भारत का दौरा कर रहे "सामंजस्य मिशन—2013" में लगे चीनी नौसेना के पीस आर्क नाम के चिकित्सा-जहाज के चीनी डॉक्टरों ने 9 अगस्त को उत्तर पश्चिम मुंम्बई में महान भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ एस. कोटनिस के जन्म स्थल का दौरा किया। जिस दौरान चीनी डॉक्टरों ने डॉक्टर कोटनिस की छोटी बहन मनोरमा और उनके परिजनों से भेंट की। भेंट के दौरान चीनी डॉक्टरों ने भ्रातृभाव रूप से चीन के राष्ट्रीय स्वतंत्रता और मुक्ति के दौरान डॉक्टर कोटनिस के बड़े योगदान को याद किया।
गौरतलब है कि द्वारकानाथ कोटनिस 1910 में महाराष्ट्र सोलापुर में जन्मे और युवावस्था में ब्रिटेन में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के बाद एक कुशल डाक्टर बने। 1938 में चीन पर जापान के आक्रमण का विरोध करने के दौरान युद्ध में चीनी जनता को मेडिकल सहायता देने के लिए भारत से चीन आए और चीन पर जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में हिस्सा लिया। उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले जापानी आक्रमण विरोधी आधार क्षेत्र में रहते हुए वर्षों से चीनी आठवीं राह सेना में घायलों और मरीजों के आधार क्षेत्र के बीमार चीनी निवासियों का निस्वार्थ रूप से इलाज किया। अपनी असाधारण कार्य दक्षता और सेवा भावना के कारण वे वहां बैथ्युन शांति अस्पताल के प्रभारी नियुक्त किए गए। कठोर परिस्थितियों, कड़ी मेहनत और लगन ने कोटनिस के स्वास्थ्य को खराब कर दिया और अन्त में उन्होंने अपनी जान चीन को अर्पित कर दी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्य़क्ष माओ त्से तुंग ने डॉक्टर कोटनिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उनकी महान अन्तरराष्ट्रवादी भावना की प्रशंसा करते हुए आलेख लिखा और कहा कि महान अन्तरराष्ट्रवादी योद्धा डॉक्टर कोटनिस कड़ी मेहनत और बीमारी के कारण इस संसार से चल बसे, उनकी अतुल्य महान भावना हमेशा चीनी जनता के हृदय में याद रखी जाएगी।
गौरतलब है कि पीस आर्क चिकित्सा-जहाज ने 10 जून को पूर्वी चीन के चो शान बंदरगाह से रवाना होकर 8 एशियाई देशों की यात्रा शुरू की है, इस यात्रा में मुंम्बई उसका चौथा पड़ाव है।
(रमेश)