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चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रेस प्रवक्ता यांग य्वी चुन ने गुरूवार को दोहराया कि चीन अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा सभी देशों को प्रदत्त उड़ान-आजादी का सम्मान करता रहा है। उनका कहना है कि पूर्वी चीन सागर के ऊपर हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र की स्थापना की चीन की घोषणा से नभक्षेत्र से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय कानून का स्वरूप नहीं बदला है। चीन से इस वायु रक्षा क्षेत्र को हटाने की जापान की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए यांग य्वी चुन ने कहा कि जापान की यह मांग तभी पूरी होगी, जब वह अपने वायु रक्षा क्षेत्र को सब से पहले वापस लेने की पहल करता है। ऐसा होने पर चीन 44 साल बाद अपने वायु क्षेत्र को हटाने पर विचार कर सकता है।
उनका कहना हैः
` कौन एकतरफ़ा तौर पर वर्तमान स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है? कौन इस क्षेत्र में तनाव को बढा रहा है और अंतरविरोधों को प्रचंड रूप दे रहा है और कौन क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है ? मेरे विचार में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय साफ तौर पर देख सकता है और अपने विश्लेषण के आधार पर सही निष्कर्ष निकाल सकता है।`
गुरूवार को पेइचिंग में आयोजित रक्षा मंत्रालय के नियमित संवाददाता में पूर्वी चीन सागर के ऊपर चीन के घोषित वायु रक्षा पहचान क्षेत्र एक ज्यलंत मुद्दा रहा। इस मुद्दे के बारे में जापान के कई अनुचित बयानों का प्रेस प्रवक्ता ने तथ्यों से खंडन किया। यह पूछे जाने पर कि अगर किसी विदेशी नागरिक विमान ने बिना आवश्यक अनुमति लिए चीन के घोषित वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ान भरी, तो चीनी सेना उसके खिलाफ कौन सा कदम उठाएगी? प्रवक्ता यांग य्वी चुन ने जोर देकर कहा कि पूर्वी चीन सागर के ऊपर चीन के घोषित वायु रक्षा पहचान क्षेत्र के बारे में जो विज्ञप्ति जारी की गई है, उसमें इस वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ने वाले विमानों को पहचानने के स्पष्ट नियम बनाए गए है, जो प्रचलित अतर्राष्ट्रीय नियम से पूरी तरह मेल खाते हैं। यांग य्वी चुन ने कहाः
`यहां दोहराने की जरूरत है कि चीन संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कानून का कड़ाई से पालन करता रहा है। पूर्वी चीन सागर के ऊपर चीन के घोषित वायु रक्षा क्षेत्र में सामान्य अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें सुरक्षित रहेंगी, मतलब इन उड़ानों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।`
उनके अनुसार संबद्ध अंतर्राष्ट्रीय कानून और प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय नियम के अनुसार किसी भी देश का कोई भी विमान किसी दूसरे देश के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में उड़ान भर सकता है और इसके साथ ही किसी भी देश को अपने वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में उड़ान भरने वाले किसी दूसरे देश के किसी भी विमान की पहचान करने तथा स्थिति के अनुसार संभावित खतरे से निपटने का कदम उठाने का अधिकार है।
यांग य्वी चुन का कहना हैः
`यावु रक्षा क्षेत्र प्रादेशिक नभक्षेत्र और कथित उड़ान वर्जित क्षेत्र नहीं है, बल्कि वह किसी देश के प्रादेशिक हवाई क्षेत्र के बाहर ऐसा एक विशेष नभक्षेत्र है, जो आपातकाल में राष्ट्रीय हवाई सुरक्षा के वास्ते चेतावनी देने के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध करने के उद्देश्य से बनाया गया है। इसलिए वायु रक्षा पहचान क्षेत्र बनाने का मतलब प्रादेशिक हवाई क्षेत्र का विस्तार करना नहीं है।`
उधर जापानी सरकार ने 28 नवम्बर को घोषणा की कि उसके आत्मरक्षक गार्ड के विमान ने चीन को सूचित किए बैगर पूर्वी चीन सागर के ऊपर चीन के घोषित वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ान भरी। इसके बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में यांग य्वी चुन ने कहा कि वास्तव में चीन ने अपने इस वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में उडान भरी किसी भी विमान की समय रहते पहचान कर ली है और उसकी सभी जानकारी प्राप्त की है।
हाल के दिनों में जापानी मीडिया ने देश के नेता के हवाले से रिपोर्ट दी कि जापान अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर चीन से पूर्वी चीन सागर के ऊपर उस के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र को हटाने की मांग करेगा। इसपर यांग य्वी चुन ने यह कहकर प्रतिक्रिया दीः
` जापान ने पहले ही यानी वर्ष 1969 में अपना वायु रक्षा पहचान क्षेत्र स्थापित कर लिया। इस लिहाज से जापान को पूर्वी चीन सागर के ऊपर वायु रक्षा क्षेत्र बनाने के लिए चीन की आलोचना करने का अधिकार कहां से है? । अगर जापान चीन से वायु रक्षा क्षेत्र को हटाने की मांग करता है, तो चीन उससे उस का वायु रक्षा क्षेत्र को सब से पहले वापस लेने की मांग करेगा। `
दूसरी ओर चीनी वायुसेना के प्रेस प्रवक्ता कर्नल शन चिन खो ने गुरूवार को कहा कि चीनी वायुसेना के सू-30 और जे-11 युद्धक विमान पूर्वी चीन सागर के ऊपर देश के वायु रक्षा क्षेत्र में सामान्त तौर पर गश्त लगा रहे हैं और इस क्षेत्र में उड़ने वाले विमानों की पहचान एवं निगरानी कर रहे हैं। वायुसेना सिर्फ अपना कर्तव्य निभा रही है।