अहम बात यह है कि हालांकि इस बार के क्लब विश्व कप में दर्शकों की उपस्थिति दर 65 प्रतिशत पहुंची। और कुछ मैचों, जिनमें मेजबान देश ने भाग लिया, में दर्शकों की भीड़ थी। लेकिन ब्राजिल व चीनी फुटबाल प्रेमियों की अपेक्षा इस बार चैंपियन की सबसे शक्तिशाली प्रतिस्पर्द्धी बेयर्न म्यूनिख के पीछे यूरोप महाद्वीप ने इस बारे में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। इस पर अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल संघ के अध्यक्ष सैफ ब्लाटर ने खेद जताया। उन्होंने कहा कि बीते कई वर्षों में क्लब विश्व कप क्रमशः जापान व संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित हुई। भूगोलीय परिस्थिति और समय के अंतर के चलते यूरोप में इस प्रतियोगिता को लेकर ज्यादा आकर्षण नहीं है। लेकिन अब मोरक्को यूरोप के द्वार पर है। पर स्थिति पहले की तरह है, तो बहुत निराशजनक है।
ब्लाटर ने कहा, सच कहूं तो, मैं थोड़ा निराश हूं। यहां विभिन्न महाद्वीपों के चैंपियन एकत्र हुए। और टूर्नामेंट का स्तर भी ऊंचा है। मुझे लगता है कि यूरोप को इस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। हालांकि हम यह समझते हैं कि शायद हाल ही में यूरोप में तमाम टूर्नामेंट हो रहे हैं। वे फुटबाल लीग, चैंपियंस लीग, और विश्व कप क्वालीफायर समेत कई महत्वपूर्ण मैचों में भाग लेने में व्यस्त हैं। क्लब विश्व कप का समय उन मैचों से टकरा गया। लेकिन क्लब विश्व कप भी एक बहुत प्रमुख मंच है, जहां विभिन्न महाद्वीपों की सर्वश्रेष्ठ टीमें एक-दूसरे से मुकाबला करती हैं। इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। टीवी पर इसका प्रसारण होने के साथ-साथ स्टेडियमों में अपनी फेवरिट टीम का उत्साह भी बढ़ाना चाहिए। मुझे आशा है कि अगले वर्ष आयोजित होने वाले मोरक्को क्लब विश्व कप में स्थिति बेहतर होगी।
अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल संघ के अनुसार वर्ष 2014 का क्लब विश्व कप मोरक्को में आयोजित होगा। इससे पहले कुछ खबरें थी कि चीन का क्वांगचो शहर इसकी मेजबानी के लिए आवेदन कर रहा है। इसकी चर्चा में अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल संघ के महासचिव वाल्टर ने इसकी पुष्टि की। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि रिजल्ट अगले वर्ष के सितंबर में सामने आएगा। उन्होंने कहा, अगले वर्ष 14 फ़रवरी में औपचारिक रूप से आवेदक शहरों की सूची सार्वजनिक की जाएगी। सितंबर 2014 में शायद विश्व कप जापान लौटेगा। क्योंकि हमारे व प्रायोजकों के बीच हुए समझौते के अनुसार, इस टूर्नामेंट को नियमित रुप से जापान वापस लौटकर आयोजित करना होता है। पर मैं यह खबर बताना चाहता हूं कि जापान को छोड़कर चीन ने भी मौखिक रूप से आयोजन के लिए आवेदन किया है। मध्य एशिया ने भी इस पर दिलचस्पी दिखाई है। गौरतलब है कि सितंबर 2014 में अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल संघ चार बार क्लब विश्व कप के आयोजक शहरों के नाम घोषित करेगा।
वास्तव में वाल्टर का मतलब यह है कि वर्ष 2015 से वर्ष 2016 तक दो बार के क्लब विश्व कप में जापान की संभावना सबसे बड़ी है। प्रायोजकों के कारण के अलावा उन क्षेत्रों में फुटबाल का तेज विकास भी एक महत्वपूर्ण कारण है। उन्होंने कहा, क्लब विश्व कप का आवेदन शहर चुनने में इस बात का विचार करना होगा कि एशिया में फुटबाल का महत्व। क्योंकि विश्व में दो तिहाई लोग एशिया में रहते हैं, और एशिया में फुटबाल का विकास बहुत तेजी से हो रहा है। पूर्वी एशिया व पश्चिमी एशिया में आयोजित व्यवसायिक लीग, खासतौर पर जापान के जे लीग व दक्षिण कोरिया के के लीग में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई है। आशा है कि भविष्य में एशियाई फुटबाल संघ का व्यापक विकास होगा।
चीनी फुटबाल की चर्चा में ब्लाटर ने कहा कि बाजार व खर्च आदि कारण के चलते चीन में फुटबाल के स्तर और विकास में सुधार आया है। उन्होंने कहा, मेरे ख्याल से चीन ओलंपिक के स्वर्ण पदक ज्यादा पसंद करता है। पर ओलंपिक में फुटबाल से जुड़े केवल दो स्वर्ण पदक हैं। इसलिये लंबे समय तक फुटबाल चीन में उपेक्षित रहा। पर वर्ष 2008 के बाद यह स्थिति बड़ी हद तक बदल गयी। वे कोशिश कर रहे हैं। उदाहरण के लिये क्वांगचो हंगडा तो एशिया में चैंपियन बनकर क्लब विश्व कप में पहुंच गया। चीन में फुटबाल का विकास उज्जवल होगा।
चंद्रिमा