भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु में कुछ दलों एवं कांग्रेस के भी एक वर्ग द्वारा विरोध के मद्देनजर चोगम के लिए श्रीलंका नहीं जाने का फैसला किया है। इस तरह विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद श्रीलंका में अगले सप्ताह होने वाले राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधित्व के स्तर और सिंह के इस सम्मेलन से दूर रहने के फैसले से जल्द ही श्रीलंका सरकार को अवगत करा दिया जाएगा।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने इस फैसले के बारे में कलतक श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को लिख सकते हैं। हालांकि मनमोहन सिंह के फैसले की आधिकारिक घोषणा अबतक नहीं हुई है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु के राजनीतिक दलों एवं कई अन्य संगठनों ने चोगम में किसी भी स्तर पर भारत के हिस्सा लेने का विरोध किया है। उनका आरोप है कि श्रीलंका सरकार ने गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन किया है एवं उसके पास जातीय तमिलों को अधिकार सौंपने की कोई योजना नहीं है।
खुर्शीद चोगम में सिंह की उपस्थिति के पक्ष में हैं और उनका कहना है कि यह अहम है क्योंकि इससे भारत के हित परिलक्षित होंगे।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 1993 से 10 सम्मेलनों में प्रधानमंत्री ने पांच बार भारत का प्रतिनिधित्व किया जबकि चार बार मंत्रियों ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की। एक बार उपराष्ट्रपति ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
उन्होंने कहा कि हमने इस बात पर बल दिया है कि हमारे राष्ट्रीय हित, हमारी कूटनीतिक प्राथमिकताओं एवं हमारी अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं के लिए क्या जरूरी है। इन बातों को ध्यान में रखकर विभिन्न लोगों की अगुवाई में हमारा प्रतिनिधिमंडल रहा है।