दोस्तो, चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रेस प्रवक्ता शन तान-यांग ने 18 जुलाई को सीआरआई संवाददाता को अपना विशेष साक्षात्कार दिया। इसमें उन्होंने चीनी अर्थतंत्र एवं व्यापार संबंधी प्रमुख समस्याओं की चर्चा की। उनके अनुसार इस साल के उतरार्द्ध में चीन में वैदेशिक व्यापार की स्थिति गंभीर एवं जटिल बनी रहेगी, तो भी वैदेशिक व्यापार चीन के समष्टिगत अर्थतंत्र के विकास में अपनी अमूल्य विशेष भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वैदेशिक व्यापार के विकास के लिए चीन सरकार जल्द ही आवश्यक कदम उठाएगी।
नवीनतन आंकड़ों के अनुसार इस साल के पूर्वार्द्ध में चीन का कुल आयात-निर्यात करीब 20 खरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले साल की समान अवधि से 8.6 प्रतिशत अधिक है। शन तान-यांग ने कहा कि यह वृद्धि इस साल के शुरू में किए गए अनुमान से अधिक तो है, लेकिन चालू वर्ष के बाकी महीनों में देश में वैदेशिक व्यापार की स्थिति गंभीर बनी रहेगी। उन्होंने कहाः
`गंभीर बात यह है कि वैदेशिक जरूरतों का स्पष्ट पुनरुथान अब भी नहीं दिखाई दिया है। यद्यपि अमेरिका में आर्थिक पुनरूथान का संकेत मिला है, लेकिन जापान और यूरोपीय संघ तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं को गहरी सुरंग से रोशनी की किरण बाहर निलकती नहीं नजर आ रही है। देश में व्यापारिक लागत और निर्यात की लागत ऊंची बनी रही है। इसके अलावा व्यापारिक टक्कर एवं प्रतिकुल व्यापारिक वातावरण जैसी समस्याएं भी मौजूद हैं।`
गत जून माह में चीन के आयात-निर्यात दोनों में 17 महीनों के बाद प्रथम गिरावट दर्ज की गई। कुछ लोगों ने चिंता जताई कि चीन के वैदेशिक व्यापार के लिए अच्छे दिन समाप्त होने वाले हैं। यहां तक यह अनुमान लगाया गया है कि चीन के अर्थतंत्र में अहम भूमिका निभाने वाले वैदेशिक व्यापार का सब से जल्दी अंत होगा। इसपर शन तान-यांग ने कहा कि यह एक गलतफहमी है। उनके विचार में वैदेशिक व्यापार आगे भी चीन के आर्थिक विकास में भारी भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहाः
`अब सरकार चाहती है कि आर्थिक विकास में पूंजी-निवेश का योगदान कुछ कम हो जाए और उपभोग का योगदान कुछ अधिक हो जाए। इसके लिए सरकार ने अनेक नीतिगत कदम उठाए हैं। लेकिन उन के प्रभावी होने में समय लगेगा। सब जाते हैं कि कोई भी काम दिन-रात नहीं बनता। ऐसे में निर्यात की भूमिका जारी रखी जानी चाहिए। हां, निर्यात की स्थिति गंभीर है, तो भी तकनीक, ब्रैंड, क्वालिटी और सेवा जैसे पहलुओं में चीन की श्रेष्ठता उतरोत्तर दिखाई दे रही है।`
आंकड़ों के अनुसार इधर के सालों में चीन के आर्थिक विकास में निर्यात का योगदान 15-20 प्रतिशत के बीच रहा, जबकि यह प्रतिशत विकसित देशों में 10 प्रतिशत है। इससे देखा जा सकता है कि इस मद में चीन का प्रतिशत विकसित देशों से थोड़ा अधिक है। शन तान-यांग ने कहा कि यह चीनी अर्थतंत्र के वर्तमान विकास की जरूरत के अनुकूल है। उन्होंने जानकारी दी कि वाणिज्य मंत्रालय राज्य परिषद के संबद्ध विभागों के साथ मिलकर वैदेशिक व्यापार के विकास को बढावा देने वाले उपाय बनाने के लिए विचार-विमर्श करेगा। उनके अनुसार
सरकार चीनी मुद्रा की विनिमय-दर को स्थिर बनाने की समष्टिगत नीति लागू करती है। इसके अलावा वर्तमान कर-वसूली नीति और वित्त एवं ऋण संबंधी नीति के क्रियान्वयन से भी आर्थिक एवं व्यापारिक स्थिरता बरकरार रह सकती है।
शन तान-यांग ने व्यापार-टक्कर की चर्चा करते हुए लोगों को सामान्य दृष्टि से उसे देखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि चीन निर्यात के क्षेत्रों में लगातार 3 सालों से प्रथम स्थान पर रहा है। इतना बड़ा निर्यात हुआ, वह स्वभाविक रूप से देश की बड़ी स्पर्धा-शक्ति का देन है। लेकिन कुछ देशों ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी के कम होने की वजह से चीन की अनुचित आलोचना की है और यहां तक कि चीन के खिलाफ़ व्यापार-संरक्षणवादी कदम उठाए हैं। उन के दृष्टिकोण से ऐसा करना तर्कसंगत है। यहां हमें शांत मन और सामान्य दृष्टि से उसे देखना चाहिए।
शन तान-यांग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन सरकार अपने उद्योगधंधों को उन के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगी, ताकि चीन के राष्ट्रीय हित सुरक्षित रहे।
विदेशी पूंजी के चीन से हट जाने की अटकलों के बारे में शन तान-यांग ने कहा कि चीन के सिर्फ बहुत कम क्षेत्रों में यह स्थिति उत्पन्न हुई है। चीन में गत जून माह में विदेशी पूंजी का जो इस्तेमाल किया गया, उसमें 20 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई। इससे दर्शाया गया है कि चीन में विदेशी निवेश अच्छी हालत में है। सोफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों के सुधरते वातावरण के कारण चीन अब भी विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।