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यासुकुनी मंदिर के दर्शन पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने की निंदा व आलोचना
2013-12-27 12:55:45

जापानी प्रधानमंत्री अबे शिंजो ने 26 दिसंबर को यासुकुनी मंदिर का दर्शन किया। जिससे उन्हें न सिर्फ़ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निंदा, बल्कि अपने देश में भी आलोचना का सामना करना पड़ा।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता छिनकांग ने 26 दिसंबर को कहा कि जापानी नेता ने चीन समेत अन्य एशियाई देशों की युद्ध से पीड़ित जनता की भावना को ठेस पहुंचाई है, खुले तौर पर ऐतिहासिक न्याय व मानव नैतिकता का विरोध किया। इस पर चीन सरकार ने जबरदस्त रोष प्रकट किया, और जापान का कड़ा विरोध व निंदा की।

दक्षिण कोरिया सरकार के प्रवक्ता यू जिन रयोउंग ने 26 दिसंबर को वक्तव्य जारी करके कहा कि अबे ने पड़ोसी देशों व अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता व चेतावनी की अनदेखी करके यासुकुनी मंदिर के दर्शन किए। दक्षिण कोरियाई सरकार ने भी अपना क्रोध प्रकट करते हुए इसकी निंदा की।

जापान स्थित अमेरिकी दूतावास ने 26 दिसंबर को वक्तव्य जारी करके कहा कि अबे के यासुकुनी मंदिर के दौरे से जापान व पड़ोसी देशों के बीच तनाव पैदा हुआ है। अमेरिकी सरकार ने इस पर निराशा प्रकट की। आशा है कि जापान व पड़ोसी देश रचनात्मक तरीके से संवेदनशील मामलों का समाधान करके संबंधों का सुधार कर सकेंगे।

रूसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लुकाशेविच ने 26 दिसंबर को कहा कि रूस ने जापानी प्रधानमंत्री के यासुकुनी मंदिर के दर्शन पर खेद प्रकट किया। जापान व पड़ोसी देशों के बीच संबंधों का सुधार करने का आधार यह है कि ऐतिहासिक मामलों का सही तरीके से निपटारा किया जाए।

मलेशिया के द्वितीय विश्व युद्ध के ऐतिहासिक रिसर्च सोसायटी ने 26 दिसंबर को घोषणा पत्र जारी करके जापानी प्रधानमंत्री की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की। उनके ख्याल से यह कार्रवाई बड़ी हद तक युद्ध से पीड़ित जनता का अपमान करना है।

इसके अलावा अबे को जापान की अन्य पार्टियों की भी आलोचना का सामना करना पड़ा। जापानी कोमेइ पार्टी के नेता नात्सुओ यामागुची ने इस बात पर खेद प्रकट किया। जापानी डेमोक्रेटिक पार्टी की नीति निगरानी समिति के अध्यक्ष मित्सुरू साकुराइ ने कहा कि प्रधानमंत्री की इस कार्रवाई से जापान व चीन, दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा। अमेरिका भी ऐसा नहीं चाहता। टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ताकाहाशी तेत्सुया ने कहा कि जापान-चीन, व जापान-दक्षिण कोरिया के संबंधों के बीच तनाव हैं। अबे के यासुकुनी मंदिर के दर्शन से स्थिति और गंभीर होगी। प्रधानमंत्री के रूप में इसे मूर्खतापूर्ण कार्रवाई कहा जाएगा।

चंद्रिमा

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