नज़रबंद करके अपना उद्देश्य पूरा किया।
विश्लेषकों के अनुसार इस वर्ष मार्च में स्वदेश लौटकर चुनाव न लड़ पाने और घर में नज़रबंद किए जाने के बाद परवेज़ मुशर्रफ़ का पाकिस्तान में राजनीतिक करियर खत्म हो गया। और उनका प्रभाव और ताकत पहले से कम हो गयी है, उन्होंने अपने शासन काल में ज्यादा दुश्मन बनाए, देश में में रहना उनके लिए राजनीतिक लिहाज से ज्यादा बड़ा खतरा होगा। दूसरा कारण है कि पाक तालिबान समेत संगठनों ने मुशर्रफ़ के खिलाफ़ हत्या आदि की अपील नहीं छोड़ी है, देश में उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं है। ऐसे में मुशर्रफ के लिए पाकिसतान छोड़ना सबसे अच्छा विकल्प होगा।
(श्याओ थांग)