克什米尔
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29 सितंबर को न्यूयार्क में 68वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग ले रहे पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वार्ता की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने कश्मीर क्षेत्र में संघर्ष और तनाव कम करने और सीमा पर युद्ध विराम बहाल करने पर सहमति जताई।
वार्ता के बाद दोनों पक्षों के अधिकारियों ने सकारात्मक मूल्यांकन किया। उनके अनुसार वार्ता का माहौल बहुत अच्छा है। आतंकवाद का विरोध, सीमा में तनाव स्थिति, मुंबई हादसा और द्विपक्षीय व्यापार आदि चर्चा के विषय में शामिल हुए हैं। इस वार्ता में दोनों प्रधानमंत्रियों ने कश्मीर क्षेत्र में खूनी संघर्षों को कम करने और युद्ध विराम बहाल करने की सहमति प्राप्त की। दोनों इस बात से सहमत हैं कि दोनों देशों के सेनाध्यक्षों से सहयोग करके एक कार्य व्यवस्था की स्थापना से युद्ध विराम समझौते का उल्लंघन करने वाली कार्रवाई को बंद करने का आग्रह किया जाएगा। तीन दिन पहले भारत अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना के खिलाफ़ सिलसिलेवार हमले हुए हैं। जिसमें 12 लोगों की मौत हो चुकी है। इस वर्ष में इस क्षेत्र में कई बार संघर्ष हुए, मृतकों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा स्पष्ट रूप से बढ़ गयी।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-पाक संबंधों का सुधार करने की इच्छा भी जताई। 29 सितंबर की वार्ता से शुरू होकर भविष्य में लगातार विचार-विमर्श किया जाएगा। लेकिन दोनों देशों के नेताओं की आपसी यात्रा की ठोस तिथि अब निश्चित नहीं हुई है। इस वर्ष के मई में शरीफ़ पद संभालने के बाद लगातार भारत के संबंधों का सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार 68वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में उपस्थित होने के मौके पर शरीफ़ व सिंह ने आखिर प्रथम वार्ता करने की इच्छा को पूरा किया। इससे पहले मीडिया का अनुमान था कि क्योंकि मनमोहन सिंह अगले वर्ष अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे, इसलिये यह शायद दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच अंतिम वार्ता ही होगी। पर दोनों पक्षों ने नेताओं के बीच आपसी यात्रा करने पर सहमति प्राप्त की है, तो विश्वास है कि न्यूयार्क की यात्रा दोनों प्रधानमंत्रियों की अंतिम भेंट नहीं होगी।
इस वार्ता पर भारत व पाकिस्तान दोनों देशों की मीडिया ने बड़ा ध्यान दिया। भारत की एनडीटीवी समेत प्रमुख टीवी स्टेशनों व विभिन्न न्यूज़ वेबसाइटों ने मनमोहन व शरीफ़ की वार्ता तथा इसके बाद आयोजित न्यूज़ ब्रीफिंग के बारे में रिपोर्ट दी। भारत के अख़बार फ़र्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार यह मनमोहन व शरीफ़ की प्रथम वार्ता है। और भारत व पाकिस्तान की सीमा पर संघर्ष लगातार गंभीर होने की पृष्ठभूमि में यह वार्ता की गयी। इसलिये दोनों के संबंधों का सुधार करने की तीव्र इच्छा है। आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक वार्ता का माहौल बहुत अच्छा है, जिसने दोनों पक्षों के बीच शांतिपूर्ण वार्ता करने के लिये एक द्वार खुलाया।
मीडिया को छोड़कर भारतीय राजनीतिक जगत ने भी भारत-पाक प्रधानमंत्रियों की वार्ता पर अपने विचार प्रकट किए। भारत में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा ने मनमोहन व शरीफ़ की वार्ता पर खेद प्रकट किया। भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमा पर सिलसिलेवार संघर्षों को अनदेखा करके शरीफ़ के साथ वार्ता की। यह दुःख व दुर्भाग्य की बात है।
साथ ही इस वार्ता के प्रति पाक की आम राय भी भिन्न-भिन्न है। एसोसिएट प्रेस ऑफ़ पाकिस्तान ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा है कि लंबे समय तक इंतजार के बाद पाक व भारतीय नेताओं ने आखिर एक साथ बैठकर वार्ता की। यह गलतफ़हमियों को दूर करने, समस्याओं का समाधान करने, और दोनों देशों के संबंधों के विकास के लिये लाभदायक है। पाक प्रेस व रेडियो मंत्री परवेज़ राशिद ने कहा कि इस वर्ष की पहली छमाही में आयोजित पाक नेशनल असेंबली चुनाव के दौरान शरीफ़ ने मतदाताओं को यह वचन दिया कि वे और उनकी पार्टी वार्ता के तरीके से पाक व भारत के बीच सभी मामलों का समाधान करने की कोशिश करेंगे। अब शरीफ़ व सिंह के बीच हुई वार्ता को पाक संसद व विस्तृत जनता का पूरा समर्थन मिला है। शांति के प्रति पाकिस्तान की तीव्र इच्छा है। और पाक भारत समेत सभी पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना चाहता है। राशिद ने कहा कि भारतीय नेताओं को गरीबी व बेरोजगारी समेत कई चुनौतियों का समाना करना पड़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, खासतौर पर पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना भारत के अंदरूनी मामलों का समाधान करने के लिये लाभदायक होगा। साथ ही राशिद ने यह भी कहा है कि भारत व पाकिस्तान समेत दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों के सामने आतंकी हमलों की धमकी मौजूद है। इसलिये विभिन्न देशों को एक साथ सहयोग करके आंतकवाद का विरोध करना चाहिये।
चंद्रिमा