日本选举
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जापान में 23वें सीनेट के लिए मतदान का परिणाम 22 जुलाई की सुबह जारी किया गया। संयुक्त रूप से शासन करने वाली लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और न्यू कोमेटो पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की। दोनों ने सीनेट की आधे से ज्यादा सीटें हासिल की। जिससे सत्तारुढ़ पार्टी व विपक्षी पार्टी के प्रतिनिधि सदन व सीनेट में नियंत्रण की स्थिति खत्म हो जाएगी। विश्लेषकों के अनुसार सत्तारुढ़ गठबंधन के दोनों सदनों को संभालने के बाद हालांकि शिंजो अबे सरकार की स्थिति मजबूत होगी, लेकिन भविष्य में उनके सामने कई चुनौतियां मौजूद होंगी।
जापान के सीनेट में कुल 242 सीटें हैं, इसके सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। हर तीन वर्ष में इसके आधे सदस्य बदलते हैं। 21 जुलाई को जापान में चुनाव आयोजित हुआ। इस बार जापान की विभिन्न पार्टियों और निर्दलीय पार्टियों के 433 उम्मीदवारों ने 121 सीटों के लिए चुनाव लड़ा। अंत में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और न्यू कोमेटो पार्टी को क्रमशः 65 व 11 सीटें हासिल हुई। पहले से प्राप्त 59 सीटों को मिलाकर दोनों पार्टियों ने कुल 135 सीटें हासिल कीं। यह संख्या सीनेट की सभी सीटों के आधे से अधिक है। जिससे छह साल रही सत्तारुढ़ पार्टी व विपक्षी पार्टी के क्रमशः प्रतिनिधि सदन व सीनेट का नियंत्रण की स्थिति खत्म हो जाएगी।
पूर्व सत्तारुढ़ पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी इस बार के चुनाव में हार गयी, उसने केवल 17 सीटें जीती। जो पहले की 44 सीटों से बहुत कम है। अन्य पार्टियों की बात करें तो जापानी कम्युनिस्ट पार्टी व योर पार्टी ने सीनेट में क्रमशः 8 सीटें हासिल कीं, यह संख्या पहले से अधिक है। लेकिन बीते वर्ष के अंत में आयोजित प्रतिनिधि सदन के चुनाव में प्रमुख जापान रेस्टोरेशन पार्टी को इस बार केवल 8 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है।
जापानी मीडिया की आम राय है कि सत्तारुढ़ गठबंधन ने इस बार के चुनाव में जीत हासिल की। इससे जाहिर होता है कि अबे सरकार द्वारा इससे पहले लागू की गयी आर्थिक नीति को जनता का समर्थन मिला है। और आर्थिक नीति पर संदेह व्यक्त करने वालों ने जापानी कम्युनिस्ट पार्टी व योर पार्टी का समर्थन किया।
अबे सरकार के भविष्य के बारे कहना है कि हालांकि सत्तारुढ़ गठबंधन दोनों सदन संभालेगा, लेकिन घरेलू और विदेशी मामलों में उसके सामने कई चुनौतियां मौजूद होंगी। पहले, घरेलू मामलों में आर्थिक समस्या अबे सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती होगी। इससे पहले आर्थिक नीति में अबे द्वारा पेश की गयी आर्थिक वृद्धि रणनीति व वित्तीय पुनर्निर्माण नीति पर वित्तीय बाजार बहुत निराश था, जिसका शेयर बाजार पर भी असर देखा गया। अगर भविष्य में अबे इस दिशा में एक संतोषजनक कदम नहीं उठा सके, तो उनकी आर्थिक नीतियों से जापानी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो सकती है। यह कहा जा सकता है कि आर्थिक मामले का समाधान अबे सरकार के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।
विदेशी मामलों में फुतेनमा अड्डे का स्थानांतरण जापान-अमेरिका संबंधों में एक अनिश्चित कारक-तत्व बन जाएगा। हालांकि अबे सरकार इस मामले पर अमेरिका की मांग पूरी करके फुतेनमा हवाई अड्डे को ओकिनावा में तब्दील करना चाहती है। लेकिन ओकिनावा ने इसका कड़ा विरोध किया। इसलिये इसकी संभावना कम है।
खास बात यह है कि भविष्य में जापान व पड़ोसी देशों के संबंधों पर अमेरिकी संसद के जांच ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में जापान को कट्टर राष्ट्रवादी कहा है। पिछले वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री बनने के बाद अबे ने ऐतिहासिक मामलों व पड़ोसी देशों के संबंधों पर संकीर्ण बयान दिए। जिससे जापान में दक्षिणपंथियों का रुझान स्पष्ट हो गया। और जापान व चीन, दक्षिण कोरिया के संबंधों में समस्याएं मौजूद हैं। अनुमान है कि सीनेट के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अबे सरकार के कंजवेटिव बयान और बढ़ जाएंगे। जिससे जापान अपने क्षेत्र में और अकेला होगा, और जापान के आयात-निर्यात पर भी बुरा असर पड़ेगा।
चंद्रिमा