योजनानुसार रूस के विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव का भारतीय अवतार आईएनएस विक्रमादित्य शनिवार को भारतीय नौ सेना में शामिल कर लिया जाना है। भारतीय रक्षा मंत्री ए के एंटनी की मौजूदगी में इस विमानवाहक जहाज पर भारतीय तिरंगा फहराया जाएगा।
विक्रमादित्य एक बार में लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसके हवाई अड्डे से सात हजार समुद्री मील या 13 हजार किलोमीटर तक के अभियान लिए संचालित किया जा सकता है। इसमें उच्च स्तरीय स्वचालन क्षमता वाले नई पीढी की बेहद प्रगतिशील प्रोद्योगिकी है। इसपर हवाई अड्डा 284 मीटर लंबा और अधिकतम 60 मीटर चौड़ाई वाला है जो फुटबाल के तीन मैदानों को मिलाने के बाद बनता है। यह 20 मंजिले इमारत जितना ऊंचा है और इसमें 22 छतें हैं।
भारत और रूस के बीच इस विमानवाहक जहाज के लिए वर्ष 2004 में समझौता हुआ था। समझौते के मुताबिक विक्रमादित्य को पहले 2008 में भारत को सौंपा जाना था, लेकिन बाद में डिलिवरी का समय बदलकर 2012 कर दिया गया, लेकिन इसके बॉयलर में आई तकनीकी गड़बड़ी के चलते विक्रमादित्य की डिलीवरी एक साल और विलंबि हो गई और इसके लिए 16 नवंबर की तारीख तय की गई।