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सोचि शीतकालीन ओलंपिक की मशाल अंतरिक्ष में पहुंची
2013-11-14 17:37:04
9 नवंबर की शाम रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोटोव व सर्गेई रयाज़ानस्की ने सोचि शीतकालीन ओलंपिक की मशाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर जाकर अंतरिक्ष में प्रवेश किया। ओलंपिक मशाल ने पहली बार अंतरिक्ष में प्रवेश किया, जिसने ओलंपिक के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया।

मॉस्को के समयानुसार 9 नवंबर की शाम 6 बजकर 40 मिनट पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर रखे हुए कैमरा व अंतरिक्ष यात्री के सिर पर लगाए गए कैमरा ने जमीन पर स्थित नियंत्रण केंद्र को स्पष्ट चित्र भेजकर विश्व के दर्शकों के सामने सोचि शीतकालीन ओलंपिक के मशाल के अंतरिक्ष में प्रवेश करने का दृश्य दिखाया।

रूसी अंतरिक्ष यात्री रयाज़ानस्की विशेष अंतरिक्ष कैमरा व वीडियो कैमरा लेकर सबसे पहले अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर गये। दो या तीन मीटर की दूरी पर खड़े होकर उन्होंने स्टेशन के द्वार को शूट करने की तैयारी की। लगभग पांच मिनट बाद दूसरे रूसी अंतरिक्ष यात्री कोटोव हाथ में ओलंपिक मशाल लेकर धीरे धीरे द्वार से निकले। ओलंपिक खेल के इतिहास में मशाल पहली बार अंतरिक्ष में पहुंची। कोटोव ने मशाल को उठाया, और उनके पीछे नीली पृथ्वी है। उसी समय रयाजानस्की ने हाथों में कैमरे से इस ऐतिहासिक चित्र को खींचा। बाद में दोनों अंतरिक्ष यात्री एक-साथ खड़े दिखे। और अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर कोटोव ने मशाल को रयाज़ानस्की के हाथों में सौंपा। इस तरह सोचि शीतकालीन ओलंपिक की मशाल रिले अंतरिक्ष में आयोजित की गयी। बेशक, अंतरिक्ष में ऑक्सीजन के अभाव और अंतरिक्ष स्टेशन की सुरक्षा के मद्देनजर मशाल में आग नहीं लगायी गयी।

सोचि शीतकालीन ओलंपिक के तैयारी कार्य संभालने वाले रूसी उप प्रधानमंत्री दिमित्री कोज़ाक ने अंतरिक्ष में मशाल रिले की चर्चा में कहा, मशाल रिले अंतरिक्ष में आयोजित की गयी। यह रूस के अंतरिक्ष कार्य यहां तक कि सभी ओलंपिक खेलों के लिये अहम है। हमने रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ इस मशाल रिले की योजना बनायी। ताकि इस तरह से हमारे देश में रंगारंग संस्कृति व आर्थिक विकास को दिखाया जा सके। खासतौर पर अंतरिक्ष का विकास हमारे देश द्वारा प्राप्त एक उल्लेखनीय सफलता है। हम विश्व से इस क्षेत्र पर ध्यान देने की अपील करना चाहते हैं।

बिना भार के और अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर कई उपकरण साथ में होने के कारण मशाल रिले की सुरक्षा के लिये अंतरिक्ष यात्री बहुत धीमे-धीमे चलते हैं। वे बड़ी सावधानी से बाहर चल रहे थे। और पूरी मशाल रिले में एक घंटे से ज्यादा समय लगा। रूस के प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री, राष्ट्रीय वीर मिखाइल कोरनियनको ने बताया कि अंतरिक्ष में मशाल रिले के दौरान बहुत मुश्किल होती है। उन्होंने कहा, सच कहें, तो हर बार अंतरिक्ष में चलना एक बहुत जटिल व मुश्किल काम है। और इस बार की स्पेसवाक ज्यादा जटिल है। क्योंकि अंतरिक्ष यात्री को हाथ में मशाल लेकर बाहर जाना पड़ा। मशाल को अंतरिक्ष में छूटने से बचाने के लिये अंतरिक्ष यात्री को एक हाथ से ध्यान से इसे पकड़ना होता है। इसके अलावा मशाल रिले को सफलता के साथ आयोजित करने के लिये और कुछ विशेष उपकरण रखने होते हैं।

हालांकि बहुत मुश्किल हैं, लेकिन दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों ने बड़ी श्रेष्ठता से यह काम पूरा किया। अहम बात यह है कि रयाज़ानस्की ने पहली बार अपनी स्पेसवाक की। कोरनियनको के ख्याल से यह बहुत उल्लेखनीय बात है। उन्होंने कहा, पहली बार अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री के लिए यह बहुत खतरनाक है। खासतौर पर जब अंतरिक्ष यात्री ने द्वार खोला, अंदर व बाहर के दबाव के अंतर से कुछ छोटी मोटी चीज़ बाहर उड़ गयी। वे शायद डरे होंगे। सभी लोग जानते हैं कि यह केवल एक अभ्यास ही नहीं। उन्हें सावधानी से अपना काम पूरा करना होता है।

अंतरिक्ष में ओलंपिक मशाल ने अंतर्राष्ट्रीय स्टेशन के साथ पृथ्वी के चारों ओर 64 चक्कर लगाए। और 11 नवंबर को कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पृथ्वी पर वापस लौट गई। सोचि शीतकालीन ओलंपिक की आयोजन कमेटी ने यह फैसला किया है कि यह मशाल रिले का अंतिम चरण होगा। 7 फरवरी 2014 को आयोजित शीतकालीन ओलंपिक के उदघाटन समारोह में मुख्य मशाल को प्रज्जवलित किया जाएगा।

चंद्रिमा

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