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अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति करजई ने 26 अगस्त को पाकिस्तान की एक दिन की औपचारिक यात्रा के दौरान पकिस्तान की नई सरकार के साथ कुंजीभूत वार्ता की,ताकि पाकिस्तान में छिपे रहे अफगान तालिबान के साथ सीधा संपर्क साधकर अफ़गानिस्तान की शांति-प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के निवास में करज़ई और शरीफ के बीच कोई 1 घंटे की वार्ता चली,जिसमें मुख्य रूप से अफ़गान-पाक रिश्तों को मज़बूत बनाने और क्षेत्रीय विकास करने के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
दोंनों नेताओं ने धार्मिक विश्वास,संस्कृति एवं इतिहास की दृष्टि से दोनों देशों के रिश्तों एवं दोनों देशों के सामने मौजूद चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और संकल्प दौहराया कि ज़रूरत पड़ने पर दोनों देश एक दूसरे का समर्थन करेंगे। वार्ता में आतंक-विरोध एवं अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया में पाकिस्तान की भूमिका और दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों में सुधार से जुड़े मद्दों पर भी विचार-विनिमय किया गया। करजई ने उम्मीद जतायी कि उनकी इस यात्रा से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पिछले कोई आधे साल से जारी तनाव कम होगा और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के आगे बढने का रास्ता हमवार होगा। करजई ने इससे पहले कहा था कि तालिबानी तत्वों का पाकिस्तान में छिपे रहना अफगानिस्तान में हिंसक घटनाओं के बढ़ने का एक मुख्य कारण है।
तालिबान की चर्चा करते समय करजई ने स्वीकार किया कि आतंकवाद का लम्बे समय से बना खतरा पाकिस्तानी लोगों की मुख्य चिंता है। उन्होंने कहा कि बीते दश्क में पाकिस्तान में हज़ारों आम लोगों ने आतंकी घटनाओं में अपनी जान गंवा दी है। ऐसा अफगानिस्तान के साथ भी हुआ है। इसलिये इस क्षेत्र में सुरक्षा पर दोनों देशों की सरकारों को बड़ा ध्यान देना चाहिये। करजई ने यह उम्मीद भी व्यक्त की कि उनकी पाक-यात्रा से प्रेरित होकर दोनों देश चरमपंथ पर साझे प्रहार के लिये साथ मिलकर काम करेंगे,जिससे कि दोनों देशों को एक सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य उपलब्ध हो सके।
वार्ता में पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आशा प्रकट की कि अफगानिस्तान नाटो-सेना की वापसी संबंधी संक्रमणकाल से स्थिरता से गुजरेगा। शरीफ़ ने अफगानिस्तान की अगुवाई वाली शांति एवं सुलह-प्रक्रिया का समर्थन करने की बात दोहराई और आश्वासन दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद का सफ़ाया करने वाले शीर्ष लक्ष्य को पूरा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को हर संभव मदद देगा। उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान मज़बूती और सदिच्छा से अफगानिस्तान को उसकी शांति एवं सुलह की प्राप्ति में समर्थन देगा।
विश्लेषकों का मानना है कि अफगान शांति-प्रक्रिया में तालिबान की भागीदारी की पैरवी के मुद्दे पर पाकिस्तान अपना बड़ा प्रभाव डाल सकता है। लेकिन इससे पूर्व तालिबान ने खुले तौर पर कहा था कि वो करजई प्रशासन से कोई भी संपर्क नहीं करेगा। क्योंकि उनकी नज़र में करज़ई प्रशासन अमेरिका के हाथों की कठपुतली है।
अन्य एक रिपोर्ट के अनुसार करजई के साथ पाकिस्तान गए अफगान सरकार के शांति के लिए वार्ताकार ने पाकिस्तान से अपील की कि वो तालिबान के पूर्व उप सरगना अब्दुल बरादार को रिहा करे। लेकिन शरीफ ने अपने बयान में इस अपील पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे जुड़ा सवाल पूछना भी मना कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने पिछले साल 26 तालिबानी कैदियों को रिहा कर दिया था, जिनमें तालिबान के सशस्त्र संगठन के पूर्व न्याय मंत्री नूरुद्दीन टुराबी भी शामिल है। अफगान अधिकारियों ने कहा कि इन कैदियों को रिहा करने का उद्देश्य उन्हें अफगान सरकार के साथ वार्ता के लिए प्रोत्साहित करना है। लेकिन पर्यवेक्षकों ने माना है कि कोई ऐसा सूबत नहीं मिला है,जिससे इस उद्देश्य का पूरा होना साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि रिहा किए गए इन कैदियों में से कई लोग वापस युद्ध- मैदान लौट आए हैं।