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21 दिसम्बर को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपने वकील ख़ालिद रान्जहा के जरिए इस्लामाबाद के हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने अपने विरोधी राजद्रोह के मुकदमे को रोकने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि नवम्बर 2007 में परवेज मुशर्रफ ने सेना-प्रमुख की हैसियत से देश भर में आपात स्थिति लागू की थी। अगस्त 2008 में वो राष्ट्रपति-पद से इस्तीफ़ा देने को मजबूर हो गए थे और वर्ष 2009 में वो निर्वासन में देश से बाहर चले गए थे। उन्हें आशंका थी कि वो फिर से मज़बूत हो जाए और न्यायालय कहीं उन्हें कारावास की सजा न सुना दे। ऐसे में वो इस साल मार्च में कई सालों के निर्वासन के बाद चुनाव में भाग लेने के लिए लौट आए, मगर न्यायालय ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। इसके एक महीने बाद यानी अप्रैल में कई आरोप लगाकर उन्हें नज़रबंद कर दिया गया। इन आरोपों में पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो और बलूच कबायली नेता की हत्या, न्यायाधीशों को नज़रबंद करना और लाल मस्जिद कार्रवाई के आदेश देना शामिल थे। यद्यपि मुशर्रफ को जमानत की राहत मिली, लेकिन गत 17 नवम्बर को पाक सरकार ने उनके खिलाफ़ राजद्रोह का औपचारिक मुकदमा चलाने की प्रक्रिया शुरू करवाने की घोषणा की। इसके अनुसार आसन्न 24 दिसम्बर को मुशर्रफ को विशेष अदालत में पेश होना होगा। अगर उन पर लगे राजद्रोह का अपराध साबित हुआ, तो उन्हें मौत या उम्रकैद की सजा होगी।
मुशर्रफ़ द्वारा अपने वकील के जरिए इस्लामाबाद के हाई कोर्ट में दायर की गई एक याचिका-पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2007 में मुशर्रफ ने सेना-प्रमुख के तौर पर आपात स्थिति लागू की। इस बात को लेकर उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। इस मामले का सैन्य कानून के अनुसार सैन्य अदालत में निपटारा किया जाना चाहिए। हकीकत यह है कि मुशर्रफ़ ने विभिन्न पक्षों के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद भी आपात स्थिति लागू की थी। यह उनकी अपने की इच्छा नहीं थी। लेकिन अब सिर्फ अकेले उनपर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। यह संविधान के न्याय और स्वतंत्रता के खिलाफ़ है।
दूसरी ओर मुशर्रफ़ के वकील ने 20 दिसम्बर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के सामने आवेदन किया कि वह मुशर्रफ के खिलाफ़ राजद्रोह के मुकदमे में हस्तक्षेप करे या इस मुकदमे की देखरेख करे।
कुछ समय पहले मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान के दो निजी टीवी चैनलों को दिए अपने साक्षात्कार में कहा कि वो अपने पर लगे सभी आरोपों का सामना करेंगे और कायर की तरह देश छोडकर नहीं भागेंगे। उनका कहना है, `मैं तमाम मामलों का सामना करूंगा और देश छोड़कर नहीं भागूंगा, जैसा कोई कायर करता है। मेरे खिलाफ़ लगाए गए ये सारे मामले झूठे हैं और इनमें पर्याप्त सबूत भी नहीं हैं। मैंने जो कुछ भी किया वह पाकिस्तान के लोगों की भलाई और देश की बेहतरी के लिए किया। मैंने शायद गलती की है, तो भी इसके पीछे मेरी मंशा सही थी। अगर मैंने सचमुच गलती की, तो मुझे क्षमा कीजिए।
उल्लेखनीय है कि मुशर्रफ के वकील ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग से मुशर्रफ के खिलाफ़ मुकदमा चलाने की प्रक्रिया में दखल देने का अनुरोध करते समय कहा कि इस मामले में राजनीतिक रंग साफ़ तौर पर दिख रहा है। इसलिए यह मुकदमा जरूर नाटकीय होगा।
पाकिस्तान में विश्लेषकों का मानना है कि क्योंकि सेना अपने पूर्व प्रमुख को जेल में कैद नहीं देखना चाहती है और सऊदी अरब के शाही परिवार एवं अमेरिका सरकार इसमें मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए यह मुकदमा किसी दिशा में चलेगा, इसका सही आकलन कोई नहीं कर सकता है। कुछ लोग कहते हैं कि परवेज़ मुशर्रफ़ के खिलाफ़ जितने भी मामले रहे, उनसे संबंधित कार्यवाही अब तक बेहद धीमी रही। ज़मानत दिए जाने के अलावा इन मामलों में फ़ैसला हमेशा स्थगित होता रहा। संक्षेप में मुशर्रफ़ की आखिरकार रिहाई की बड़ी संभावना है। मुशर्रफ को उनके निवास में नजरबंद हुए 8 महीने हो गए हैं। इस तरह नवाज शरीफ प्रशासन का बन्दर को मुर्गी मार डालने का नाटक दिखाने का उद्देश्य पूरा हो गया है। यह उद्देश्य किसी को बताता है कि अगर वह दुस्साहस के साथ राजविद्रोह करता है, तो मुशर्रफ उसका उदाहरण होगा।