दोस्तो, पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी भाग स्थित पेशावर शहर में 22 सितम्बर को एक गिरजा-घर पर दो आत्मघाती हमलावरों ने भंयकर हमला बोला। यह रिपोर्ट देने तक इस में कम से कम 81 लोगों के मारे जाने और अन्य 120 से अधिक घायल होने की खबर मिली है।
रविवार को हुआ यह हमला पाकिस्तान के करीब सभी मीडिया का मुख्य विषय बन गया है। पाकिस्तान के इतिहास में हमले की यह ऐसी सब से गंभीर घटना है, जिसमें मरने वाले इसाइयों की संख्या सर्वाधिक है।
रिपोर्टों के अनुसार हमला उस समय हुआ, जब करीब 600 इसाई लोग प्रार्थना करने और मुफ्त भोजन करने के बाद गिरजा-घर से बाहर निकल रहे थे। दो आत्मघाती हमलावरों ने बमों से खुद को उडा लिया। इस घटना में एक जीवित बचे इसाई ने विस्फोट से निकले भयानक परिणाम पर रोष प्रकट करते हुए कहाः
`प्रार्थना करते समय भी हमें नहीं छोडा गया है, आतंकवादियों ने हमारे साथ इतना क्रूर व्यावहार किया है कि बच्चों और महिलाओं तक को भी नहीं छोडा गया है। देखिये, उन की हालत कितनी दयनीय है। क्या जरा भी हमदर्दी नहीं रखी जा सकी? अब कोई भी सुरक्षित स्थल नहीं रह गया है। गिरजा-घर हो या मस्जिद, उनमें से किसी में भी सुरक्षा नहीं मिल सकती है। एक भी शांत जगह नहीं उपलब्ध है। देखिए, यह क्या किया गया है?`
पाक तालिबान के एक गुट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि वे तब तक गैर मुस्लिमों को निशाना बनाना जारी रखेंगे, जबतक अमेरिका पाकिस्तान के कबाइली इलाकों पर अपने ड्रोन हमले को नहीं बन्द करता। गौरतलब है कि पाकिस्तान में इसाइयों की संख्या कुल जनसंख्या का करीब 1.6 प्रतिशत भाग बनती है। तो भी वे अनेक बार चरमपंथी मुस्लिम संगठनों के हमले का शिकार हुए थे। पीड़ित इसाइयों के परिवारों ने सरकार की अल्पसंख्यक इसाइयों की रक्षा में नाकाम रहने के लिए आलोचना की। बहुत से लोगों ने एक तरफ आतंकी हमले की भर्त्सना की है और दूसरी तरफ सरकार की नाकामी पर असंतोष भी व्यक्त किया है।
`अब तक भी आतंकवादियों के खिलाफ़ कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। लोगों के मारे जाने की खबरें आती रही हैं। सरकार को इस स्थिति को देखना चाहिए और जनता के साथ खड़ी होनी चाहिए। मुख्य मंत्री को आना चाहिए था और अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी आना चाहिए था। उन सब को मदद चाहने वाले लोगों की मदद करनी चाहिए थी। लेकिन क्यों अब भी सरकार की ओर से किसी का भी नामोनिशान तक नहीं दिखा है?`
हमले के 5 घंटे बाद खैबर पख्तूनख्हा प्रांत के सत्तारूढ पार्टी—पाक तहरीक-ई-इंसाफ़ के अध्यक्ष इमरान खां घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि किसी ने जानबुझकर लोगों को उकसाया है और विस्फोट की घटनाओं का राजनीतिकीकरण करने की कुचेष्टी की है। उन्होंने कहा कि जब देश में शांति के लिए कोई प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है, तब विस्फोट, हमले जैसी घटनाएं घटित की जाती हैं। उनका कहना है कि लोगों को उकसाने और विस्फोट की घटनाओं को राजनीतिक मुद्दा बनाने की सभी हरकतें घिनौनी हैं। जनता की अभिलाषा देश में शांति की पुनःस्थापना है। चरमपंथियों के साथ वार्ता पर देश की सभी राजनीतिज पार्टियां सहमत हैं। इमरान ख़ां ने कहाः
`देश के सभी इसाई सामुदायिक क्षेत्रों में रहने वाले लोग पाकिस्तानी हैं। हम उसके साथ खडे हैं। हमें उन की पीड़ा का अहसान हुआ है और इस बात पर हम दुख व्यक्त करते हैं कि पूर्व सत्ताधारी पार्टी विस्फोटों की घटनाओं के राजनीतिकीकरण में जुटी है और उसने लोगों को हिंसा के लिए उकसाया है। इसलिए गिरजा-घर पर हमले का यह ताजा हादसा हुआ है और बहुत से बेगुनाह लोग या तो मारे गए या घायल हुए हैं। हम ने वायदा किया है कि शांति के लिए यथासंभव कोशिश की जाएंगी।`
उधर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ़ ने भी इस हमले की जबरदस्त निंदा की। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि आंतकवादियों ने निर्दोष लोगों को निशाना बनाकर इस्लाम धर्म का विरोध किया है। इस तरह के क्रूर हरकत से आतंकवादियों की अमानवीयता जाहिर है। शरीफ ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना भी प्रकट की। पाक गृह मंत्री निसार अली ख़ां ने इस हमले की निंदा करते हुए घोषणा की कि देश में 3 दिनों तक शोक मनाया जाएगा। निसार ने कहाः
` हमले में मारे गए लोगों में 34 महिलाएं शामिल थीं। क्या कोई ऐसा धर्म है, कोई ऐसा समाज है या कोई ऐसा देश है, जो महिलाओं समेत कमजोर लोगों पर हमला करने की हरकत को कानूनी मानता है? यहां मैं घोषणा कर रहा हूं कि पूरा देश 3 दिवसीय शोक मनाएगा। इस के साथ सरकार हमले का शिकार हुए गिरजा-घर को उसके पुनःनिर्माण में पूरी सहायता देनी भी चाहती है।`