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हाथ में हाथ- वर्ष 2013 चीन भारत थल सेना का आंतकवाद विरोधी संयुक्त युद्धाभ्यास 5 नवंबर को स्छ्वान प्रांत के छंगदू सैन्य क्षेत्र में स्थित एक व्यापक युद्धाभ्यास मैदान में शुरू हुआ। जानकारी के अनुसार इस बार आयोजित संयुक्त युद्धाभ्यास का लक्ष्य आंतकवाद विरोधी कार्रवाई में दोनों पक्षों द्वारा प्राप्त अनुभवों का आदान-प्रदान करना है। साथ ही चीन व भारत दोनों देशों की सेनाओं के बीच मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान व सहयोग मजबूत करते हुए आपसी समझ व विश्वास को मजबूत करना है। यह भी पांच सालों के बाद चीन और भारत द्वारा आयोजित तीसरी बार संयुक्त युद्ध अभ्यास है। सैन्य विशेषज्ञ के अनुसार इस युद्धाभ्यास से यह जाहिर है कि चीन व भारत के सैन्य संबंध फिर एक बार सही रास्ते पर वापस लौट गये।
चीन व भारत ने सीमा रक्षा से जुड़े सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद दोनों के बीच सहयोग मजबूत करने के लिये एक वास्तविक कदम के रूप में हाथ में हाथ - वर्ष 2013 नामक चीन भारत थल सेना के आतंकवाद विरोधी संयुक्त युद्धाभ्यास पर ध्यान केंद्रित हुआ है। इस युद्धाभ्यास के मुद्दे को क्यों आतंकवाद के विरोध में चुना गया? इसकी चर्चा में चीनी प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष, छंगदू सैन्य क्षेत्र के उप कमांडर यांग चिन शान ने कहा, आतंकवादी कार्रवाई वर्तमान में चीन व भारत दोनों देशों के सामने एक वास्तविक धमकी बन गई। देशी-विदेशी आतंकवाद का विरोध दोनों सेनाओं का समान कर्तव्य है। इस बार के संयुक्त युद्धाभ्यास के तीन उद्देश्य हैं, आंतकवाद विरोधी कार्रवाई में दोनों सेनाओं द्वारा प्राप्त अनुभवों का आदान-प्रदान करना है। साथ ही चीन व भारत दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता को मजबूत करते हुए आपसी समझ व विश्वास को मजबूत करना है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष,भारतीय थल सेना मुख्यालय के युद्ध विभाग के प्रमुख ने अपनी भाषण में बल देकर कहा कि आशा है दोनों पक्षों से आए सैनिक इस संयुक्त युद्धाभ्यास में आदान-प्रदान व सहयोग को मजबूत कर सकेंगे, ताकि आपसी समझ व विश्वास को विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा, भारतीय बल चीनी जन मुक्ति सेना के साथ आदान-प्रदान करने और एक दूसरे से सीखने की प्रतीक्षा में है। युद्धाभ्यास शुरू होने से पहले चीन व भारत ने एकमत होकर समझ व आपसी विश्वास को मजबूत करने, और चीन-भारत सीमा पर आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करने की क्षमता को उन्नत करने पर सहमति प्राप्त की। मैं इसे दोहराना चाहता हूं कि चीन व भारत के बीच घनिष्ठ आदान-प्रदान व सहयोग से दोनों सेनाओं के संबंधों, आपसी समझ व विश्वास को मजबूत किया जा सकेगा, और लंबे समय तक वास्तविक नियंत्रण रेखा की शांति व सुरक्षा का बहाल किया जा सकेगा।
इस संयुक्त युद्धाभ्यास में चीन की ओर से छंगदू सैन्य क्षेत्र की 13 वीं कोर की एक कंपनी हिस्सा ले रही है। जबकि भारत की ओर से पूर्वी सैन्य क्षेत्र के एक कंपनी के सैनिक। दोनों पक्षों से 144 सैनिकों ने इसमें भाग लिया।
चंद्रिमा