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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 5 नवंबर को दोपहर बाद सी-25 रॉकेट भारत के पहले मंगल यान को लेकर दक्षिण आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में जाएगा। 'मार्स आर्बिटर मिशन' भारतीय अंतरिक्ष संगठन द्वारा किया जाता है। जिसका कुल खर्च 4.3 अरब रुपये है, यानी लगभग 40 करोड़ युआन है। अंतरिक्ष यान का वज़न लगभग 1.3 टन है। इसका आकार एक फ्रिज़ के बराबर है। वह चार सर्वेक्षण संयंत्रों व एक कैमरा समेत पांच उपकरण लेकर अंतरिक्ष में जाएगा।
अगर प्रक्षेपण सफल हुआ, तो मंगल यान अंतरिक्ष में 300 दिन की यात्रा करेगा। अनुमान है कि 24 सितंबर 2014 को वह मंगल ग्रह तक पहुंचेगा। ग्रह पर लैंडिंग करके सर्वेक्षण संयंत्र तकनीकी परीक्षा करेगा, और मंगल ग्रह पर भूमि, वायु व खनिज पदार्थों का अनुसंधान करेगा, और मंगल का नक्शा बनाएगा व इससे जुड़े डेटा को वापस भेजेगा। सर्वेक्षण कार्य छह महीने तक चलेगा।
वास्तव में भारत लगातार एक बड़ा अंतरिक्ष देश बनने की कोशिश कर रहा है। और इसके लिये उसने भारी खर्च किया है। वर्ष 2006 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये भारत का बजट रूस से भी अधिक था। भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के मुख्य संगठन के रूप में भारतीय अंतरिक्ष संगठन के कर्मचारियों की कुल संख्या 16 हजार 800 है। वहीं अमेरिकी अंतरिक्ष ब्यूरो में कर्मचारियों की संख्या केवल 18 हजार है। इससे जाहिर है कि भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर बड़ा ध्यान दिया है।
मंगल यान कार्यक्रम के लिये भारत ने वित्तीय वर्ष 2012 में और 1 अरब 22.5 करोड़ रुपये यानी 10 करोड़ युआन लगाए। ताकि यह कार्यक्रम समय से पहले लागू किया जा सके। योजनानुसार यह कार्यक्रम वर्ष 2016 से वर्ष 2018 तक पूरा होगा। हालांकि यह रकम देखने में बहुत बड़ी नहीं है, लेकिन भारत के लिहाज से यह एक बड़ा खर्च है। भारत ने अंतरिक्ष कार्य के लिये व्यापक पूंजी-निवेश किया है। ऐसी कार्रवाई को भारत में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रतिक्रिया मिली। इसके समर्थन में लोगों का कहना है कि अंतरिक्ष में प्राप्त उपलब्धियां हाल ही में भारत की बढ़ती समग्र राष्ट्रीय शक्ति का प्रदर्शन है, जिसका बड़ा विकास करना चाहिये। वहीं आलोचक कहते हैं कि अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास के साथ-साथ भारत की वर्तमान स्थिति पर ध्यान देना चाहिये। भारत के समाज में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें सरकार का पूंजी-निवेश चाहिये। उदाहरण के लिये लोगों का जीवन, बुनियादी सुविधाओं का निर्माण, शिक्षा व चिकित्सा आदि। इसलिये कुछ लोगों का मानना है कि अंतरिक्ष कार्यक्रम के बदले सरकार को जनता के जीवन स्तर को उन्नत करने के लिये ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
चंद्रिमा