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चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय पोलित ब्यूरो ने 30 जुलाई को बैठक बुलाई, जिसमें इस साल के पूर्वार्द्ध में राष्ट्रीय अर्थतंत्र की स्थिति और इस साल के उतर्राद्ध में आर्थिक काम के प्रबंधन पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक का मानना है कि चीन को अपने अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए तरह-तरह की जटिलताओं एवं मुश्किलों से निपटने की तैयारियां करने के साथ-साथ एकीकृत एवं स्थिर विकास, ढांचागत समायोजन एवं नए सुधार पर भी कायम रहना चाहिए। कई विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य में चीन ढांचागत समायोजन करने और नया सुधार करने के जरिए आर्थिक विकास में आई समस्याओं को दूर करेगा और सुधार-कार्य को आगे बढाने के लिए हितों से जड़ी बाधाओं के खात्मे पर जोर देगा।
हाल के दिनों में चीन के विभिन्न क्षेत्रों के इस साल के पूर्वार्द्ध के आर्थिक सूचकांक सामने आए हैं। इस की पृष्ठभूमि में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय पोलित ब्यूरो ने राष्ट्रीय अर्थतंत्र की वर्तमान परिस्थिति एवं इस साल के बाकी महीनों में राष्ट्रीय आर्थिक काम के प्रबंधन को लेकर एक बैठक बुलाई। शिनह्वा समाचार एजेसी द्वारा जारी खबर के अनुसार इस बैठक में यह विचार व्यक्त किया गया है कि इस साल के पूर्वार्द्ध में चीन के अर्थतंत्र के मुख्य सूचकांक पूर्वानुमानित लक्ष्य के दायरे में है। इसे अच्छी शुरूआत के तौर पर देखा गया है। इस साल के उतर्राद्ध में स्थिर वृद्धि, ढांचागत समायोजन एवं नए सुधार पर कायम रहना अत्यंत लाजिमी है, ताकि पूरे साल के आर्थिक एवं सामाजिक विकास का मुख्य लक्ष्य पूरा हो सके। चीन के वित्तीय एवं आर्थिक मामलों के मशहूर समीक्षक मा क्वांग-य्वान के अनुसार इस बैठक से तीन महत्वपूर्ण संदेश गए हैं। उन्होंने कहाः
`पहला संदेश है कि देश में पूरा समष्टिगत अर्थतंत्र समुचित गति से आगे बढ रहा है। स्थिर विकास बना हुआ है, ढांचागत समायोजन और नए सुधार के कार्य में प्रगति हुई है। दूसरा कि वर्तमान आर्थिक सूचकांक से जाहिर है कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अब भी कई कठिनाइयां मौजूद हैं। इसलिए बैठक में इस बात पर अच्छा-खासा जोर दिया गया है कि स्थिर वृद्धि, ढांचागत समायोजन और नए सुधार में अधिक संतुलन बिठाया जाए। तीसरा संदेश है कि इस बैठक में प्रस्तावित भावी आर्थिक काम के प्रबंधन को देखा जाए, तो ढांचागत समायोजन और नए सुधार-कदमों से स्थिर वृद्धि को बरकरार रखना एक प्राथमिक काम है। पहले हम कहते थे कि विकास करने के साथ-साथ समस्याओं का समाधान भी किया जाएगा, पर अब ऐसा कहा जा सकता है कि समस्याओं के समाधान से विकास किया जाएगा। `
बैठक में कहा गया है कि इस साल के बाकी महीनों में भी चीन में आर्थिक विकास स्थिरता से हो जाएगा। लेकिन गहरे बदलाव के दौर से गुजर रहे वैश्विक अर्थतंत्र की मद्देनजर चीन में आर्थिक विकास को अत्यंत कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। इसकी चर्चा करते हुए चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के एक जिम्मेदार व्यक्ति ली श्यांग-यांग ने कहा कि विश्व स्तर पर आर्थिक पुनरुथान में सुस्ती खासकर उभरते आर्थिक समुदाय की आर्थिक वृद्धि में कमी के समग्र परिदृश्य में चीनी अर्थतंत्र को किसी कतर असंतोषजनक बाहरी वातावरण देखना पड़ा है। ली श्यांग-यांग ने कहाः
`ऐसा इसलिए क्योंकि पहले, पूरी दुनिया में वित्त-संकट आने के बाद आर्थिक पुनरुथान वैसा नहीं हुआ है, जैसा अपेक्षित किया गया। इससे यह तय है कि चीनी अर्थतंत्र का विकास वैश्विक अर्थतंत्र से अलग होकर एकतरफा तौर पर नहीं हो सका है। दूसरे, विकसित देशों की समष्टिगत आर्थिक नीति परिपकव नहीं है, जिस की जोखिम भी है। इस नीति के क्रियान्वयन से अंतर्राष्ट्रीय पूंजी का उभरते आर्थिक समुदाय से विकसित देशों मे पलायन होगा और इससे चीनी अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगेगा। तीसरे, आर्थिक वृद्धि-दर को समुचित रूप से कम करना पूरे उभरते आर्थिक समुदाय का नया कार्य है। बीते दो वर्षों में उभरते आर्थिक समुदाय की आर्थिक वृद्धि तेज पटरी से हटकर धीमी हो गई है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय पोलित ब्यूरो की बैठक के आयोजन से पहले यानी 25 जुलाई को केंद्रीय पार्टी-कमेटी ने गैर कम्युनिस्टों के साथ देश के वर्तमान आर्थिक काम पर बातचीत की थी और गंभीरता से उन की रायें और सलाहें सुनी थीं। बातचीत में राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने कहा था कि आर्थिक काम में मौजूद मुख्य अंतरविरोधों एवं समस्याओं के समाधान को भारी महत्व दिया जाना चाहिए और सुधार के नए कदमों के माध्यम से आर्थिक विकास के तरीकों को बदलने के काम में तेजी लाई जानी चाहिए। यह भी उल्लेखनीय है कि शी चिनफिंग ने कुछ समय पहले हूपे प्रांत के निरीक्षण-दौरे के दौरान इस बात को दोहराया था कि सुधार-कार्य जारी रखने के लिए निश्चित हितों से जुड़ी अड़चनों को हिम्मत से समाप्त किया जाना चाहिए। मा क्वांग य्वान का कहना है कि सुधार के कार्य को आगे बढाने के लिए हितों से जुड़ी अड़चनों को समाप्त करना चीन के वर्तमान आर्थिक कार्य में मौजूद प्रमुख विरोधाभासों एवं समस्याओं के समाधान की कुंजी है। उनके अनुसार जैसे जैसे सुधार-कार्य आगे बढ रहा है, समस्याओं के समाधान और व्यावहारिक कदमों के क्रियान्वयन में नई बाधाएं आ जाएंगी। हमारी वर्तमान सब से बड़ी समस्या है संसाधनों का गलत आबंटन। इस गलती को दुरूस्त करने का सब से अच्छा उपाय बाजार-व्यवस्था है। इस व्यवस्था को अच्छी तरह से लागू करने के लिए हितों से जुड़ी बाधाओं को दूर करना जरूरी है।