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11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस है। ऐसे में एक बार फिर बुढ़ापे और जनसंख्या वृद्धि और उससे होने वाले लाभ की चर्चा तेज हो गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में भारत की आधी आबादी की उम्र 25 साल से कम है। अनुमान है कि 2030 में भारत में 28 वर्ष से कम उम्र के नागरिकों की संख्या कुल जनसंख्या का 50 फीसदी होगी। उसी समय भारत दुनिया में सबसे बड़ी जनसंख्या वाला ऐसा देश बनेगा, जिसमें युवाओं का अनुपात सबसे अधिक होगा। युवाओं की इतनी बड़ी तादाद भारत की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के लिए प्रमुख शक्ति बनेगी या यह एक दबाव होगा ? लीजिए सुनिए इस बारे में एक रिपोर्टः
भारत में जनसंख्यीय लाभ सबसे चर्चित शब्द है, जिसका मतलब है कि एक देश की कुल जनसंख्या में कामकाजी उम्र की आबादी का अनुपात ज्यादा है। ये लोग आर्थिक विकास के लिए अपना व्यापक योगदान कर सकते हैं। जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया का दूसरा बड़ा देश होने के नाते भारत की आबादी पिछले 50 सालों में हर 10 साल में 20 फीसदी की दर से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की जनसंख्या 1 अरब 20 करोड़ से भी अधिक रही, जो दुनिया की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत है। इस आबादी में आधे लोगों की उम्र 25 से कम है। इसलिए व्यापक लोगों का अनुमान है कि इस शताब्दी के मध्य में पूर्वी एशिया के देशों को बुढ़ापे की समस्या का सामना करना पड़ेगा। जबकि भारत में व्यापक युवा होने की वजह से बड़ी स्पर्द्धा शक्ति होगी। ऐसे में भारत को इस बड़ी आबादी से लाभ मिलेगा।
इसपर भारतीय सामाजिक विज्ञान संस्थान के उप प्रमुख प्रोफेसर एश नारायण रॉय ने कहा कि जनसंख्या में वृद्धि न सिर्फ फायदा है, बल्कि बड़ा दबाव भी है। उन्होंने कहाः
"यूरोप और अमेरिका में कई काम सिर्फ युवा लोग कर सकते हैं। लेकिन जनसंख्या वृद्धि में कमी की वजह से वहां पर्याप्त युवा नहीं हैं। इस लिहाज से हमारे लिए व्यापक संभावना है।"
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि आबादी अवश्य ही संसाधन बन जाएगी। अगर लोगों को रोजगार के अवसर नहीं मिलते. तो यह देश के विकास के लिए बाधक बन जाते हैं। उन्होंने कहाः
"बड़ी जनसंख्या के कारण शायद बहुत लोगों को काम नहीं मिल सकेगा। अगर वे निठल्ले या बिना काम के घूमेंगे तो, समाज के लिए बड़ी समस्या पैदा होगी। इसलिए सरकार को युवा लोगों को उचित काम देना पड़ेगा।"
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने शिक्षा को लोकप्रिय बनाने और व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण मजबूत करने आदि नीतियां अपनाई, जिसका उद्देश्य जनसंख्या के बोझ को मानव संसाधन में बदलना है।