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चीनी टेक्नोलॉजी एसोसिएशन द्वारा आयोजित वैज्ञानिक और मीडियाकर्मियों के बीच मुलाकात 17 दिसंबर को हुई। चीनी चंद्र अन्वेषण परियोजना के जनरल डिजाइनर वू वेई रन ने कहा कि चंद्र अन्वेषण परियोजना के लिए चीन ने व्यापक खर्च नहीं किया है। अब चीन मंगल ग्रह का अन्वेषण करने में सक्षम है।
"छांग अ-3" चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग सफल रही। अन्वेषण कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। "छांग अ-3" की लैंडिंग के बाद कुछ समस्या सामने आई। कुछ लोगों का विचार है कि अमेरिका और रूस ने चांद पर सफल लैंडिंग की। चीन ने संबंधित कार्य के लिए व्यापक खर्च किया। इस पर चीनी चंद्र अन्वेषण परियोजना के जनरल डिजाइनर वू वेई रन ने कहा कि "छांग अ-3" के लिए चीन सरकार द्वारा लगाई गई पूंजी का चीन की जीडीपी में बहुत छोटा अनुपात है। अमेरिका चंद्र अन्वेषण के लिए हर साल जीडीपी के 2.5 प्रतिशत का प्रयोग करता है। इसकी तुलना में चीन का निवेश ज्यादा नहीं है। वू वेई रन ने कहाः
"60 और 70 के दशक में अमेरिका और रूस ने क्रमशः 118 बार चंद्र अन्वेषण किए, लेकिन अधिकांश विफल रहे। "छांग अ-3" के प्रक्षेपण दुनिया में 130वीं बार है। अमेरिका ने अपोलो प्रोजेक्ट के लिए 25 अरब डॉलर की पूंजी लगाई, जो सालाना जीडीपी का 2.0 से 2.5 प्रतिशत है। लेकिन चीन सरकार द्वारा लगाई गई पूंजी का चीन की जीडीपी में बहुत छोटा हिस्सा है।"
चंद्र अन्वेषण परियोजना के महत्व की चर्चा में वू रन वेई ने कहा कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है। नागरिक और प्रतिरक्षा आदि क्षेत्रों में तकनीकी उपलब्धियों के हस्तांतरण की प्रभावशीलता और परिणाम समय से चलते सामने आएगा। उन्होंने कहा कि अपोलो प्रोजेक्ट की सफलता के कई सालों बाद इसके इनपुट और आउटपुट का अनुपात 1:1.5 तक पहुंचा।
बताया जाता है कि "छांग अ-3" मिशन सफल होने के बाद चीन की चंद्र अन्वेषण परियोजना तीसरे चरण में प्रवेश करेगी, जिसका मुख्य काम मानवरहित स्वचालित नमूने लेकर फिर वापस आने के लिए है। "छांग अ-5" चंद्रयान का अध्ययन ठीक-ठाक चल रहा है। अनुमान है कि इसका प्रवेक्षण 2017 में उचित समय पर किया जाएगा। राकेट वाहक व्यवस्था के उप जनरल डिजाइनर ल्यू च्येन चोंग ने कहा कि "छांग अ-5" चंद्रयान का प्रक्षेपण दक्षिण चीन के हाईनान के वनछांग प्रक्षेपण केन्द्र में किया जाएगा, क्योंकि यहां की व्यापक श्रेष्ठताएं हैं। उनका कहना हैः
"छांगचंग नंबर पांच राकेट का साइज बड़ा है, जिसका व्यास करीब 5 मीटर है। परिवहन की दृष्टि से देखा जाए, तो हाईनान का वनछांग प्रक्षेपण और उचित है।"
बताया जाता है कि अब चीन मंगल ग्रह का अन्वेषण करने में सक्षम है। कब संबंधित अनुसंधान करेगा, देश की वित्त और नीति पर निर्भर है। चीनी चंद्र अन्वेषण परियोजना के जनरल डिजाइनर वू वेई रन ने कहाः
"उपग्रह, चंद्र अन्वेषण और मंगल ग्रह अन्वेषण में चीन की परिपक्व प्रणाली है। हर कदम अगरे चरण के लिए आधार तैयार करता है। अब चीन मंगल ग्रह का अन्वेषण करने में सक्षम है।"