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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ़ रिहा
2013-11-08 19:20:36

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ को 6 नवंबर को सात महीनों की नजरबंदी के बाद रिहा कर दिया गया। हालांकि वे अब भी पाक गृह मंत्रालय के आउटबाउंड प्रतिबंध सूची में शामिल हैं। मुशर्रफ़ के वकील ने इसकी पुष्टि की।

6 नवंबर को मुशर्रफ़ के वकील ने सभी बांड जमा किए। इसके बाद पाकिस्तान के एक कोर्ट ने मुशर्रफ़ को औपचारिक रूप से रिहा करने की लिखित घोषणा की। मुशर्रफ़ के वकील अहमद रजा कसूरी के अनुसार मुशर्रफ़ अब स्वतंत्र हो चुके हैं। उनका विला पहले एक जेल था, पर भविष्य में वह मुशर्रफ़ का निवास बन जाएगा। कसूरी ने यह भी बताया कि पूर्व राष्ट्रपति जल्द ही एक ऐतिहासिक संवाददाता सम्मेलन आयोजित करेंगे।

7 नवंबर को संवाददाता ने इस्लामाबाद के उपनगर में स्थित मुशर्रफ़ के विला के बाहर यह देखा है कि ऊंचे ऊंचे द्वार के बाहर अभी तक कई बाधाएं नजर में दिखायी गयीं। हथियारों से लैस पुलिसकर्मी ध्यान से विला में आने जाने वाले वाहनों व व्यक्तियों की जांच कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार हालांकि मुशर्रफ़ की निगरानी करने वाले सभी गार्ड अब हट चुके हैं। लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर सुरक्षा कर्मी अभी तक विला के बाहर अपने काम कर रहे हैं। और मुशर्रफ़ भी अभी तक अपने घर से बाहर नहीं निकले हैं।

मुशर्रफ़ के नेतृत्व वाली पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के कुछ अधिकारियों ने पाक अख़बार को यह बताया कि पूर्व राष्ट्रपति संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में अपनी मां से मिलना चाहते हैं। लेकिन पाक गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने कहा कि मुशर्रफ़ को पाकिस्तान से बाहर जाने की अनुमति हासिल नहीं है। कोर्ट के निर्णय के बिना उनका नाम आउटबाउंड प्रतिबंध सूची से नहीं हटेगा। मुशर्रफ़ के वकील कसूरी ने कहा कि वे लगातार कोर्ट से संपर्क रखेंगे, और जल्द ही जल्द ही प्रतिबंध हटाने की कोशिश करेंगे।

अगस्त 2008 में मुशर्रफ़ ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। और वर्ष 2009 से वे ब्रिटन में रहने लगे। इस वर्ष मार्च में वे चुनाव में हिस्सा लेने के लिये पाकिस्तान वापस गये। लेकिन कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। अप्रैल में मुशर्रफ़ को गिरफ्तार किया गया। बाद में वे तीन मुकदमों में संदिग्ध होने के कारण नजरबंदी में हो गये। 9 अक्तूबर को वे उक्त तीन मामलों में जमानत पर छोड़े गए। लेकिन केवल एक दिन के बाद इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2007 की लाल मस्जिद घटना में धार्मिक नेताओं समेत कई लोगों की मौत करने के आरोप से उन्हें फिर एक बार गिरफ्तार किया।

लेकिन मुशर्रफ़ को कैसे अदालत से राहत मिली, इस बात पर ध्यान केंद्रित हुआ है। पहले, मुशर्रफ के वकील के अनुसार मुशर्रफ से जुड़े सभी मुकदमे सिर्फ साजिश हैं। जिनमें राजनीतिक कारण छिपे हुए हैं। उन मुकदमों से उनके विरोधियों ने अपना लक्ष्य पूरा किया। यानी उन्हें 11 मई 2013 को आयोजित चुनाव में भाग लेने से रोक दिया गया। दूसरे, पाकिस्तान के 66 वर्षों के इतिहास में आधे से ज्यादा समय में पाकिस्तान सैनिक शासन के नियंत्रण में है। और यह एक अभूतपूर्व बात है कि एक पूर्व सैन्य नेता की सुनवाई की जाती है। सेना पक्ष यह नहीं चाहता है कि उनके पूर्व नेता जेल में फंस जाएं। तीसरे, वर्ष 1999 में मुशर्रफ़ ने प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को पद से हटाया। शरीफ़ इस वर्ष मई में तीसरी बार पाक प्रधानमंत्री बनने के बाद मुशर्रफ़ को ज़रूर सज़ा देना चाहते थे। पर लोगों के मन जीतने के लिये उन्होंने मुशर्रफ़ पर उदार कदम उठाया। चौथे, मुशर्रफ़ सात महीनों तक नजरबंद रहे। शरीफ़ सरकार ने पाक समाज में एक चेतावनी का लक्ष्य पूरा किया। अगर तख्ता पलट हो तो मुशर्रफ़ एक उदाहरण हैं। पांचवें, मुशर्रफ़ की सुनवाई में सऊदी अरब के शाही व अमेरिकी सरकार ने मध्यस्थता की है। और छठे, कई मुश्किलों के बाद मुशर्रफ़ भी निराश हो गये। उन्होंने यात्रा पर आए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से यह कहा है कि वे पाकिस्तान छोड़कर विदेश में जीवन बिताना चाहते हैं।

चंद्रिमा

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