तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के वन ब्यूरो के उपाध्यक्ष चोंगका ने 29 जुलाई को ल्हासा में कहा कि वर्तमान तिब्बत में जंगली जानवरों के प्रजनन का मौसम है और इन जानवरों के पास आत्मरक्षा की क्षमता कम है। इस तरह वन ब्यूरो के कर्मचारियों ने रोज़मर्रा के कार्य के अलावा जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए कुछ और कदम उठाए हैं।
चोंगका के अनुसार, वर्तमान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 2700 से अधिक लोग प्रमुख वनों के प्रबंधन में लगे हुए हैं, इसके साथ ही स्वायत्त प्रदेश स्तरीय प्राकृतिक संरक्षण केंद्रों में 900 से अधिक कर्मचारी हैं और 76 व्यक्ति गैर प्राथमिकता वाले वनों के संरक्षण कार्य में जुटे हुए हैं। ये लोग संयुक्त रूप से जंगली जानवरों का प्रबंधन और संरक्षण करते हैं। इसके साथ ही वन ब्यूरो ने यालुचांगबू नदी के मध्य भाग में काली गर्दन वाले क्रेन यानी सारस की रक्षा के लिये ल्हासा में राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण केन्द्र की स्थापना की है।
चोंगका ने कहा कि तिब्बत में जंगली जानवरों के सर्वांगींण संरक्षण के चलते उनकी बहाली स्थिति स्पष्ट है। अदारहण के तौर पर तिब्बत के छ्यांगथांग राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण केंद्र में तिब्बती नीलगायों की संख्या शुरुआती दौर में 40 हज़ार से बढ़कर आज करीब 1 लाख 50 हज़ार तक पहुंच गई है। जंगली याकों की संख्या 10 हज़ार से 20 हज़ार तक जा पहुंची है। इनके अलावा तिब्बती जंगली गधे, हिम तेंदुए समेत कई जंगली जानवरों की संख्या भी बढ़ी है। जंगली जानवरों के निवास स्थलों और आर्द्रभूमि की स्थिति भी पहले से बेहतर हुई है।
(श्याओ थांग)