Web  hindi.cri.cn
ए.के एंटनी ने पनडुब्बी-विस्फोट में शहीद जवानों के प्रति शोक व्यक्त किया
2013-08-15 15:39:16

दोस्तो, 14 अगस्त के तड़के मुंबई के एक अत्यंत सुरक्षित माने जाने वाले डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना की किलो दर्जे की `सिंधुरक्षक`नामक एक पनडुब्बी में विस्फोट के बाद आग लगी, जिससे पनडुब्बी में सवार 18 सैनिक पनडु्ब्बी के साथ समुद्र में डूब गए। भारतीय रक्षा मंत्री ए.के एंटनी ने देश की सेवा के लिए शहीद हुए इन जवानों के प्रति शोक व्यक्त किया, लेकिन उन्होंने शहीदों की संख्या साफ़ तौर पर नहीं बताई।

आग के कारण `सिधुरक्षक` का अधिकांश भाग जलमग्न होकर तबाह हो गया। हादसा होने के समय जिसने सब से पहले विस्फोट की आवाज सुनी, वह दमकल ब्यूरो के उपप्रमुख हैं। उस समय वह अपने अवकाश का लाभ लेते हुए डॉकयार्ड के निकट एक स्थान पर निजी काम कर रहे थे। पनडुब्बी में हुए धमाके की आवाज सुनते ही उन्होंने दमकल दस्ते और अन्य आपदा-प्रबंधन संस्थाओं को सूचित किया। इसके तुरंत बाद मुंबई के दमकल ब्यूरो और बन्दरगाह मामला ब्यूरो की कम से कम 16 गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचीं और लगभग 3 घटों तक मेहनत करके आग पर काबू पा लिया गया। मुंबई के दक्षिणी भाग में रहने वाले बहुत से वाशिंदों ने भीषण आग की लपटें और धुओं के गुब्बारे उठते देखे। सूत्रों के अनुसार सिधुरक्षक में लगी आग ने उस के नजदीक कुछ उपकरणों को भी अपनी चपेट में ले लिया।

भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने हासदे के बाद जारी एक बयान में दावा किया कि हादसा होने के बाद पनडुब्बी में सवार ज्यादातर सैनिक अपनी जान बचाने के लिए समुद्र में कूद गए, तो भी 3 अफसरों समेत 18 सैनिक पनडुब्बी के भीरती भाग में फंसे। हादसे में घायल सैनिकों को निकट के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि बचाव-दल ने फंसे हुए सैनिकों को बचाने की पुरजोर कोशिश की है।

`सिंधुरक्षक` भारत द्वारा वर्ष 1997 में रूस से खरीदी गयी थी। जुलाई 2010 में उस में आग लगी थी। इसके बाद रूस और भारत ने इस की मरम्मत पर एक समझौता संपन्न किया था। समझौते के अनुसार `सिधुरक्षक` को रूस में वापस ले लिया गया था। पूरी तरह से पुनःनिर्माण किए जाने के बाद `सिधुरक्षक` कई महीने पहले भी भारत में लौट आयी।

इस बार आग लगने के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन ऐसी रिपोर्ट मिली है कि हादसा होने के वक्त पनडुब्बी पर बड़ी मात्रा में विस्फोटक रखे थे। भीषण आग से टारपीडो और मिसाइल फट गए और इससे भयानक धमाका होकर पनडुब्बी समुद्र में डूब गई।

वास्तव में बीते 5 वर्षों में भारतीय नौसेना की किलो दर्जे की पनडुब्बियों के साथ कई अप्रिय घटनाएं घटित हुई हैं। जनवरी 2008 में इस दर्जे की एक पनडुब्बी , जो अभी रूस से मरम्मत करवाए जाने के बाद भारत लौटी थी, पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में एक व्यापारिक जहाज से टक्कर गयी थी। फरवरी 2012 में भारत के विशाखपट्नाम सैन्य पोर्ट पर इसी `सिंधुरक्षक` पनडुब्बी में बैटरी बॉक्स में गड़बड़ी होने के कारण आग लगी थी, जिससे एक व्यक्ति की मौत हुई थी। वर्ष 2011 में किलो दर्जे की अन्य एक पनडुब्बी ने मुंबई बन्दरगाह लौटने के रास्ते में एक व्यापारिक जहाज को टक्कर मारी थी, जिससे पनडुब्बी को गंभीर नुकसान हुआ था। सौभाग्य है कि कोई हताहत नहीं हुआ था।

 

 

   

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040