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चीन में टेलीग्राम सेवा बन्द नहीं होगी
2013-07-17 14:58:25


गत 14 जुलाई को भारत में 163 सालों तक चली टेलिग्राम सेवा का पटाक्षेप हो गया। पूरे भारत में सभी टेलीग्राफ सेवा-संस्थाएं नियम के अनुसार अपने आखिरी दिन की सेवा प्रदान करने के बाद हमेशा के लिए बन्द हो गई। टेलीग्राम सेवा का संचालन करने वाली कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने बताया कि गौरवशाली इतिहास रखने वाली यह सेवा इतिहास के पन्नों तथा संग्रहालयों तक ही सिमट कर रह जाएगी। जी हां, सूचना प्रौद्योगिकी से लैस वर्तमान दुनिया में एसएमएस और ईमेल जैसे आधुनिक माध्यमों की लोकप्रियता के कारण टेलीग्राफ-उद्योग अधिकांश लोगों के लिए अतीत सी हो गई है। पड़ोसी देश भारत में टेलीग्राफ-सेवा के अंत के बारे में खबर सुनकर अनेक चीनी लोगों ने स्वभाविक रूप से यह प्रश्न पूछा कि क्या चीन में भी इस तरह की नौबत आएगी? बहरहाल चीन में भी टेलीग्राफ-उद्योग का शानदार इतिहास है।

17 जुलाई के पूर्वाह्ण 11 बजे हमारी संवाददाता पेइचिंग टेलीग्राफ भवन पहुंची। इसमें पेइचिंग का टेलीग्राफ-सेवा प्रदान करने वाला एकमात्र और आखिरी काउंटर है। वहां काम करने वाले एक कर्मचारी ने संवाददाता से कहा कि टेलीग्राफ़-सेवा प्रदान करने वाले कर्मचारी दोपहर के भोजन के लिए बाहर चले गए हैं। वास्तव में इस काम पर सिर्फ दो व्यक्ति नियुक्त हैं। हमारी संवाददाता को बताया गया कि वर्तमान काल में बहुत कम लोग तार भेजते हैं। देखिए, इस भवन में इतने ग्राहक डाक सेवा के लिए आते हैं, लेकिन क्या उनमें से कोई इस काउंटर की तरफ आ रहा है?लगातार कई दिनों तक यह काउंटर खाली होना सामान्य बात है।

संवाददाताः क्या तार भेजने वाले लोग ज्यादा हैं?

कर्मचारीः नहीं, ज्यादा नहीं है।

संवाददाताः आम तौर पर हर रोज कितने लोग आते हैं तार भेजने के लिए?

कर्मचारीः ज्यादा नहीं है। अब बहुत कम लोग टेलीग्राफ-सेवा लेते हैं।

संवाददाताः तो भी मैं और कुछ इंतजार करूं और देखूं कि आखिरकार कोई आएगा या नहीं?

कर्मचारीः तुम्हें इंतजार करने की जरूरत नहीं। मेरी माने, कोई नहीं आएगा।

यद्यपि अब टेलीग्राफ-सेवा का उपभोग करने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट आई है, लेकिन 20 साल पहले पेइचिंग टेलीग्राफ़ भवन रौनकदार था, जिसमें रोजाना ग्राहकों की भीड़-भाड रहती थी। परंपरागत त्योहार—वसंतोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में ग्राहक अपने परिजनों, मित्रों और सहयोगियों को त्योहार का अभिवादन वाले तार भेजने के लिए काउंटर के सामने दसेक लम्बी कतारों में खड़े नजर आते थे। चीनियों पर टेलीग्राफ के शानदार इतिहास ने अपनी गहरी छाप छोड़ी है।

`बाल्यावस्था में मैं सिर्फ एक बार अपनी दादी जी के साथ तार भेजने टेलीग्राफ भवन गई थी। वह बहुत पुरानी बात है, जिसकी याद बहुत धुंधली हो गई है। इस समय ज्यादातर लोग एसएमएस और टेलीफॉन के जरिए एक दूसरे से संपर्क करते हैं। टेलीग्राफ़ तो धीरे-धीरे लोगों के जीवन से गायब हो रहा है। वह किसी पुरानी सुन्दर बात की तरह लोगों की याद में रह गई है।`

रिकार्डों के अनुसार चीन में वर्ष 1990 में भेजे गए तारों की संख्या 4 करोड़ 40 लाख थी, जबकि पिछले साल के पहले 11 महीनों में यह संख्या कुलमिलाकर सिर्फ 1 लाख थी और उनमें से अधिकतर, जल और मौसम विज्ञान से जुड़ी सरकारी विभागों द्वारा भेजे गए तार थे। निजी तौर पर भेजे गए तारों की संख्या बहुत कम थी। एक युवक ने संवाददाता से कहा कि उसने सिर्फ टी.वी फिल्मों में लोगों को तार भेजते देखा है। अपने यथार्थ जीवन में तार भेजने का उसे कोई अनुभव नहीं है। उसने कहाः

`पुराने जमाने पर आधारित जासूसी फिल्मों में तार भेजने का दृश्य देखने को मिलता है। मुझे यह दृश्य रहस्यमय लगता है। लेकिन वर्तमान समय में आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदत्त सुविधानजनक माध्यमों ने टेलीग्राफ की जगह ली है। जगह-जगह इंटरनेट या मोबाइल इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। इसके सामने टेलीग्राफ उनुपयुक्त हो गया है।`

संबंधित आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004 में हांगकांग की दूरसंचार कंपनी (पीसीसीडब्ल्यू) ने हांगकांग में टेलीग्राफ-सेवा का अंत घोषित कर दिया। उसी साल नीदरलैंड में भी इस सेवा को हमेशा के लिए बन्द किया गया। अमेरिका में सब से बड़ी टेलीग्राफ़ कंपनी—वेस्टर्न यूनियन टेलीग्राफ़ ने 2006 में अपनी टेलीग्राफ़-सेवा का पूरी तरह अंत कर लिया। यहां हम पूछें कि क्या चीन में भी टेलीग्राफ़ इतिहास बनेगा?इस के बारे में विशेषज्ञों ने कहा कि चीन में टेलीग्राफ़-सेवा जारी रहेगी। क्योंकि चीन में इस सेवा का सैन्य क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा चीन में अब भी बहुत से रेडियो-प्रेमी रोजाना मोर्स कोड के जरिए विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। गौरतलब है कि आधुनिक डिजिटल वाले दूरसंचार-उपाय, चाहे वो एसएमएस हो, या मोबाइल फॉन या फिर इंटरनेट हो, सभी टेलीग्राफ़-उद्योग के सिद्धांत पर आधारित है। 

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