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भारतीय प्रधानमंत्री रूस और चीन के दौरे पर
2013-10-20 17:57:48

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 19 अक्तूबर को रूस व चीन की राजकीय यात्रा पर रवाना हुए हैं। रूस व चीन दोनों भारत के रणनीतिक सहयोग साझेदार हैं। और तीनों ब्रिक्स देशों के सदस्य भी हैं। इसलिये मनमोहन की इस यात्रा पर ध्यान केंद्रित हुआ है।

इस बार की यात्रा में मनमोहन सिंह अगले हफ्ते मास्को में आयोजित 14वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। वे पांचवीं बार इस सम्मेलन में भाग लेने के लिये रूस पहुंचे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक रूस की यात्रा के दौरान सिंह रूसी राष्ट्रपति वलादिमिर पुतिन के साथ वार्ता करेंगे। भारत से रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में मनमोहन ने कहा कि ऊर्जा से जुड़ा सहयोग इस यात्रा का प्रमुख विषय होगा। उन्होंने नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को रूस द्वारा दी गयी सहायता की प्रशंसा की, और यह संभावना भी जताई है कि दोनों पक्ष हाल ही में कुडानकुलम परमाणु बिजली-घर के नंबर तीन व नंबर चार जैनरेटर-सैट से जुड़े सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। साथ ही सिंह ने यह भी कहा है कि तेल व प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में भारत वर्तमान में भूमि पर रूस से भारत तक प्रत्यक्ष रूप से हाइड्रोकार्बन फीडस्टॉक भेजने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा मनमोहन की इस यात्रा में प्रतिरक्षा व अर्थव्यवस्था से जुड़े सहयोग भी शामिल होंगे। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है। सिंह ने कहा कि अब दोनों देशों के संबंध पहले समय के खरीदारों और विक्रेताओं के संबंधों से संयुक्त रूप से हथियारों का अनुसंधान व उत्पाद करने के नये सहयोग संबंधों तक बदल गए हैं। अर्थव्यवस्था में भारत ने रूस, बेलारूस व कजाखस्तान चुंगी गठबंधन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की इच्छा भी जताई।

19 अक्तूबर को रूसी राष्ट्रपति के प्रेस ब्यूरो ने खबर जारी करके मनमोहन की रूसी यात्रा की पुष्टि की। क्रेंलिन प्रेस ब्यूरो ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन सिंह के साथ वार्ता के दौरान द्विपक्षीय संबंधों के विकास में मौजूद वास्तविक मामलों पर विचार-विमर्श करेंगे। इसमें द्विपक्षीय सैन्य तकनीकी सहयोग और रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा में प्राप्त समझौतों को लागू करने की स्थिति आदि शामिल हुए हैं। इसके अलावा पुतिन व सिंह वार्ता के दौरान अफ़गानिस्तान, मध्यपूर्व व उत्तर अफ़्रीका आदि क्षेत्रीय स्थिति व अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर विचार-विमर्श करेंगे। योजना के अनुसार वार्ता के बाद रूस व भारत एक संयुक्त वक्तव्य जारी करेंगे। यह वक्तव्य दोनों पक्षों के रणनीतिक साझेदार संबंधों के विकास के भविष्य से जुड़ा हुआ है। इसमें आर्थिक व व्यापारिक सहयोग तथा कुछ वास्तविक अंतर्राष्ट्रीय मामलों में समन्वय का रुख व सहयोग आदि शामिल हैं।

भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा से पहले रूस सरकार ने यह भी कहा है कि रूस-भारत के रणनीतिक साझेदारी संबंधों में श्रेष्ठता है। आगामी वार्ता इस वर्ष में दोनों देशों के नेताओं की तीसरी मुलाकात होगी। दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग में प्राप्त अच्छी उपलब्धियां सरकारों के बीच स्थापित अर्थव्यवस्था, व्यापार, विज्ञान व तकनीक तथा संस्कृति की सहयोगी कमेटी से अलग नहीं हो सकती।

रूस की यात्रा के बाद 22 अक्तूबर से सिंह अपनी यात्रा के दूसरे पड़ाव यानी चीन की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में यह उनकी दूसरी चीन यात्रा होगी। वर्ष 2008 के बाद पांच वर्षों में मनमोहन पहली बार चीन की यात्रा करेंगे। इस वर्ष मई में चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग की भारत यात्रा के बाद यह चीन व भारत के बीच और एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय यात्रा है। वर्ष 1954 के बाद यह पहला मौका है एक वर्ष में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने एक-दूसरे देश की यात्रा की हो। यात्रा के दौरान मनमनोह चीनी नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे, और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में भाषण देंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक चीन-भारत व्यापार सहयोग मनमोहन की इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। जानकारी के अनुसार मनमोहन चीनी उद्यमों के लिये भारत में एक चीनी औद्योगिक पार्क की स्थापना करने का सुझाव देंगे, ताकि भारत में चीनी पूंजी-निवेश को आकर्षित किया जा सके।

इसके अलावा भारतीय प्रधानमंत्री सीमा मुद्दे पर चीन के साथ आदान-प्रदान करेंगे। कुछ समय पहले चीन-भारत सीमा मसले पर विचार-विमर्श व समन्वय कार्य व्यवस्था का चौथा सम्मेलन पेइचिंग में आयोजित हुआ। दोनों पक्षों ने कार्य व्यवस्था का सुधार करने, और सीमांत मामलों के समाधान में कार्य व्यवस्था की क्षमता को उन्नत करने पर विचार-विमर्श किया। इस यात्रा से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने फिर एक बार जोर देकर कहा कि सीमा क्षेत्र में शांति व स्थिरता द्विपक्षीय सहयोगों के विकास की महत्वपूर्ण सुनिश्चितता है।

क्योंकि रूस व चीन की यह यात्रा शायद मनमोहन के कार्यकाल की अंतिम यात्रा होगी। इसलिये भारतीय मीडिया इस पर बड़ा ध्यान दे रही है। समाचार पत्र द हिन्दू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत व रूस 14वें शिखर सम्मेलन में लगातार नाभिकीय ऊर्जा के सहयोग का विचार-विमर्श करेंगे। यह जाहिर है कि दोनों इस से पहले मौजूद मतभेदों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय वेबसाइट rediff.com ने चीन में सिंह की सेंट्रल पार्टी स्कूल यात्रा पर ज्यादा ध्यान दिया। वेब पर यह लिखा गया है कि सेंट्रल पार्टी स्कूल से तमाम बड़े चीनी नेता निकले हैं। यह बहुत दुर्लभ है कि विदेशी नेता को इस स्कूल में भाषण देने का मौका मिला हो। चीन व भारत के बीच व्यापारिक सहयोग को मजबूत करने पर टाइम्स आफ़ इंडिया ने यह लिखा है कि वर्तमान में दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करना भारत के हितों से मेल खाता है। भारत के औद्योगीकरण व बुनियादी सुविधाओं का निर्माण चीनी उत्पादों पर निर्भर करके विकसित हो सकता है।

चंद्रिमा

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