त्रिघाटी क्षेत्र यात्सी नदी यानी छांग च्य़ांग नदी के महत्वपूर्ण घाटी क्षेत्रों में से एक माना जाता है और वह दक्षिण पश्चिम चीन के केंद्र शासित छुंगछिंग शहर के शासित क्षेत्र में भी अवस्थित है । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को छुंगछिंग शहर में स्थापित सान शा यानी त्रिघाटी म्युजियम देखने ले चलते हैं , ताकि छुंगछिंग शहर और त्रिघाटी क्षेत्र की प्राचीन इतिहाकस , संस्कृति और गहरी मानवीय निधि से परिचित हो सके ।
त्रिघाटी म्युजियम चीन का सब से बड़ा विशेषांक म्युजियम है , वह छुंगछिंग शहर के केंद्र के जन रोड पर खड़ा हुआ है , म्युजियम के सामने विशाल जन चौंक भी है । त्रिघाटी म्युजियम 2005 में कोई 40 हजार से अधिक वर्गमीटर की भूमि पर स्थापित हुआ है और प्रदर्शनी भवनों का क्षेत्रफल करीब 23 हजार वर्गमीटर बड़ा है । इस म्युजियम की प्रमुख वास्तु शैली त्रिघाटी बांध की डिजाइन धारणा पर आधारित है , मुख्य गेट का भीमकाय धनुष रुपी शीशा पारिस्थितिकी गलियारा मानो तेज धाराओं वाला जल पर्दा जान पड़ता है , देखने में बहुत भव्यदार लगता है।
त्रिघाटी म्युजियम में अब कुल एक लाख 70 हजार से अधिक दुर्लभ सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित रखे हुए हैं । इतने अधिक मूल्यवान ऐतिहासिक सांस्कृतिक अवशेष क्रमशः म्युजियम के चार प्रमुख प्रदर्शनी हाँलों में दर्शाये जाते हैं । इस म्युजियम के उप प्रधान श्री ल्यू छांग मिंग ने परिचय देते हुए कहा कि इन प्रदर्शनी हाँलों में विभिन्न क्षेत्रों से त्रिघाटी और छुंगछिंग शहर के दीर्घकालीन इतिहास को दर्शाया गया है ।
शानदार त्रिघाटी नामक प्रथम प्रदर्शनी हाल में दर्शक त्रिघाटी की प्राकृतिक , भौगोलिक और मानवीय सौंदर्य और त्रिघाटी जल परियोजना की मूल स्थिति देख सकते हैं । पुराचीन पा यू नामक दूसरे प्रदर्शनी हाल में त्रिघाटी व छुंगछिंग क्षेत्र के हान राजवंश से पहले के इतिहास से अवगत कराया जाता है । छुंगछिंग शहर का रास्ता नामी तीसरे प्रदर्शनी हाल में मुख्यतः छुंगछिंग शहर के समकालीन इतिहास का परिचय दिया जाता है । जबकि चौथे प्रदर्शनी हाल का नाम है जापानी आक्रमणकारी युद्ध विरोधी संघर्ष ।
त्रिघाटी चीनी राष्ट्रीय संभ्यता व इतिहास का मार्ग रहा है , वह छुंगछिंग व सछ्वान क्षेत्रों के पहाडों व नद नदियों से जुड़ा ही नहीं , बल्कि दक्षिम पश्चिम व पूर्वी चीन से जुड़ने वाला संभ्यतापूर्ण गलियारा भी है । शानदार त्रिघाटी प्रदर्शनी हाल में लम्बी चौड़ी छांगच्यांग नदी संभ्यता पूरी तरह दिखाय़ी देती है ।
शानदार त्रिघाटी प्रदर्शनी हाल में त्रिघाटी जल परियोजना के लिये बहुत से जलमग्न विशेष सांस्कृतिक अवशेष प्रदर्शित हैं । छुंगछिंग शहर के त्रिघाटी सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण अनुसंधान दल के नेता वांग छ्वान फींग ने इस की चर्चा में कहा
शानदार त्रिघाटी प्रदर्शनी हाल त्रिघाटी के पारिस्थितिक , मानव जाति और प्रकृति का विशेष संबंध का परिचायक है । मसलन नाविक पत्थर बेहद कीमती हैं । पिछले हजारों वर्षों में छांग च्यांग नदी के किनारों पर अंगिनत गरीब मजदूरों द्वारा नाव चलाने में रस्सी खिंचे जाने से पत्थरों पर जो बेशुमार गहरी दरारें छोड़ी गयी हैं , वे त्रिघाटी के नाव मजदूरों की अस्तित्व स्थिति और प्रकृति का संबंध अभिव्यक्त करते हैं ।
शानदार त्रिघाटी प्रदर्शनी हाल के बगल में स्थित प्राचीन पा शू प्रदर्शनी हांल में सुरक्षित सभी सांस्कृतिक अवशेष अत्यंत अतुल्य हैं । श्री वांग छ्वान फिंग के अनुसार त्रिघाट जलाश्य क्षेत्र में सांस्कृतिक सन साधनों की भरमार होती है , ठीक त्रिघाटी जल परियोजना की वजह से इसी क्षेत्र के सांस्कृतिक अवश्यों के संरक्षण को बढावा मिल गया है ।
