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पहली अगस्त को चीनी जन मुक्ति सेना की 86वीं जंयती है। वर्ष 1927 में अपनी स्थापना के बाद चीनी सेना थल,नौ और वायु तथा तोपची टकड़ियों से गठित एक आधुनित सैन्य शक्ति बन गई है और इस समय विश्व शांति की रक्षा में उस की अहम भूमिका हो रही है। लेकिन कई विदेशों ने चीन की बढती सैन्य ताकत पर सवाल उठाने के साथ-साथ चिंता भी व्यक्त की है। चीनी रक्षा मंत्री छांग वान-छ्वान ने बुधवार को चीनी सेना की 86वीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर आयोजित एक समारोह में एक बार फिर दोहराया कि चीन प्रतिरक्षा की नीति दृढ़ता से अपनाता रहेगा।
बुधवार को ब्लू शील्ड मिशन नामक व्यापक प्रतिरक्षा-अभ्यास सूडान में चीनी शांति रक्षक सेना कर रही थी। इसमें अपने आसपास के क्षेत्रों पर हमले होने, लम्बी दूरी तय करने वाली मोटर गाड़ियों को रोके जाने और अपने ही शिविरों को घेरे जाने की स्थिति में चीनी सेना के पलटवार की प्रतिक्रिया दिखाई गई। सूडान में चीनी शांति रक्षक सेना के एक अफसर दू मो-फ़ी ने कहा कि इस अभ्यास से शांति रक्षक सेना की प्रतिरक्षा की क्षमता को बढावा मिला है। उन्होंने कहाः
`इस अभ्यास में हम किसी विदेशी सेना से सहयोग नहीं मांगा है, बल्कि पूरी तरह स्वतंत्रता से अत्यंत कठिन हालात में प्रतिरक्षा का मिशन पूरा कर लिया है।`
सूडान में शांति रक्षा-मिशन में हिस्सेदारी अंतर्राष्ट्रीय मामलों में चीनी सेना की सक्रियता का मात्र एक भाग है। जैसे-जैसे चीनी सेना के विकास एवं शांति की रक्षा के कर्तव्य बढते जा रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उस की भागीदारी भी बढती गई है। चाहे संयुक्त राष्ट्र के शांति-मिशन हो या अदन की खाड़ी में नौवहन की रक्षा जैसे गैर युद्ध वाली सैन्य गतिविधियां हो या फिर संयुक्त सैन्याभ्यास और संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण हो, उन सब में चीनी सेना ने हिस्सा लिया है और इस तरह चीनी सेना पर रहस्य का पर्दा हटा लिया गया है और विदेशों को चीनी सेना के खुलेपन एवं पारदर्शिता का अहसास हुआ है।
वर्तमान काल में चीनी सेना ने 150 से अधिक देशों की सेनाओं के साथ संबंध स्थापित किए हैं और 30 से ज्यादा देशों की सेनाओं से 60 से अधिक संयुक्त अभ्यास एवं संयुक्त प्रशिक्षण किए हैं। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्य देशों में ऐसा एक देश है, जिसने विश्व शांति-मिशन के लिए अपने सर्वाधिक सैनिक विदेश भेजे हैं। अभी कुछ समय पहले चीन सरकार ने निर्णय लिया कि वह माली स्थित संयुक्त राष्ट्र विशेष दल में इंजीनिरिंग कर्मियों, चिकित्सकों एवं गार्ड्स समेत करीब 400 चीनी अफसरों एवं सैनिक भेजेगी। इस के बारे में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता गंग यैन-शंग ने कहाः
`माली में शांति-रक्षा के लिए चीन ने पहली बार अपने सुरक्षा बलों को भी भेजा है। इससे जाहिर है कि चीन अपने अंतर्राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने और विश्व शांति एवं स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।`
चीनी सेना ने विदेशी सेनाओं के साथ भी व्यापक सहयोग किए हैं। अपनी 86वीं जंयती के अवसर पर चीनी सेना रूस के चेल्याबिनस्काया में रूसी सेना के साथ शांति मिशन—2013 नामक एक साझा सैन्याभ्यास कर रही है। इससे कुछ समय पहले दोनों देशों की सेनाओं के बीच समुद्र पर भी एक अभ्यास हुआ था।
चीन-रूस के वर्तमान संयुक्त सैन्याभ्यास में दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच तकनीकी और रणनीतिक स्तरों पर घनिष्ठ सहयोग हुए हैं। दोनों पक्षों ने एक दूसरे को अच्छे सहयोग देते हुए 10 से अधिक विषयों पर युद्ध से मिलते-जुलते अभ्यास किए हैं। रूसी नौसेना के डिप्टी चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जनरल सूहानोव का मानना है कि चीन और रूस दोनों ने इस क्षेत्र में शांति एवं स्थायित्व के लिए बड़ी कोशिश करके दूसरे देशों के लिए एक ठेठ मिसाल स्थापित की है। उन्होंने कहाः
`इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारियों के स्तर को उन्नत करना है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दो बड़ी शक्तियों के नेता चीन और रूस क्षेत्रीय सुरक्षा को पैदा होने वाले खतरे के निपटान और अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए अधिक सहयोग कर सकते हैं। मैं समझता हूं कि दोनों देशों का वर्तमान संयुक्त सैन्याभ्यास क्षेत्रीय सुरक्षा और द्विपक्षीय हितों की सुनिश्चितता के लिए किया जा रहा है।`
हाल के वर्षों में विमान वाहक जहाज समेत नए ढंग के आधुनिक उपकरणों एवं सामोसामानों का प्रयोग शुरू होने से चीनी सेना का आधुनिकीकरण तेज हो गया है।
चीनी रक्षा मंत्री छांग वान-छ्वान ने 31 जुलाई को चीनी सेना की 86वीं जंयती मनाने के लिए आयोजित समारोह में कहाः
` चीन शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर डटा रहेगा और प्रतिरक्षा की नीति दृढ़ता से अपनाता रहेगा, विदेशी सेनाओं के साथ सहयोग बढ़ाने के जरिए आपसी विश्वास मजबूत करेगा, क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपनी हिस्सेदारी जारी रखेगा और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति एवं सुरक्षा में सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा और मानव-शांति एवं विकास के लिए नया योगदान करेगा।`
चीनी रक्षा मंत्री का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में गहरा और पेचीदा बदलाव आ रहा है। शांति, विकास, सहयोग एवं साझी जीत सभी देशों की जनता की समान अभिलाषा है। लेकिन दुनिया के कुछ क्षेत्रों में अशांति है, जिसे समाप्त करने के लिए चीन आगे भी अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करेगा।