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अबे ने मानव-अंतरात्म को चुनौती दी
2013-12-27 16:08:11

चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रेस प्रवक्ता कंग यैन शंग ने गुरूवार को पेइचिंग में कहा कि जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे यासुकुनी मंदिर दर्शन के लिए गए। यह खुलेआम इतिहास के न्याय और मानव-जाति की अंतरात्मा को चुनौती देने वाली हरकत है। चीन जापान की सैन्य विस्तार वाली कार्यवाहियों के प्रति बहुत सतर्क रहता है। कंग यैन शांग ने यह भी कहा कि चीनी सेना ने पूर्वी चीन सागर के ऊपर देश के हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र की प्रभावी निगरानी के लिए 87 विमान भेजे हैं।

26 दिसम्बर को चीनी रक्षा मंत्रालय के नियमित प्रेस-कांफ्रेस में कंग यैन शंन ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के यासुकुनी मंदिर में जाने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहाः

`जापानी आक्रमणकारी युद्ध के शिकार चीन और अन्य एशियाई देशों की जनता की भावना को बर्बरता से पैरों तले रौंदने और खुले आम इतिहास के न्याय और मानव-जाति की अंतरात्मा को चुनौती देने वाली जापानी नेता की हरतक पर हम अपना आक्रोश प्रकट करते हैं और इसे लेकर हमने जापान के समक्ष जबरदस्त विरोध पेश किया है और उसकी कड़ी निंदा भी की है। जापान को इसके परिणाम भुगतने होंगे।`

इधर के दिनों में जापानी मंत्रिमंडल में लगातार 3 दस्तावेज पारित किए, जिनमें रक्षा-कार्यक्रम और रक्षा-शक्तियों में समायोजन संबंधी माध्यवधि योजना शामिल हैं। इसके अलावा जापान के रक्षा-बजट में लगातार दूसरे वर्ष भी बढो़त्तरी की गई है। इसके बारे में कंग यैन शंग ने कहा कि ऐतिहासिक कारणों की वजह से सैन्य सुरक्षा-नीति में बदलाव लाने और शस्त्रागारों का विस्तार करने की जापान की किसी भी कार्यवाही पर उसके पड़ोसी देश एवं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कड़ी नज़र रखते हैं और इसके साथ सतर्कता बरतते हैं। चीनी सेना अपने देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली किसी भी कार्यवाही के प्रति सतर्क रहते हैं और देश की संप्रभुत्ता की रक्षा के लिए हर समय मजबूत कदम उठाने को तैयार हैं।

पूर्वी चीन सागर के ऊपर चीनी हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र की स्थापना की ओर व्यापक ध्यान गया है। इसकी चर्चा करते हुए कंग यैन शंग ने कहा कि बीते एक महीने में चीनी सेना ने इस क्षेत्र की कारगर निगरानी के लिए 87 विमानों को भेजा है। उनका कहना हैः

`गत 22 दिसम्बर तक चीनी सेना ने पूर्वी चीन सागर के ऊपर चीनी हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र में दूसरे देशों एवं क्षेत्रों के करीब 800 विमानों की पहचान की। 23 देशों एवं क्षेत्रों की 56 एयर कंपनियों ने चीनी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण को अपने 21475 विमानों की उड़ान-योजनाओं से अवगत कराया। हवाई सुरक्षा और पहचान-कार्य के लिए चीनी सेना ने टोह विमान, सचेतक विमान और युद्धक विमान सहित 87 विमानों का प्रयोग किया।`

प्रेस-कांफ़्रेंस में एक संवाददाता ने पूछा कि कुछ समय पहले दक्षिण चीन सागर में चीन और अमेरिका के युद्धपोतों के बीच आमने-सामने की घटना हुई। क्या चीनी और अमेरिकी सेनाओं के बीच विवाद या टक्कर की रोकथाम वाली कोई व्यवस्था है? इसके जवाब में कंग यैन शंग ने कहा कि चीन यह पक्ष लेता रहा है कि विदेशी युद्धपोतों को चीन के निकटवर्ती समुद्री क्षेत्र में अपने मिशन के दौरान संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए और चीन की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का भी समादर करना चाहिए। चीन और अमेरिका दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच रक्षा मामलों पर सलाह-मशविरे, कार्य पर वार्ता, समुद्री सुरक्षा पर बैठक और हॉटलाइन जैसी व्यवस्थाएं कायम हैं। प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय नियम के अनुसार दोनों देशों के बीच सैन्य कार्यवाहियों को लेकर आवश्यक संपर्क भी जारी है।

कंग यैन शंग ने कहाः

`मिसाल के तौर पर दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों के युद्ध पोतों की आमने-सामने की स्थिति उत्पन्न होने के बाद चीनी युद्धपोत के कप्तान ने अमेरिकी युद्धपोत के कप्तान को सीधा फोन किया और उनके साथ बातचीत के जरिए स्थिति का समुचित निपटारा कर दिया। कहा जा सकता है कि चीन और अमेरिका के बीच विभिन्न स्तरों पर संपर्क और बातचीत बेहद जरूरी है।`

वर्ष 2013 में चीन के सैन्य राजनयिक कार्य में प्राप्त उपलब्धियों को गिनाते हुए कंग यैन शंग ने कहा कि इस साल चीनी सेना ने विदेशी सेनाओं के साथ 17 संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास किए हैं, जो एक रिकार्ड है। उन्होंने कहाः

`इस साल चीन का सैन्य राजनयिक कार्य सेना की युद्धक शक्तियों के निर्माण पर केंद्रित रहा है। चीनी सैन्य टुकड़ियों ने विदेशी सेनाओं के साथ संयुक्त रूप से कुल 17 द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय प्रशिक्षण और अभ्यास किए हैं। ये गतिविधियां सेना के थल, नौ और वायु तीनों अंगों से जुड़ी हैं और इनमें लड़ाई, आतंक-विरोध, समुद्रतस्युओं पर प्रहार, मानवीय सहायता और आपदा-प्रबंधन जैसे परंपरागत एवं गैर-परंपरागत सुरक्षा संबंधी आयोजन शामिल हैं। इन गतिविधियों से चीनी सेना और विदेशी सेनाओं के बीच विश्वास और सहयोग बहुत बढा है और सेनाओं का युद्ध करने का स्तर भी बहुत उन्नत हुआ है। `

दूसरी ओर विदेशी मीडिया की खबरों में कहा गया है कि चीन ने अपनी रणनीति और सैन्य ताकत दिखाने के लिए कोई 10 दिनों के भीतर लगातार दो परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रक्षेपण किया। इसके बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कंग यैन शंग ने कहा कि चीन द्वारा अपनी ही जमीन पर योजनानुसार वैज्ञानिक परीक्षण करना बिल्कुल सामान्य है। इस तरह का परीक्षण किसी भी विशेष देश और स्थल के खिलाफ़ नहीं है। चीन के हथियार और सैन्य साजोसामान राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत के लिए हैं। चीन प्रतिरक्षा की नीति अख्तियार करता रहा है और परमाणु हथियारों के पहले प्रयोग करने की चीन की नीति नहीं बदलेगी।

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