पिछले दसेक सालों में हम ने 13 लाख वर्गमीटर की खुदाई की है , यह हमारे इसी संदर्भ में एक नया रिकार्डर है । यदि त्रिघाटी परियोजना न होती , तो हमें इस की खुदाई में कई पीढियों पर निर्भर रहना पड़ता । पर त्रिघाटी परियोजना से हम ने केवल दसेक सालों के अंदर एक लाख 50 से अधिक सांस्कृतिक अवशेषों का पता लगा लिया है , जिन में दस हजार से अधिक सांस्कृतिक अवशेष अमूल्य हैं । उदाहरण के लिये प्रदर्शनी हाल में प्रदर्शित हानराजवंश काल का शिलालेख समूचे चीन में दुर्लभ माना जाता है । त्रिघाटी की खुदाई में हम ने इस का पता लगाया है कि त्रिघाटी क्षेत्र पूर्वी मानव जाति का हिंडोरा ही है ।
श्री वांग छ्वान फिंग ने कहा कि हमारे सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण व अनुसंधान दल ने त्रिघाटी क्षेत्र की सांस्कृतिक सूची भी स्थापित की है , जिस से पता चला है कि त्रिघाटी क्षेत्र में मानव जाति किस तरह कदम ब कदम विकसित होने लगी है । इस के अतिरिक्त वे पा जाति के सांस्कृतिक अवशेषों के बारे में ज्यादा जानकारियां भी प्राप्त कर चुके हैं , यह पा जाति के उद्गम , विकास और अपने देश की स्थापना तथा उस के हान जाति में जा मिलने का अध्ययन करने के लिये अत्यंत मददगार सिद्द हुआ है ।
पता चला है कि भूमिगत सांस्कृतिक अवशेषों को छोड़कर पाई हो ल्यांग , चांग फी मंदिर और शह पाओ कस्बे जैसे 246 थलीय सांस्कृतिक अवशेष भी बड़े ढंग से सुरक्षित रखे हुए हैं । पाई हो ल्यांग एक एक हजार 6 सौ मीटर लम्बा व 16 मीटर चौड़ा प्राकृतिक भीमकाय पत्थर ही है । पहले वह सिर्फ सर्दियों व वसंत में पानी कम होने की स्थिति में दिखाई देता है , जबकि वर्षा ऋतु में वह जलमग्न हो जाता है । युनेस्को ने उसे विश्व का सब से संपूर्ण सुरक्षित एक मात्र प्राचीन जल विज्ञान स्टेशन कहकर मान लिया है । श्री वांग छ्वान फिंग ने कहा कि बड़ी सावधानी से संरक्षण व मरम्मत के बाद पर्यटक शीघ्री ही उसे देख पायेंगे ।
पाई हो ल्यांग आगामी मई में पर्यटकों के लिये खोला जायेगा , यह दुनिया में विविधतापूर्ण तकनीकी के जरिये कम देखने वाली सफल सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण परियोजना है । उस की डिजाइन धारणा यह है कि पहले वह जल में था , यहां स्थानांतरित करने के बाद वह फिर भी पानी में ही है , फर्क मात्र यह है कि पहले वह सर्दियों व वसंत में पानी कम होने पर देखा जाता था , पर अब वह साल भर में पानी में देखा जाता है और उसे दिखाने का तौर तरीका बहुत समुन्नत है । चांग फी मंदिर भी यहां पर हू ब हू स्थानांतरित हुआ है और जल्द ही पर्यटकों के लिये खुल जायेगा ।
छुंगछिंग शहर का रास्ता नामक प्रदर्शनी हाल पुराने छुंगछिंग वासियों के लिये बेहद प्यारा है । हाल में काले पत्थर सड़कों , पानी पर निर्मित इमारतों , बाल कटाई दुकानों व चाय घरों से युक्त पुराने छुंगछिंग की पुरानी सड़क का भू दृश्य लोगों को पुराने जमाने का आभास होता है । इस के अलावा इस त्रिघाटी म्युजियम का अंतिम प्रदर्शनी हाल जापानी आक्रमणकारी युद्ध विरोधी संघर्ष इस वीर छुंगछिंग शहर की अदम्य भावना की पहचान बना देता है ।
दोस्तो , चीनी त्रिघाटी म्युजियम एक मोटा ऐतिहासिक पुस्तक जान पड़ता है , इस में इस प्राचीन त्रिघाटी क्षेत्र की सभी गणगान कहानियां और वीरतापूर्ण भावनाएं अंकित हुई हैं । यह विशाल त्रिघाटी म्युजियम 26 मार्च 2008 को पूरी तरह मुफ्त में खुल गया है । तब से लेकर आज तक बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटक लगातार इस म्युजियम को देखने आते हैं ।