Web  hindi.cri.cn
विश्व को मूल्यवान राजनीतिक संपत्ति दी मंडेला ने
2013-12-06 16:39:31

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन स्थानीय समयानुसार 5 दिसंबर, की रात 8 बजकर 50 मिनट पर जोहानसबर्ग स्थित अपने घर में हुआ। वे 95 वर्ष के थे। विश्व में सबसे सम्मानित नेताओं में एक होने के चलते मंडेला ने दक्षिण अफ़्रीका का नेतृत्व करके रंगभेद व्यवस्था को समाप्त किया, और एक बहुराष्ट्रीय लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना की। जिसने उनके देश, अफ़्रीका यहां तक कि विश्व पर व्यापक प्रभाव डाला। चीन में अफ़्रीका मामलों की अनुसंधान संस्था के उप प्रधान, और चीन में अफ़्रीकी इतिहास अनुसंधान संस्था के उप प्रधान प्रोफ़ेसर ल्यू होंग वू के ख्याल से मंडेला ने विश्व को बहुत मूल्यवान राजनीतिक संपत्ति दी।

वर्ष 1994 में नए दक्षिण अफ्रीका की स्थापना के बाद देश का स्थिर विकास हो रहा है। और धीरे धीरे वह विश्व में एक ध्यानाकर्षक नवोदित आर्थिक समुदाय बना और ब्रिक्स देशों में भी शामिल हुआ है। दक्षिण अफ़्रीका के आर्थिक विकास और विकास की नयी व समावेशी व्यवस्था की स्थापना से पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप में आशा की किरण जगी। प्रोफ़ेसर ल्यू होंग वू के विचार में ये सभी मंडेला की जिन्दगी भर के प्रयासों से अलग नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, वे हमेशा राष्ट्रीय सुलह व नस्लीय समावेश के समर्थक रहे। वास्तव में राष्ट्रीय सुलह की भावना अफ़्रीका में परंपरागत संस्कृति के बराबर है। जो पश्चिमी सभ्यता में प्रतिस्पर्द्धा और व्यक्तिगत बहादुरी से अलग है। इस भावना में समावेशी विकास पर जोरे देने के साथ-साथ परिवार और समाज में मानव के विभिन्न समूहों के बीच सामंजस्य बिठाने पर ध्यान दिया जाता है।

अपनी युवावस्था में मंडेला भी श्वेत लोगों के दबाव, भेदभाव और रंगभेद के खिलाफ़ सशस्त्र संघर्ष के पक्षधर थे। लेकिन अंत में उनका विचार बदल गया। प्रोफ़ेसर ल्यू होंग वू ने कहा कि वास्तव में मानव को श्वेत और अश्वेत लोगों के बीच एक आपसी सहनशील व्यवस्था की स्थापना करनी चाहिये। यही दक्षिण अफ़्रीका का भविष्य है। इस भावना से मंडेला ने रंगभेद व्यवस्था को पलटकर नये दक्षिण अफ़्रीका की स्थापना की। और उनके उत्तराधिकारी भी इस भावना के आधार पर दक्षिण अफ़्रीका का प्रबंध करते हैं।

प्रोफ़ेसर ल्यू ने कहा कि मंडेला जिन्दगी भर स्वतंत्रता व समानता की खोज करते रहे। यह स्वतंत्रता व समानता सभी नस्लों, सभी देशों व सभी जातियों के बीच एक स्वतंत्रता व समानता है। प्रोफेसर ल्यू ने कहा, यह पश्चिमी देशों द्वारा पेश स्वतंत्रता व समानता से अलग है। पश्चिमी देशों की स्वतंत्रता व समानता मुख्य तौर पर केवल पश्चिमी समाज के भीतर है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय जगत में अन्य नस्लों व जातियों के सामने पश्चिमी देश अकसर प्रभुत्ववाद का पालन करते हैं। पर मंडेला द्वारा पेश यह स्वतंत्रता व समानता इससे ऊपर है।

अंतर्राष्ट्रीय मामलों में मंडेला ने स्पष्ट रूप से प्रभुत्ववाद और देशों के बीच मौजूद लड़ाई का विरोध किया। उन्होंने कई मौकों पर इस बात की कड़ी आलोचना की कि अमेरिका ने अफ़गान युद्ध व इराक युद्ध छेड़े। उनके विचार में मध्यपूर्व के संघर्ष और फिलीस्तीन व इजराइल के संघर्ष की प्रमुख जिम्मेदारी पश्चिमी देशों पर है। इस पर मंडेला ने दक्षिणी देशों को मिल-जुलकर एक साथ पश्चिमी प्रभुत्ववाद का विरोध करने का आह्वान किया।

प्रोफेसर ल्यू ने कहा कि मंडेला ने अफ़्रीकी महाद्वीप के लिये मूल्यवान राजनीतिक विरासत भी दी। हाल के दस वर्षों में अफ़्रीका में एकीकरण की प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है। अफ्रीकी महाद्वीप, खासतौर पर दक्षिण अफ़्रीका में कई देशों के बीच संघर्ष कम हो रहा है। इसमें मंडेला की भूमिका अविस्मरणीय है। उन्होंने कहा, पहला, वे अफ़्रीका में व्यापक विकास को प्रोत्साहन देते थे। उनके ख्याल से अफ़्रीकी महाद्वीप को मिल-जुलकर एक समूह के रूप में काम करना चाहिए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार हासिल हो सके। दक्षिण अफ्रीका के नेतृत्व में बीते दसेक वर्षों में अफ़्रीका की एकीकरण प्रक्रिया में वास्तविक कदम उठाया गया है। इसके अलावा, मंडेला राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार अफ़्रीका के लिये आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध व्यवस्था की स्थापना में लगे रहे। राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा करने के बाद वे अफ़्रीका में क्षेत्रीय संघर्ष के समन्वयक की भूमिका अदा करते रहे। जिम्बाब्वे, सूडान, दारफुर और अफ्रीकी ग्रेट झील क्षेत्र में मौजूद संघर्षों का हल करने में उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चंद्रिमा

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040