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अमेरिका ने कदम उठाया ईरान के खिलाफ़ नए प्रतिबंध को रोकने के लिए
2013-12-13 15:10:17


अमेरिका के वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय दोनों ने 12 दिसम्बर को घोषणा की कि इन कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ़ प्रतिबंध लगाया जाएगा और किसी भी अमेरिकी नागरिक और उनके बीच व्यापार पर रोक लगायी जाएगी, जिन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समर्थन दिया है।

वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय का दावा है कि ईरान, सिंगापुर, फिलिपीन्स और यूक्रेन आदि देशों की दसेक कंपनियों और व्यक्तियों पर संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दंड से बचने और ईरान को परमाणु हथियार बनाने में काम आने वाली सामग्रियां देने का बड़ा संदेह है। ऐसे में इन कंपनियों और व्यक्तियों के साथ अमेरिकी नागरिकों को व्यापार करने से रोका जाएगा और इन कंपनियों एवं व्यक्तियों की वर्तमान धन-दौलत या अमेरिका में उन की किसी भी संपति को फ़्रीज किया जाएगा। इन कंपनियों एवं व्यक्तियों को सुविधाएं या भौतिक समर्थन देने वाली किसी भी विदेशी वित्तीय संस्था या व्यक्ति को किसी भी अमेरिकी वित्तीय संस्था का दौरा करने की इज़ाज़त नहीं दी जाएगी।

इस साल ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संबंधित 6 देशों और ईरान के बीच प्रथम चरण का समझौता संपन्न होने के बाद यह अमेरिका का अपना तरह का पहला कदम है, जिसके तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को मदद देने वाली कंपनियों और व्यक्तियों की नामसूची बनाई गई है। अमेरिकी वित्त मंत्रालय के आतंक-विरोध और सूचना-कार्य की देखरेख करने वाले उपप्रभारी डेविड कोहेन ने कहा कि दंड देने वाले इस कदम का मकसद दुनिया भर के उद्योगों, बैंकों और सिक्यूरिटी व्यापारियों को याद दिलाना है कि अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक संपूर्ण समझौता संपन्न करवाने की कोशिश कर रहा है, तो भी वह ईरान के खिलाफ पुराने प्रतिबंध के अमलीकरण में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

ओबामा प्रशासन के इस कदम को अमेरिका की बहुत सी मीडिया-संस्थाओं ने कांग्रेस में ज्यादा समर्थन प्राप्त करने की और ईरान के खिलाफ नया प्रतिबंध लगाने में अस्थाई देरी करने की उस की कोशिश करार दिया। ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका समेत 6 देशों और ईरान के बीच अस्थाई समझौता संपन्न हुआ तो है, और ईरान आने वाले आधे साल में अपने पर लगे प्रतिबंधों को हल्का करवाने के एवज में यूरेनियम-संवर्द्धन के अपने कुछ काम को अस्थाई तौर पर बन्द करेगा, लेकिन अमेरिकी कांग्रेस में बहुत से सांसद और सीनेटर इस समझौते का विरोध करते हैं। उनका मानना है कि ईरान की यूरेनियम-संवर्द्धन योजना परमाणु हथियार बनाने के लिए ही है। कथित समझौते के अनुसार ईरान में परमाणु ईंधन बनाने वाले बुनियादी संस्थापनों को कम नही किया गया है। वास्तव में यह समझौता ईरान के लिए अपने परमाणु कार्यक्रम बढाने का एक बहाना है। बहुत से सांसदों ने कहा कि हाइट हाउस ने सोचा कि वह राजनयिक तरीके से ईरान को परमाणु कार्यक्रम छोड़ने के लिए समझाने-बुझाने में सफल रहेगा, यह एक गलत विचार है। केवल आर्थिक प्रतिबंध से ईरान को वार्ता की मेज पर ला दिया जा सकता है। इस स्थिति में अमेरिकी कांग्रेस के बहुत से सदस्य ईरान के खिलाफ़ और भी सख्त नया प्रतिबंध लगवाने की कोशिश करते रहे हैं। उधर ईरान के विदेश मंत्री जरीफ़ ने 9 दिसम्बर को कहा कि अगर अमेरिकी कांग्रेस में ईरन के खिलाफ़ नया प्रतिबंध वाला प्रस्ताव पारित हुआ, तो ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संपन्न प्रथम चरण का समझौता बेकार होगा।

