एशियाई युवा खेल के एक महत्वपूर्ण भाग के रुप में एशियाई सांस्कृतिक गांव पर विभिन्न देशों के खिलाड़ियों की नज़र केंद्रित हुई है। इस सांस्कृतिक गांव में कई सांस्कृतिक मकान शामिल हुए हैं। वे सभी अपने देश या क्षेत्र की शैली से सजे हैं, और विभिन्न संस्कृति प्रतिबिंबित होती है। एशियाई युवा खेल की आयोजन कमेटी के प्रवक्ता च्यांग ले ने संवाददाता को बताया, पहले खेप वाले सांस्कृतिक मकानों की संख्या कुल 16 है। उन मकानों की विशेषता ये हैं कि पहले, युवा मकानों का मुद्दा है। यहां के सभी मकान नानचिंग के युवाओं द्वारा अपने हाथों से डिज़ाइन व सजाए गए हैं। दूसरे, यहां का इंटरएक्टिव बहुत अच्छा है। उन मकानों को प्रदर्शनी क्षेत्र, गतिविधि क्षेत्र व इंटरएक्टिव क्षेत्र तीन भागों में बांटा गया। हमें आशा है कि खिलाड़ियों को यहां आकर घर जैसा लगता है। तीसरे, हम 13 से 17 तक वर्षीय युवाओं पर ज्यादा ध्यान देते हैं, और उनके लिये नयी मीडिया की सेवा प्रदान करते हैं। वे हर मकान में इन्टरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
एशियाई सांस्कृतिक गांव की तरह प्रतियोगिता से पहले नानचिंग द्वारा आयोजित शुभ गांठ नामक गतिविधि भी ऐसी है। इस बार के युवा खेलों की तैयारी के दौरान नानचिंग सरकार ने 45 स्थानीय मॉडल स्कूलों को चुना। और उन्हें एशिया के अन्य देशों व क्षेत्रों के स्कूलों के साथ आदान-प्रदान करने का मौका मिला। एशियाई युवा खेल के दौरान स्थानीय युवाओं ने अपने हाथों से विभिन्न तरीके वाले सांस्कृतिक मकानों को सजाया, जहां विभिन्न देशों की संस्कृति दिखायी जाती है। फुर्सत के समय खिलाड़ी उन मकानों में मज़ा भी ले सकते हैं।
भारतीय मकान के सामने नानचिंग नॉर्मल विश्वविद्यालय के अधीन मिडिल स्कूल की एक छात्रा वांग येन थ्येन ने संवाददाता को बताया मई से पहले हमने इस मकान की तैयारी शुरू की है। गर्मियों की छुट्टी में हम बारी बारी आए हैं, और इस भारतीय मकान को सजाने के लिये कई महीने लगे हैं। इस गतिविधि में भाग लेने के बाद मैं बहुत उत्साहित हूं, और चिलचस्प भी लगी। मैं खिलाड़ियों के साथ आदान-प्रदान पसंद करती हूं। हमारे मकान से भारत की तस्वीर प्रतिबिंबित होनी चाहिये। इसलिये हमें भारत की विशेषता दिखानी पड़ेगी। इस मकान में रखे गये ताज महल के नमूने पर हम सभी संतुष्ट हैं। यह नमूना हमारे अध्यापक व विद्यार्थियों ने एक साथ बनाया है। और इसमें बहुत समय लगा।
आराम के समय खिलाड़ी यहां एशियाई देशों की परंपरा भी महसूस कर सकते हैं, और कुछ दिलचस्प खेलों में भी भाग ले सकते हैं। इसलिये सांस्कृतिक मकान विभिन्न देशों के खिलाड़ियों के बीच आदान-प्रदान करने और मित्रता को मजबूत करने का एक मंच बन गया। भारतीय सांस्कृतिक मकान का दौरा करने वाले भारतीय स्क्वॉश प्रशिक्षक एस. मानियाम ने कहा, मैंने भारतीय मकान का दौरा किया। यह एक बहुत अच्छी बात है कि एशियाई सांस्कृतिक गांव की स्थापना की गई है। सभी लोग यहां आकर फ़ोटो खींच सकते हैं। यहां हमने बहुत खुशी के साथ समय बिताया।
एशियाई सांस्कृतिक गांव की प्रदर्शनी को छोड़कर एशियाई युवा खेल के दौरान रंगारंग सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की गयीं। श्रेष्ठता, मित्रता व समानता के आधार पर आयोजित सिलसिलेवार गतिविधियों में युवा, जोश, जीवन शक्ति की शैली दिखती है। और आश्चर्य, आनंद व अविस्मर्णीयता के मद्देनजर एशियाई युवा खेल एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भव्य समारोह बना। एशियाई युवा खेल की आयोजन कमेटी के प्रवक्ता च्यांग ले ने कहा, हर रात को रंगारंग कार्यक्रम होते हैं। कार्यक्रमों में खिलाड़ी चीन के वुशु, मूर्ति, मुखौटा, पतंग आदि परंपरागत लोक कला देख सकते हैं। आशा है कि आदान-प्रदान में युवाओं के बीच समझ मजबूत हो सकेगी, और वे विभिन्न संस्कृतियों से विभिन्न अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।
रंगारंग सांस्कृतिक गतिविधियों में संवाददाता ने एक विशेष ड्रैगन नृत्य टीम को देखा। इस टीम के सभी कलाकार बूढ़े लोग हैं, जिनकी औसत उम्र 60 वर्ष के लगभग हैं। उन्होंने संवाददाता को बताया कि इस बार उनके एशियाई युवा खेल में भाग लेने का उद्देश्य अपने जोश भरे मूड को दिखाना है। वे विभिन्न देशों के युवाओं को यह दिखाना चाहते हैं कि वे अभी बूढ़े नहीं हैं, अभी तो शक्तिशाली हैं। ड्रैगन नृत्य टीम की अध्यक्ष सोन यून थी ने कहा, इस खेल समारोह में भाग लेने से हमें बहुत खुशी हुई। इसके लिये हमने डेढ़ महिने की तैयारी की। युवा खेलों में भाग लेने के लिये हमने प्रशिक्षण की बड़ी कोशिश की, यहां तक कि 40 डिग्री के तापमान में हम भी ट्रेनिंग करते थे। आशा है कि युवा भी हमारी तरह दृढ़ता से एशियाई युवा खेल में अपने कर्तव्य को सफलता के साथ पूरा कर सकेंगे।
एशियाई युवा खेल में आयोजित तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने सफलता के साथ श्रेष्ठता, मित्रता व समानता के युवा ओलंपिक का नैतिक मूल्य दिखाया। उन सभी गतिविधियों द्वारा युवाओं ने ओलंपिक की सुन्दरता को अच्छी तरह से महसूस किया है। साथ ही वे एशियाई संस्कृति को भी गहन रूप से समझते हैं। ताकि भविष्य में एशियाई युवा एक सामंजस्यपूर्ण, सुन्दर, व समृद्ध नये एशिया की स्थापना के लिये एक साथ कोशिश कर सकें।
चंद्रिमा