चीनी राज्य परिषद कार्यालय ने 22 अक्तबूर को"तिब्बत का विकास और प्रगति"शीर्षक पर 20 हज़ार शब्दों का श्वेत पत्र जारी किया, जिसमें बड़ी मात्रा में आंकड़ों और तथ्यों से पिछले 60 वर्षों में तिब्बत के सामाजिक विकास में आए भारी परिवर्तन का सारांश निकाला गया।
चीनी तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के इतिहास अनुसंधानकर्ता चांग युन के विचार में श्वेत पत्र में"विकास"वाले प्रमुख विषय के आधार पर बड़ी मात्रा में ऐतिहासिक सामग्री से आर्थिक विकास, जन-जीवन में सुधार, राजनीतिक प्रगति, सांस्कृतिक संरक्षण, धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता, सामाजिक परिवर्तन और विभिन्न क्षेत्रों के विकास, पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी निर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तिब्बत के विकास पर विस्तृत जानकारी दी गई। चांग युन के विचार में श्वेत पत्र में वर्णित किए गए तिब्बत के विकास और प्रगति मात्र आर्थिक विकास नहीं है। उसमें सामाजिक और मानव विकास पर भी ध्यान दिया गया है, जिसे पढ़ने के बाद पाठक इसे गहन रूप से महसूस करते हैं कि तिब्बत के विकास और वहां हुए परिवर्तन का लाभ बड़े स्तर पर चरवाहों और आम नाकरिकों को मिल रहा है।
वहीं चीनी सामाजिक विकास अकादमी के जाति विद्या और मानव शास्त्र अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता छिन योंगचांग के विचार में श्वेत पत्र ने तथ्यों और आंकड़ों से व्याख्या की कि तिब्बत का विकास और प्रगति ऐतिहासिक अपरिहार्य बात है। यह तिब्बत के विकास की स्थिति को लेकर भ्रामक विचार प्रकट करने वालों को करारा जवाब है। छिन योंगचांग ने श्वेत पत्र में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता वाले विषय पर ज्यादा ध्यान देते हुए कहा कि तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने के बाद प्रशासनिक और धार्मिक मिश्रित सत्ता प्रणाली और सामंती भू-दास व्यवस्था को समाप्त किया गया है, इसके बाद धर्म का असली रंग बहाल हुआ और सही मायनों में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता लोगों को मिली। इसकी चर्चा करते हुए छिनयोंगचांग ने कहा:
"मुझे लगता है कि तिब्बत में लोगों को बड़े पैमाने पर धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता मिली हुई है। तिब्बती बहुल क्षेत्र का दौरा करने वाले सभी लोगों को मालूम है कि पूरे तिब्बती क्षेत्र में तिब्बती बौद्ध धर्म का बहुत धनी माहौल है। चाहे ग्रामीण क्षेत्र में हो या राजधानी ल्हासा शहर ही क्यों न हो, जगह जगह पर सुन्दर और रंग-बिरंगी सूत्र झंडियां, सूत्र अंकित मानी पत्थर देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही हर एक आम नागरिक के परिवार में बुद्ध की पूजा करने वाला कमरा होता है। तिब्बत के विभिन्न मठों और मंदिरों में कभी कभार पूजा करने, सूत्र चक्र घुमाने और सांष्टांग प्रणाम करने वाले श्रद्धालु नज़र आते हैं।"
"तिब्बत के विकास और प्रगति"शीर्षक श्वेत पत्र के अनुसार तिब्बत में तिब्बती बौद्ध धर्म, बोन धर्म, इस्लाम धर्म और कैथोलिक इसाई धर्म जैसे विभिन्न प्रकार के धर्म समान रूप से अस्तित्व में हैं। ज्यादा तिब्बती लोग तिब्बती बौद्ध धर्म में विश्वास करते हैं, इस धर्म के भीतर विभिन्न संप्रदाय हैं। वर्तमान में तिब्बत में धार्मिक गतिविधियों के लिए विभिन्न प्रकार के 1787 स्थल हैं, मठों में 46 हज़ार से अधिक भिक्षु और भिक्षुणियां रहते हैं। इस समय तिब्बत में कुल 358 जीवित बुद्ध होते हैं।
जीवित बुद्ध के अवतार वाली प्रणाली तिब्बती बौद्ध धर्म के विकास का विशेष तरीका है, जिसका देश में सम्मान किया जाता है। अब तक कुल 40 से अधिक नए जीवित बुद्धों को ऐतिहासिक नियमों और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से मान्यता हासिल मिली हुई है। इसकी जानकारी देते हुए चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के अनुसंधानकर्ता छिन योंगचांग ने कहा:
