दस साल पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2003 में चंद्रमा पर कदम रखने का कार्यक्रम पेश किया। कार्यक्रम के मुताबिक भारत तीन चरणों में चांद परियोजना कार्यांवित करेगा। पहला है कि मानवरहित चंद्र लैंडर्स का प्रक्षेपण किया जाएगा। दूसरा है 2015 में अंतरिक्षयात्री को अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा और तीसरा है 2020 में अंतरिक्षयात्री को चांद में पहुंचाया जाएगा।
अक्तूबर 2008 में भारत ने मानवरहित चंद्र लैंडर्स `चंद्रयान-1` का सफल प्रक्षेपण किया, जिसके लिए 8 करोड़ 30 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च हुए। लेकिन 312 दिनों की उड़ान के बाद सिस्टम में खराबी की वजह से`चंद्रयान-1` और पृथ्वी के बीच संपर्क टूट गया। इसरो को चंद्रयान का काम बन्द करना पड़ा। चांद परियोजना के दूसरे चरण के तहत `चंद्रयान-2` का प्रक्षेपण योजनानुसार 2011 में किया जाना था, जिससे चांद में रोबोट की लैडिंग होनी थी। लेकिन कुछ कारणों की वजह से `चंद्रयान-2` का प्रक्षेपण 2013 तक स्थगित किया गया। फिर इसके बाद उसे 2014 में स्थगित करने की घोषणा की गई।
हालांकि `चंद्रयान-1` का काम पूरा नहीं हुआ है, लेकिन इसने चंद्रमा की सतह पर हजारों फोटो खींचे और व्यापक डेटा हासिल किए, जिनका बड़ा महत्व है।
(ललिता)