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उत्तरी चीन सागरीय जंगी जहाज बेड़ा चीनी सेना की पहली परमाणु पनडुब्बी टुकड़ी है। अपनी स्थापना के बाद के 42 वर्षों में इस सेना ने कई ऐतिहासिक रिकोर्ट कायम किए है। लेकिन उसमें कोई परमाणु दुर्घटना कभी भी नहीं हुई है। इस सेना ने समुद्र में राष्ट्रीय परमाणु निवारक एवं परमाणु पलटवार की प्रभावी क्षमता उपलब्ध कराने में असाधारण योगदान किया है और बड़ा जिम्मेदाराना देश होने का चीन का वायदा पूरा करवाया है।
परमाणु पनडुब्बियों में काम करने की चर्चा परमाणु सुरक्षा से अलग नहीं हो सकती है। चीनी परमाणु पनडुब्बियों ने अपने पहले जलावतरण के बाद पिछले 42 वर्षों में परमाणु सुरक्षा के तौर पर लगातर रिकार्ड कामय किए हैं। पनडुब्बी-अड्डे के एक वरिष्ठ अधिकारी ली यैनमिंग ने कहाः
`बीते 40 वर्षों से अधिक समय में हम ने परमाणु सुरक्षा के लिए संस्कृति, व्यवस्था, पर्यावरण, तकनीक और सुयोग्य व्यक्तियों के प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में निर्माण जैसे बड़े प्रयास किए हैं। बेशक संस्कृति के क्षेत्र में प्रयास ऊपरी तौर पर सर्वाच्च दिखा है।`
चीन में परमाणु पनडुब्बियों के लिए तरह-तरह के तकनीकी कदम उठाए जा रहे हैं। सामान्य परिचालन एवं प्रबंधन में विकिरण-रोधक का स्तर सुरक्षित एवं विश्वसनीय है। हरेक परमाणु पनडुब्बी पर ऐसे विशेष सैन्यकर्मी तैनात हैं, जो परमाणु विकिरण युक्त कार्यक्षेत्र जाने वाले लोगों के लिए परमाणु विकिरण की पूर्व जांच करते हैं। इस जांच के आधार पर यह तय किया जाता है कि लोग कार्यक्षेत्र में कितने समय तक रहेंगे। पनडुब्बी-अड्डे के अन्य एक अधिकारी यैन पिंगचन ने हमारे संवाददाता से कहाः
`परमाणु रिएक्टर के काम करने के समय परमाणु विकिरण अपेक्षाकृत ज्यादा है। इस समय विशेष सैन्यकर्मी आधुनिक तकनीकी उपकरण से विकिरण की मात्रा का पता लगाते हैं। वैज्ञानिक गणना के अनुसार परमाणु विकिरण युक्त कार्यक्षेत्र में लोग अधिक से अधिक या तो 3 मिनट, या 5 मिनट या फिर 7 मिनट तक रह सकते हैं। ठोस स्थिति के अनुसार निर्धारित समयसीमा लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है।`
परमाणु रिएक्टर परमाणु पनडुब्बी का केंद्रीय साजोसामान है या कहें कूंजीभूत अंग है। इससे जुड़ी तकनीक पेचीदा है और उसे चलाना कतई आसान नहीं है। खासकर लम्बे समय तक रूकने के बाद उसे पुनः शुरू करना जोखिम भरा काम माना जाता है। संबंधित सैन्यकर्मियों ने बार-बार अध्ययन करने के पश्चात परमाणु रिएक्टर के परिचालन को पुनःशुरू करने का सर्वोत्तम तरीका खोज निकाला है, जिससे कि परमाणु रिएक्टर सुरक्षित रूप से दुबारा काम में आ सके। इसकी चर्चा करते हुए ली यैनमिंग ने कहाः
`हम ने अनेक वर्षों की मेहनत करके इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परमाणु रिएक्टर को सुरक्षित रूप से दोबारा शुरू करने के लिए संबंधित पूरी प्रक्रिया पर बारीकी से नियंत्रण करना जरूरी है। ऐसा मत सोचें कि इस प्रक्रिया में कौन सा भाग सब से महत्वपूर्ण है, कौन सा भाग अपेक्षाकृत महत्वपूर्ण और कौन से भाग को विशेष तौर पर ध्यान में रखा जाना चाहिए। पूरी प्रक्रिया संवेदनशील है, जो खामियाजा भुगतने रत्तीभर लायक नहीं है।`
इधर के वर्षों में पनडु्ब्बी-अड्डे में 3 स्तरीय निगरानी-व्यवस्था स्थापित है और जांच एवं मरम्मत के अत्याधुनिक उपकरण मुहैया कराया गया है। इससे पनडुब्बियों में गड़बड़ियों के पूर्वानुमान और चेतावनी की शक्ति बहुत बढ गई है और युद्धक शक्ति सुनिश्चित की गई है।
बुनियादी तबक के सैनिकों एवं अफसरों के लिए परमाणु सुरक्षा को सुनिश्चित करना वैसा होता है जैसे वे अपने दिनचर्या से निपटते हैं। सेना में 21 वर्षो से सेवारत तकनीशियन क्वो चिंगहाई परमाणु पनडुब्बी में बिजली-काम की देखभाल के लिए नियुक्त हैं। उनकी नजर में परमाणु पनडुब्बियों में बिजली-काम सब से कठिन एवं जटिल कामों में से एक है और परमाणु पनडुब्बियों की सुरक्षा सैनिकों के दिनचर्या पर निभर्त रहती है। उनका कहन हैः
` हमारे अड्डे में पिछले 42 वर्षों में कोई दुर्घटना नहीं हुई है। इसका श्रेय बुनियादी तकब के सैनिकों और अफसरों को जाता है। ये सैनिक और अफसर दिन-ब-दिन और साल-ब-साल तकनीकी खराबियों की रोकथाम और संवेदनशील उपकरणों की रखरखाव जैसे एक सा काम बारीकी से करते हैं।`
सेवानिवृत होने के बाद परमाणु पनडुब्बियों से कैसे निपटाया जाए?यह भी विश्व स्तर पर एक कठिन समस्या है। चीनी परमाणु पनडुब्बी-अड्डे में सेवारत सैनिकों और अफसरों ने परमाणु कचरे को निपटाने और परमाणु कलपुर्जों को अलग रखने की तकनीक का गहन अध्ययन कर सेवानिवृत परमाणु पनडुब्बियों से निपटने का अच्छा उपाय खोज लिकाला है। इससे चीन दुनिया में ऐसे इन-गिने देशों में से एक बन गया है, जो सेवानिवृत परमाणु पनडुब्बियों से बहुत सुरक्षित रूप से निपटने में सक्षम है।