"जीवित बुद्ध के अवतार वाली प्रणाली तिब्बती बौद्ध धर्म के विकास का विशेष तरीका है। हमारे देश में इसका बहुत सम्मान किया जाता है। पिछली शताब्दी के 90 वाले दशक में इस प्रणाली का धीरे-धीरे पूरे देश में विस्तार हो रहा है। वर्ष 1992 में स्वर्ण बोतल से साइन निकालने से 17वें गामाबा जीवित बुद्ध, वर्ष 1995 में स्वर्ण बोतल के साइन निकलने से 11वें पंचन लामा, वर्ष 2011 में इस प्रकार के पांचवें देचू जीवित बुद्ध चुने गए। जिन्हें व्यापक तिब्बती बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं का स्वागत मिला।"
धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता के अलावा, श्वेत पत्र में तिब्बत की परम्परागत संस्कृति के संरक्षण के बारे में विभिन्न स्तरीय सरकारों के प्रयासों का व्याख्या भी की गई। तिब्बती भाषा और लिपी के संरक्षण और विकास के क्षेत्र में चीनी संविधान समेत कई कानूनों में स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया कि अल्पसंख्यक जातियों की अपनी भाषा और लिपी के विकास की स्वतंत्रता की गारंटी दी जाती है। तिब्बती भाषा चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्रों में व्यापक तौर पर प्रयोग की जाती है और तिब्बती भाषा से संबंधित सांस्कृतिक उत्पाद भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। वर्तमान में तिब्बत में तिब्बती भाषा की प्राथमिकता वाली शैक्षिक प्रणाली लागू की गई है।
श्वेत पत्र में यह भी कहा गया कि प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों का कारगर संरक्षण किया जा रहा है। वर्ष 2000 के बाद से लेकर अब तक चीन की केंद्र सरकार ने क्रमशः 2 अरब 4 करोड़ युआन की राशि लगाकर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण की सिलसिलेवार परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया। वर्तमान में तिब्बत में विभिन्न प्रकार वाले 4277 सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण केंद्र हैं, जिनमें 23 लाख 20 हज़ार सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित हैं। तिब्बत में करीब 800 गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष हैं और सांस्कृतिक उत्तराधिकारियों की संख्या 1177 है। इन सांस्कृतिक विरासतों में तिब्बती ऑपेरा और महाकाव्य राजा गेसार को संयुक्तराष्ट्र युनेस्को के मानव जाति के गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूचि में शामिल किया गया है। वहीं तिब्बती संस्कृति में थांगखा चित्र और काग़ज़ बनाने की तकनीक समेत 75 परियोजनाओं को राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूचि में शामिल किया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में चीन की विभिन्न स्तरीय सरकारों ने तिब्बती क्षेत्र में सांस्कृतिक आधारभूत संस्थापन निर्माण को मज़बूत करने, सार्वजनिक सांस्कृतिक सेवा के स्तर को उन्नत करने के लिए लगातार पूंजी लगाई है। इसकी चर्चा में छिनयोंग चांग ने कहा:
"वर्ष 2011 के अंत से लेकर अब तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में'नौ सेवाओं वाली परियोजना'लागू की जा रही है। नौ सेवाओं वाली परियोजना में मार्ग, पेयजल, बिजली, रेडियो, टीवी और सांस्कृतिक पुस्तकालय जैसी सेवाएं शामिल हैं। सांस्कृतिक आधारभूत संस्थापनों के निर्माण से तिब्बती बहुल क्षेत्र में सांस्कृतिक पर्यावरण में बड़े स्तर पर सुधार हुआ है, साथ ही तिब्बती नागरिकों और मठों में रह रहे भिक्षु और भिक्षुणियों की सांस्कृतिक जीवन गुणवत्ता भी उन्नत हुई है।"
चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के अनुसंधानकर्ता छिन योंगकांग ने कहा कि पिछले 60 वर्षों में प्राप्त विकास और प्रगति से पता चलता है कि तिब्बती जनता विश्व के विभिन्न देशों की जनता की तरह आधुनिक सभ्यता और विकास का लाभ उठाते हैं। उनके पास अपनी जीवन गुणवत्ता को उन्नत करने और जीवन तरीके का विकल्प ढूंढने का अधिकार है।
"तिब्बत में विकास और प्रगति"नाम के श्वेत पत्र में कहा गया है कि पिछले 60 वर्षों में तिब्बत ने मानव समुदाय के कई सौ वर्ष, यहां तक कि हज़ार वर्षों का रास्ता तय किया है, तिब्बती जाति ने मानव इतिहास में अतुल्य अध्याय जोड़ा है। आज का तिब्बत सामाजिक विकास, राजनीतिक प्रगति, सांस्कृतिक समृद्धि, सामाजिक सामंजस्य और बेहतरीन पारिस्थितिकी वाला तिब्बत है। परम्परा और आधुनिकता को जोड़ने वाला नया तिब्बत लोगों के सामने आ गया है।