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चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी का ग्रामीण कार्य-सम्मेलन 23 और 24 दिसम्बर को राजधानी पेइचिंग में आयोजित हुआ। इसमें कहा गया है कि चीन को खाद्यान्न सुरक्षा और किसानों की आय में बढ़ोतरी को अपने कार्य का केंद्र बनाना चाहिए और कृषि-आधुनिकीकरण के लिए अपनी विशेषता वाले नए ढंग का ऐसा रास्ता खोजने की जरूरत है। जिसके तहत उत्पादन की तकनीक प्रगतिशील हो, संचालन का पैमाना संतुलित हो, बाजार की स्पर्द्धा-शक्ति बड़ी हो और पारिस्थितिक पर्यावरण संरक्षित हो।
उल्लेखनीय है कि यह सम्मेलन सर्वोच्च दर्जे का कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय पोलित ब्यूरो के 7 स्थाई सदस्य उपस्थित थे। पार्टी प्रमुख, राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली ख छ्यांग ने भाषण दिए और संबंधित कार्यों का ठोस बंदोबस्त किया। इससे जाहिर है कि सरकार कृषि, ग्रामीण क्षेत्र और किसानों को भारी महत्व दे रही है। चीनी राज्य परिषद के विकास अनुसंधान केंद्र की अकादमिक समिति के महासचिव, कृषि-विशेषज्ञ छंग क्वो छ्यांग ने कहाः
`इस सम्मेलन में देश के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति से यह देखा गया है कि केंद्रीय नेतृत्व-समूह समझ गया है कि कृषि देश के चार आधुनिकीकरण (नए ढंग का औद्योगिकीकरण, सूचना-प्रौद्योगिकीकरण, शहरीकरण और कृषि का आधुनिकीकरण) में कमजोर है, साथ ही देश को पूर्ण खुशहाली पाने से पीछे भी खींचता है। ऐसे में कृषि, ग्रामीण क्षेत्र और किसानों से जुड़े कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए, कृषि व्यवस्था की मजबूती से अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। और किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पूर्ण खुशलाही की उपलब्धता को बढावा दिया जाना चाहिए।`
दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाले देश के नाते चीन में 1 अरब 30 करोड़ नागरिकों के खाने की समस्या को सुलझाना हमेशा चीनी सतारूढ पार्टी और सरकार के सामने मौजूद एक बड़ी चुनौती रही है। बीते एक दशक में चीन में अनाज की पैदावार में लगातार वृद्धि बनी रही। इससे न केवब 1 अरब 30 करोड़ लोगों को जरूरी अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है, बल्कि वैश्विक अनाज की सुरक्षा में भी उसका बड़ा योगदान हुआ है। अभी संपन्न सम्मेलन में चीन सरकार ने खाद्यान्न सुरक्षा पर जोर देते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि नागरिकों को प्रमुख अनाज की बुनियादी आपूर्ति और अनाज की सुरक्षा को पूरी तरह से सुनिश्चित की जाएगी।
इस पर कृषि-विशेषज्ञ छंग क्वो छ्यांग ने कहाः
`मेरे विचार में इसका मतलब है कि प्रमुख अनाज बुनियादी तौर पर देश खुद पैदा करता है और बाकी खाद्य पदार्थों का आयात किया जा सकता है।`
इस सम्मेलन में यह भी कहा गया है कि चीन अपने निश्चित एकड़ में कृषि-खेतों को संरक्षित करेगा और इन खेतों में अनाज की पैदावार को स्थिर बनाएगा। सम्मेलन में ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी संचालन-व्यवस्था और जमीन पर किसानों के मालिकाना हक पर विशेष जोर दिया गया है। इसके बारे में चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी की कृषि-विकास अनुसंधानशाला के शोधकर्ता ली क्वो श्यांग ने कहाः
` इस समय चीनी ग्रामीण क्षेत्र में विकास बदलने के महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है। इस दौरान गांवों में जमीन किस के हाथ में जाएगी और संचालन की व्यवस्था में कौन सा सुधार आएगा, यह सब अनिश्चित है। लेकिन चाहे कौन सा परिवर्तन क्यों न हो जाए, गांवों में सामूहिक मिलकियत जारी रहेगी और ऐसा होने से ही ग्रामीण विकास समाजवादी रास्ते के तहत हो सकता है और गांवों में अधिक सामंजस्य एवं स्थिरता हो सकती है तथा किसान सही मायने में खुशहाल जीवन बिता सकते हैं।`
इस सम्मेलन में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और खाद्य पदार्थों की सुरक्षा भी प्रमुख मुद्दों में शामिल थे। सम्मेलन में कहा गया कि सबसे एहतियाती मानक, सब से सख्त नियामन, सबसे कड़ी सजा और सबसे गंभीर जवाबदेही जैसे उपायों से व्यापक जनता के खाने की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा। इससे जाहिर है कि चीनी सतारूढ पार्टी और सरकार खाद्य पदार्थो की सुरक्षा को व्यापक महत्व दे रही है। ली क्वो श्यांग ने कहाः
`देश में खाद्य पदार्थों की सुरक्षा पर वर्षो से जोर दिया जाता रहा है। लेकिन अब भी समस्याएं मौजूद हैं। इस स्थिति का सज़ा और जवाबदेही से सीधा संबंध है। कई इलाकों में स्थानीय हित और उत्पादन के संरक्षण के लिए खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता एवं सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया। इसलिए जवाबदेही-व्यवस्था मजबूत की जानी चाहिए और इसके जरिए इन लोगों को समुचित दंड दिया जाना चाहिए, जो असुरक्षित खाद्य पदार्थों के कारण होने वाली घटनाओं के लिए दोषी पाए जाए।`