पाक पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ ने 19 दिसंबर को दो पाक निज़ी टीवी चैनलों को साक्षात्कार दिया। इस वर्ष अप्रैल से नजरबंद होने के बाद उन्होंने पहली बार इंटरव्यू दिया। मुशर्रफ़ ने कहा कि वे एक अपराधी नहीं हैं। वे सभी आरोपों का सामना करेंगे और पाकिस्तान छोड़कर कहीं नहीं भागेंगे। 24 दिसंबर को वे सैन्य राष्ट्रपति विशेष अदालत में पेश होकर देशद्रोह मामले की सुनवाई में उपस्थित होंगे। अगर उन पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो उन्हें मौत या आजीवन कारावास की सज़ा मिल सकती है।
मुशर्रफ़ ने पाक की राजधानी इस्लामाबाद स्थित अपने बंगले में यह साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार लगभग दो घंटे तक चला। वर्ष 2008 अगस्त में मुशर्रफ़ ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफ़ा दिया। वर्ष 2009 से वे अपने निर्वासन के दौरान ब्रिटेन में रह रहे थे। इस वर्ष मार्च में वे चुनाव में भाग लेने के लिये पाकिस्तान वापस लौटे। लेकिन कोर्ट ने उन्हें चुनाव में भाग लेने से मना कर दिया। अप्रैल में मुशर्रफ़ को गिरफ्तार किया गया। और तीन मुकदमों से संबंधित होने की वजह से उन्हें नजरबंद रखा गया था। 6 नवंबर तक वे रिहा हो गये। लेकिन 17 नवंबर को पाक सरकार ने मुशर्रफ़ के खिलाफ़ देशद्रोह मामले की सुनवाई शुरू करने की घोषणा की। हालांकि, उन पर बार-बार कईं मुश्किलें आई हैं, पर मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान वापस लौटने पर खेद प्रकट नहीं किया। उन्होंने कहा है कि मुझे अपने घर की याद आती है। यहां मेरे दोस्त हैं और यह मेरा देश है।
मुशर्रफ़ ने बल देकर कहा कि उनसे जुड़े सभी मुकदमे केवल बहाने हैं। यह उनके खिलाफ़ गंभीर राजनीतिक साजिश हैं। मुकदमे द्वारा उनके विरोधी अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहते हैं। यानी उन्हें इस वर्ष के बड़े चुनाव में भाग लेने का मौका नहीं दिया गया। मुशर्रफ़ ने यह भी कहा है कि उन्होंने अपने 9 साल के शासनकाल में शायद कुछ गलतियां कीं, लेकिन वह सब उन्होंने देश के लिए किया।
वर्तमान में मुशर्रफ़ पाक गृहमंत्रालय द्वारा जारी प्रतिबंधित नामसूची में शामिल हैं। इसकी चर्चा में मुशर्रफ़ ने कहा कि मुकदमा समाप्त होने से पहले वे पाकिस्तान छोड़कर नहीं जाएंगे। वे सभी मुकदमों का सामना करेंगे ,ताकि सब स्पष्ट हो जाए।
24 दिसंबर को मुशर्रफ विशेष अदालत में प्रस्तुत होकर उन पर लगे देशद्रोह मामले की सुनवाई में शामिल होंगे। पाक के इतिहास में वे पहले ऐसे सैन्य शासक है जिन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है। अगर अपराध सही साबित होंगे, तो उन्हें मौत की सज़ा या आजीवन कारावास मिलेगा। 3 नवंबर 2007 को मुशर्रफ़ ने देशभर में आपातकाल घोषित किया। उन पर कई न्यायाधीशों को निरोध करने का भी आरोप लगाया गया।
चंद्रिमा