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दोस्तो, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने 18 जुलाई को जेनेवा में अपनी 2012 विश्व व्यापार-रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2012 में पूरी दुनिया में तिजारती मालों के व्यापार संबंधी रैंकिंग में चीन निर्यात और आयात की दृष्टि से क्रमशः प्रथम और दूसरे पदायन पर रहा। दूसरे शब्दों में चीन समेत नवोदित अर्थव्यवस्थाओं की वैश्विक व्यापार में करीब आधी हिस्सेदारी दर्ज की गई है।
`विश्व व्यापार-रिपोर्ट` विश्व व्यापार संगठन द्वारा जारी की जाने वाली वैश्विक व्यापार संबंधी आधिकारिक रिपोर्ट है, जिसमें मुख्यतः पूरी दुनिया के पिछले एक साल में हुए व्यापार की समीक्षा की जाती है और उस के भावी विकास का अनुमान लगाया जाता है। अभी जारी इस तरह की रिपोर्ट के अनुसार बीते 30 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जो इजाफा हुआ है, वह अंतर्राष्ट्रीय उत्पादों में हुए इजाफ़े से कहीं अधिक है। सब से उल्लेखीय बात यह है कि विकासशील देशों ने नवोदित अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक अर्थतंत्र के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। विशेष तौर पर यह कहने योग्य है कि विश्व व्यापार में चीन का योगदान वर्ष 1980 के 1 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2011 में 11 प्रतिशत हो गया।
विश्व व्यापार संगठन के आर्थिक शोध एवं सांख्यिकी कार्यालय के प्रधान पैट्रिक लो ने 2012 विश्व व्यापार-रिपोर्ट के विमोचन के समारोह में कहाः
`इस रिपोर्ट में यह प्रवृत्ति दिखायी गई है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका अधिकाधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। संक्षेप में वैश्विक व्यापार में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी वर्ष 1980 में केवल एक तिहाई थी, लेकिन वह वर्ष 2011 में बढकर करीब 50 फीसदी हो गई।`
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में पूरी दुनिया में तिजारती मालों के व्यपार संबंधी रैंकिंग में चीन, अमेरिका, जर्मनी औऱ जापान 4 प्रमुख निर्यातक देश थे, बल्कि 4 प्रमुख आयातक देश भी ये ही 4 देश थे। वर्ष 2012 में चीन से निर्यात 20 खरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक रहा। लेकिन सेवा से जुड़े व्यापार में चीन का आयात निर्य़ात से अधिक दर्ज हुआ। आयात और निर्यात दोनों क्षेत्रों में अमेरिका प्रथम स्थान पर रहा।
इस रिपोर्ट में अन्य एक व्यापक ध्यान खींचने वाला विषय यह है कि उसमें वर्ष 2030 में वैश्विक अर्थतंत्र एवं व्यापार के विकास के रुझान का अनुमान लगाया गया है। इस पर श्री पैट्रिक लो ने कहाः
`विश्लेषण और अनुमान को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए हम ने टिंग टैंक के साथ करीबी सहयोग किया। इन विश्लेषण एवं अनुमान को सार्वजनिक करना एक हिम्मती कार्यवाही है। हम ने विश्लेषण एवं अनुमान के दौरान व्यापार एवं घरेलू जीडीपी जैसे दो अहम मानकों का प्रयोग किया। इससे हम इस तरह के निष्कर्ष तक पहुंचे कि विकासशील देशों का विकास बहुत हद तक अच्छे पर्यावरण पर निर्भर रहता है। अच्छा पर्यावरण के बगैर उन का विकास असंभव है।`
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक विकसित देशों एवं विकासशील देशों की वैश्विक जीडीपी एवं वैश्विक व्यापार जैसे दो क्षेत्रों में हिस्सेदारी उतार-चढाव के साथ आगे चलेगी। वैश्विक जीडीपी में विकसित देशों की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत से घटकर 61 प्रतिशत हो जाएगी, जबकि विकासशील देशों की भागीदारी 29 प्रतिशत से बढकर 39 प्रतिशत होगी। वैश्विक व्यापार में विकसित देशों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत से कम होकर 43 प्रतिशत होगी, जबकि विकासशील देशों की भागीदारी 41 प्रतिशत से अधिक होकर 57 प्रतिशत हो जाएगी।
वैश्विक व्यापार के भावी विकास के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में वैश्विक व्यापार पर प्रभाव डालने वाले तत्व अनेक हैं, इनमें जनसंख्या, निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और अन्य प्राकृतिक संसाधन, परिवहन की लागत एवं सामाजिक ढांचा भी शामिल हैं।
श्री पैट्रिक लो का कहना हैः
`इस रिपोर्ट में वैश्विक व्यापार के विकास के ऱुझान को प्रभावित कर सकने वाले प्रमुख तत्वों का उल्लेख किया गया है। इनमें से एक जनसंख्या-परिवर्तन पर खासा ध्यान दिया जाना चाहिए, च्योंकि इससे पूरी दुनिया में तिजारती मालों की आपूर्ति एवं मांग बहुत प्रभावित हो चुकी है। इसके अलावा ऊर्जा-संकट, पूंजी-निवेश, बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दे भी भविष्य में व्यापार के ढंग एवं भूमिका पर सीधा प्रभाव डालेंगे।`
रिपोर्ट के विमोचन के समारोह में विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक लामी भी उपस्थित थे। उन्होंने भी इस बात पर जोर दिया कि बहुपक्षीय व्यापार-व्यवस्था की स्थापना, व्यापार-संरक्षणवाद की रोकथाम और वैश्विक व्यापार के स्वस्थ विकास की पुरजोर कोशिश की जाएगी।