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चीन का 'छांग अ-3' चंद्रयान 2 दिसंबर को तड़के शिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र से सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ और कक्षा में पहुंचा। चांद की सतह पर 'छांग अ-3' की लैंडिंग दिसंबर के मध्य में होगी। यह चीन की चंद्र अन्वेषण परियोजना का एक अहम कदम है। इस रोवर मिशन के जरिए चीन चांद की सतह पर पहली बार लैंडिंग करके चांद का अन्वेषण करेगा।
पेइचिंग एयरोस्पेस कंट्रोल सेंटर के उप प्रमुख ली चेन ने कहाः
"1130 सेकंड के उड़ान के बाद 'छांग अ-3' चंद्रयान छांगचंग नंबर तीन श्रंखला के नंबर दो राकेट से अलग होकर पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचा। 'छांग अ-3' चंद्रयान का प्रक्षेपण सफल रहा।।"
'छांग अ-3' का सफल प्रक्षेपण सिर्फ इस बार के रोवर मिशन की शुरूआत है। अगले 90 दिनों में 'छांग अ-3' के लैंडर और चंद्र वाहन की लैंडिंग चांद की सतह पर होगी और चांद का अन्वेषण किया जाएगा। यह चीन का अंतरिक्ष यान पहली बार चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा और 37 सालों के बाद मानव-जाति फिर एक बार चांद पर पहुंचेगी।
'छांग अ-3' अंतरिक्ष में 112 घंटों की उड़ान के बाद ब्रेक लगाकर चांद से 100 किमी. की दूरी पर वृत्ताकार कक्षा स्थापित करेगा और दिसंबर के मध्य में चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा।
'छांग अ-3' का प्रक्षेपण करने वाले रॉकेट वाहक के मुख्य डिजाइनर च्यांग चे ने कहा कि यह छांगचंग श्रंखला के राकेट की 186वीं उड़ान है, जो एक नया रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा
"यह छांगचंग नंबर तीन श्रंखला के नंबर दो रॉकेट का 58वां प्रक्षेपण है। 2010 से 2012 तक यह रॉकेट कुल 26 बार लॉन्च किया गया, जो एक नया रिकॉर्ड है। सभी प्रक्षेपण सफल रहे हैं"
'छांग अ-3' मिशन चीन की चांद अन्वेषण परियोजना का दूसरा कदम है। दिसंबर 2007 में 'छांग अ-1' उपग्रह सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। 'छांग अ-1' ने कक्षा में 16 महीनों तक अन्वेषण करने के साथ-साथ चंद्रमा के चारों ओर घेरा बनाया। इससे चीन की चांद अन्वेषण परियोजना का पहला काम पूरा हुआ। 'छांग अ-2' का प्रक्षेपण दिसंबर 2010 में हुआ। 'छांग अ-2' उपग्रह ने निर्धारित सिलसिलेवार काम पूरा किया, जिससे 'छांग अ-3' के लिए तैयारी हो चुकी है।
चीन की चांद अन्वेषण परियोजना के प्रवक्ता फेई चाओ यू ने कहा कि इस बार के रोवर मिशन के जरिए 'छांग अ-3' चांद की सतह पर पहली बार लैंडिंग होगी और चांद का अन्वेषण किया जाएगा। उनका कहना हैः
"'छांग अ-3' तीन काम पूरा करेगा। पहला है चंद्रमा की सतह पर स्थलाकृति और भूवैज्ञानिक संरचना का सर्वेक्षण। दूसरा है चांद की सतह सामग्री संरचना और उपलब्ध संसाधनों का सर्वेक्षण और तीसरा है पृथ्वी पर प्लाज्मा की जांच और ऑप्टिकल खगोलीय प्रेक्षण।"
चीन की चांद अन्वेषण परियोजना मुख्य डिजाइनर वू वेई रन ने कहाः
"अगर चीन द्वारा निर्मिति चंद्रयान और चांद वाहन की सफल लैंडिंग होती है, तो चांद पर चीनी लोग अपने पैरों के निशान छोड़ आएंगे, जो एक बड़ा कदम है। पहले हम सिर्फ 100 या 200 किमी. की दूरी पर चंद्र का अन्वेषण कर सकते थे। अब हम चांद पर सीधे इसका सर्वेक्षण कर सकेंगे। हमें विश्वास है कि लैंडिंग मिशन सफल होगा।"
गौरतलब है कि अब तक मानव इतिहास में कुल 129 बार चांद अन्वेषण हुए हैं, जिनकी सफलता की दर सिर्फ 51 प्रतिशत है। दुनिया में सिर्फ अमेरिका और रूस ने चांद की सतह पर मानवरहित चंद्रयान की 13 बार सफल लैंडिंग की है। चांद पर लोगों की सफल लैंडिंग सिर्फ अमेरिका ने की। अगर 'छांग अ-3' की सफल लैंडिंग हुई, तो वह दुनिया में ऐसा पहला चंद्रयान बनेगा, जो इस सदी में लैंडिंग मिशन पूरा करने में सफल हुआ हो।