इस समझौते की रक्षा के लिए ओबामा सरकार भी कांग्रेस में ईरान के खिलाफ़ नये प्रतिबंध वाले प्रस्ताव को पारित करने से रोकने का प्रयास कर रही है। विदेश मंत्री केरी ने 10 दिसम्बर को कांग्रेस के प्रतिनिधि-सदन की कूटनीतिक कमेटी की सुनवाई-बैठक में बल देकर कहा कि गत नवम्बर माह में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संपन्न समझौते से अमेरिका और अधिक सुरक्षित हो गया है। उन्होंने अपील की कि राजनयिक वार्ता की इस नाजुक घड़ी पर वार्ताकारों को और अधिक समय एवं गुजाइश दी जाए। उन्होंने 11 दिसम्बर को भी वित्त मंत्री जाकोब लेऊ के साथ सीनेट में ईरान की परिस्थिति के बारे में रिपोर्ट दी और ईरान के खिलाफ नये प्रतिबंध वाले प्रस्ताव को अस्थाई तौर पर पास न करने की उम्मीद भी जताई। एक दिन बाद यानी 12 दिसम्बर को वित्त मंत्रालय के आतंक-विरोध और सूचना-कार्य की देखरेख करने वाले उपप्रभारी डेविड कोहेन और विदेश मंत्रालय के ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर प्रथम वार्ताकार शेर्मान ने भी संयुक्त रूप से सीनेट की बैंकिंग-कमेटी की सुनवाई-बैठक में हिस्सा लिया और पूरे सीनेटरों को ईरान के खिलाफ नया प्रतिबंध वाला प्रस्ताव नहीं पारित करने के लिए समझाने-बुझाने की अपनी कोशिशें जारी कीं।

ओबामा प्रशासन के लिए सब से सकारात्मक जवाब सीनेट की बैंकिंग-कमेटी से मिला है। दरअसल यह कमेटी आर्थिक प्रतिबंध का मुख्य प्रवर्तक है। लेकिन इस बार उसने अपने रूख में बड़ा बदलाव लाया है। कमेटी-अध्यक्ष टिम जोहनसोन ने 10 दिसम्बर को नरम बयान दिया था, फिर 12 दिसम्बर को उन्होंने सुनवाई-बैठक दोहराया कि उनकी कमेटी ने ईरान के खिलाफ नया प्रतिबंध वाला प्रस्ताव पारित करने को स्थगित करने का फैसला लिया है। जोहनसोन ने कहा कि उनके विचार में ईरान के खिलाफ़ अस्थाई तौर पर नया प्रतिबंध नहीं लगाने की सरकार की मांग तर्कसंगत है। सब जानते हैं कि नये प्रतिबंध से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की योजना को नुकसान पहुंचेगा।

जोहनसोन के अलावा प्रतिनिधि-सदन में भी कुछ वरिष्ठ सासंदों ने भी ईरान के खिलाफ़ अस्थाई तौर पर नया प्रतिबंध नहीं लगाने की सरकार की मांग का समर्थन किया है। तो भी निश्चित संख्या में सांसदों ने प्रतिबंध-प्रस्ताव को पारित करने की कोशिश जारी रखने की बात दोहराई है। रिपब्लिकन सांसद मार्क कर्क और लिनद्सेई ग्रेहम उन के प्रतिनिधि हैं। ग्रेहम ने 12 दिसम्बर को यहां तक कहा कि वो ईरान के खिलाफ नये प्रतिबंध वाले प्रस्ताव को एक पूर्वक धारा के रूप में `रक्षा प्राधिकरण विधेयक` में शामिल करेंगे, ताकि ईरानी समझ सके कि प्रतिबंध का उद्देश्य उन्हें वार्ता की मेज पर लौटाना है।

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